Devshayani Ekadashi 2022: आज से चातुर्मास प्रारंभ, देव शयन के कारण अब चार माह तक नहीं होंगे कोई मांगलिक कार्य
Devshayani Ekadashi 2022 चातुर्मास में विवाह गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। चार माह पश्चात देवउठनी एकादशी पर भगवान को जगाने की परंपरा निभाएंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु चातुर्मास में पाताल लोक में निवास करते हैं।
रायपुर, ऑनलाइन डेस्क । Devshayani Ekadashi 2022: आज से प्रारंभ हो रहे देवशयनी एकादशी से भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह तक योग निद्रा में रहेंगे। योग निद्रा में होने के कारण आज से लेकर देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी तक कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। रविवार को देवशयनी एकादशी पर भगवान जगन्नाथ के मूल मंदिर में लौटने के साथ ही पूजा-अर्चना, आरती की रस्म निभाई जाएगी। साथ ही भगवान विष्णु के शयन करने की परंपरा भी निभाई जाएगी। अब चार माह के लिए देवगण विश्राम करेंगे। इसी के साथ विविध संस्कारों पर रोक लग जाएगी।
मालूम हो कि चातुर्मास में विवाह, गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। चार माह पश्चात देवउठनी एकादशी पर भगवान को जगाने की परंपरा निभाएंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु चातुर्मास में पाताल लोक में निवास करते हैं। मौसी के घर से लौटे भगवान जगन्नाथ, इंद्रदेव ने किया स्वागत इधर, नौ दिन तक मौसी के घर विश्राम करने के बाद भगवान जगन्नाथ शनिवार को वापस अपने मूल मंदिर में लौट आए।
भगवान के मंदिर में लौटते ही राजधानी में हुई वर्षा से श्रद्धालु खुश हो गए। गायत्री नगर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के नीचे स्थित गुंडिचा मंदिर से भगवान अपने मूल स्थान पर लौटने के लिए जैसे ही निकले, इंद्रदेव ने तेज वर्षा से भगवान का स्वागत किया। राजधानी में पिछले कई दिनों से तेज वर्षा नहीं हुई थी।
वहीं, जगन्नाथ मंदिर के संस्थापक के अनुसार मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की जब रथयात्रा निकलती है तो वर्षा अवश्य होती है। इस साल एक जुलाई को जब भगवान अपनी मौसी के घर जाने के लिए रथ पर विराजित हुए थे, उस दिन वर्षा नहीं हुई थी, इससे श्रद्धालु दुखी थे, लेकिन शनिवार को मौसी के घर से भगवान जब मंदिर पहुंचे तब इतनी तेज वर्षा हुई कि श्रद्धालु झूम उठे। वापसी यानी बहुड़ा यात्रा बस्ती से निकलेगी बहुड़ा यात्रा भगवान के मूल मंदिर में लौटने का सिलसिला रविवार को भी जारी रहेगा। मंदिरों में भगवान रविवार को पहुंचेंगे इसी के साथ 27 दिवसीय जगन्नााथ उत्सव का समापन होगा। गत, 14 जून को भगवान के स्नान की परंपरा निभाई गई थी। अत्यधिक स्नान से भगवान के अस्वस्थ होने पर 15 दिनों तक मंदिर के पट बंद करके औषधियुक्त काढ़ा पिलाया गया था। स्वस्थ होने के बाद एक जुलाई को भगवान रथ पर विराजित होकर नौ दिनों के लिए मौसी के घर विश्राम करने गए थे।