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रायपुर : जब बने बनाए मकानों का जमाना नहीं था, तब आजमाया हाथ

उस दौर में रायपुर में कोई भी बना हुआ मकान नहीं लेता था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिशें जारी रखी।

By Krishan KumarEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 06:00 AM (IST)
रायपुर : जब बने बनाए मकानों का जमाना नहीं था, तब आजमाया हाथ

पुश्तैनी धंधे को छोड़ कर भी नए धंधे में कामयाबी हासिल की जा सकती है। यह साबित किया है अविनाश ग्रुप के एमडी आनंद सिंघानिया ने। 22 साल पहले 11 मकानों के निर्माण से काम शुरू करने वाले आनंद के ग्रुप ने अब तक डेढ़ करोड़ वर्ग फीट से अधिक का निर्माण कार्य कर लिया है। इसके साथ ही खास बात यह है कि कारोबार के साथ ही कंपनी अपने सामाजिक दायित्वों का भी पूरा-पूरा ध्यान रखती है। रियल एस्टेट के क्षेत्र में हमेशा कुछ नया लाने का प्रयास करती है।

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आनंद सिंघानिया ने बताया कि उनका परिवार ऑटोमोबाइल कारोबार से जुड़ा हुआ था और जब वे अपनी पढ़ाई पूरी कर निकले तो घरवालों ने इसी कारोबार में मदद कर आगे बढ़ने को कहा, लेकिन इन्होंने रियल एस्टेट को अपना करियर चुना और वर्ष 1996 से 11 मकानों के साथ इसकी शुरुआत की।

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उस दौर में रायपुर का मार्केट ऐसा था कि कोई भी बना हुआ मकान लेना पसंद नहीं करता था। उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिशें जारी रखी। धीरे-धीरे समय बदला और आज रिहायशी और कमर्शियल में 36 प्रोजेक्ट पूरे कर चुके हैं और 14 प्रोजेक्टों पर काम चल रहा है। उनका दावा है कि उन्होंने कभी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया। साथ ही उनकी कंपनी हमेशा ही अपने कर्मचारियों का विशेष ध्यान रखती है। संस्थान के कर्मचारी उनके लिए एक परिवार की तरह ही हैं।

मॉल में दी दिव्यांगों को नौकरी
सिंघानिया ने बताया कि वे कारोबार के साथ ही समाज के लिए भी कुछ करना चाहते थे। इसी सोच के साथ उन्होंने अपने मैग्नेटो मॉल में ऐसे लोगों का भी ध्यान रखा, जो दिव्यांग हैं और जिन्हें वाकई नौकरी की जरूरत है। इसके चलते मैग्नेटो मॉल में लिफ्टमैन के रूप में दिव्यांगों को नौकरी दी गई। इसके साथ ही समय-समय पर सामाजिक हितों का ध्यान रखने वाले काम होते रहते हैं।

दिव्यांग और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए ट्रेनिंग 
अविनाश ग्रुप इन दिनों रियल एस्टेट में अग्रणी होने के साथ ही सामाजिक दायित्व निभाने में भी अग्रणी है। आनंद सिंघानिया ने बताया कि उनकी कंपनी द्वारा दिव्यांग और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए एक ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट खोला गया है। इस संस्थान के जरिए यह कोशिश भी की जाती है कि इन बच्चों का प्रवेश अच्छे से अच्छे स्कूल में हो। अपनी तरह का यह अलग ही ट्रेनिंग सेंटर है। दिव्यांग और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए यह एक बहुत ही अच्छी कोशिश की जा रही है।

कर्मचारियों का रखते हैं ध्यान
कर्मचारियों का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जा रहा है। इसके लिए कर्मचारियों के इंश्योरेंस के साथ ही उनके कौशल विकास के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। कर्मचारियों के साथ ही उनके परिवार वालों का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। सिंघानिया ने बताया कि जिन कर्मचारियों के दो या दो ज्यादा बच्चे है, उनकी बारहवीं तक की पढ़ाई में भी कंपनी मदद करती है। कंपनी का सोचना है कि उनके कर्मचारी उनके परिवार ही है और इनका ध्यान रखना जरूरी है।

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