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Chasttisgarh News: ग्रामीण अंचल महिलाओं और बालिकाओं में पौष्टिक आहार व खान-पान के प्रति जागरूकता की कमी, शरीर में 10 ग्राम भी खून नहीं

सिकलिंग खून से जुड़ी बीमारी है जो शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं को प्रभावित करती है। शरीर में तेज दर्द एवं ऐंठन बैक्टीरियल संक्रमण होना हाथों और पैरों में सूजन एनीमिया दृष्टि संबंधी समस्याएं हड्डियों में कमजोरी आदि लक्षण दिखने पर फौरन सिकलिंग की जांच कराकर चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।

By Priti JhaEdited By: Published: Sun, 10 Jul 2022 01:43 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jul 2022 01:43 PM (IST)
Chasttisgarh News: ग्रामीण अंचल महिलाओं और बालिकाओं में पौष्टिक आहार व खान-पान के प्रति जागरूकता की कमी, शरीर में 10 ग्राम भी खून नहीं
ग्रामीण अंचल महिलाओं और बालिकाओं में पौष्टिक आहार व खान-पान के प्रति जागरूकता की कमी

बिलासपुर, ऑनलाइन डेस्क । ग्रामीण अंचल की महिलाओं और बालिकाओं में पौष्टिक आहार एवं खान-पान के प्रति जागरूकता की कमी देखी गई है। इसकी वजह से एनीमिया(खून की कमी) की समस्या हो रही है। अनुवांशिक बीमारी सिकल सेल के मरीजों की संख्या भी अधिक है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में विशेष दुलारी लक्ष्मी अभियान(एनीमिया एवं सिकल सेल जांच) की शुरुआत की गई है। इसके तहत अब तक 30,778 लोगों की एनीमिया और 22,635 की सिकल सेल जांच की गई है। इसकी रिपोर्ट चौकाने वाली है। जांच में 1,714 लोगों के शरीर में 10 ग्राम खून भी नहीं मिला है। वहीं, सिकल सेल के 319 मरीज मिले हैं।

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मालूम हो कि अप्रैल 2022 से जिले में एनीमिया एवं सिकलिंग जांच के लिए दुलारी लक्ष्मी अभियान (एनीमिया एवं सिकलिंग जांच) शुरू की गई है। अभियान की ग्राम कार्यक्रम प्रबंधक(जीपीएम) ने बताया कि दुरस्त ग्रामीण अंचल की महिलाओं और बालिकाओं में पौष्टिक आहार एवं खान-पान के प्रति जागरूकता की कमी देखी गई है। इसकी वजह से एनीमिया(खून की कमी) की समस्या हो रही है। इसके अलावा क्षेत्र में अनुवांशिक बीमारी सिकल सेल के मरीजों की संख्या भी अधिक है।

जानकारी हो कि 30 जून 2022 तक 10 से 49 वर्ष तक के 30,778 बालक-बालिकाओं तथा पुरुषों महिलाओं की एनीमिया की जांच हुई। इसमें 30 लोगों में सात ग्राम से कम और 1,684 में सात से 10 ग्राम के बीच खून पाया गया। इन सभी को उपचार के लिए चिन्हांकित किया गया। वहीं 22,635 लोगों की सिकल सेल जांच हुई, जिसमें 319 पीड़ित मिले। इन्हें उपचार के लिए चिन्हांकित किया गया है। इस अभियान के तहत 10 से 18 वर्ष तक के बालक, बालिकाओं और 19 से 49 वर्ष की पुरुषों एवं महिलाओं की एनीमिया तथा सिकल सेल जांच और उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। यह जांच मितानिन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से स्वास्थ्य केंद्रों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों हो रही है।

एनीमिया और उपचार

एनीमिया होने पर शरीर में आयरन की कमी होने लगती है और इस वजह से रक्त में हीमोग्लोबिन बनना कम हो जाता है। इसकी वजह से शरीर में खून की कमी होती है। हमेशा थकान महसूस होना, उठने और बैठने पर चक्कर आना, स्किन और आंखों में पीलापन, सांस लेने में परेशानी, दिल की धड़कन सामान्य से अधिक धड़कना, हथेलियों और तलवों का ठंडा होना आदि लक्षण दिखने पर फौरन एनीमिया की जांच करानी चाहिए। साथ ही हरे पत्तेदार सब्जियां, अंडा , पनीर, दूध-फल का सेवन करना चाहिए।

सिकलिंग बीमारी और लक्षण

मालूम हो कि सिकलिंग खून से जुड़ी बीमारी है जो शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं को प्रभावित करती है। जल्द पहचान होने और उचित चिकित्सकीय देखभाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। शरीर में तेज दर्द एवं ऐंठन, बैक्टीरियल संक्रमण होना, हाथों और पैरों में सूजन, एनीमिया, दृष्टि संबंधी समस्याएं, हड्डियों में कमजोरी आदि लक्षण दिखने पर फौरन सिकलिंग की जांच कराकर चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। यह बीमारी आमतौर पर माता-पिता से बच्चों को वंशानुगत मिलती है। यह बीमारी बच्चे के जन्म के पांच या छह महीने के बाद से ही दिखनी शुरू हो जाती है।


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