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Chhattisgarh News: अज्ञात बीमारी से छत्तीसगढ़ में तीन साल में एक ही गांव के 61 लोगों की मौत

Chhattisgarh News रेगड़गट्टा गांव में तीन साल में 61 लोगों की मौत हो चुकी है। इन मौतों का कारण डाक्टर भी नहीं बता पा रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक हाथ-पांव में सूजन होती है शरीर दर्द करता है बुखार आता है और मौत हो जाती है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 06 Aug 2022 03:31 PM (IST)Updated: Sat, 06 Aug 2022 03:31 PM (IST)
Chhattisgarh News: अज्ञात बीमारी से छत्तीसगढ़ में तीन साल में एक ही गांव के 61 लोगों की मौत
छत्तीसगढ़ में अज्ञात बीमारी से तीन साल में एक ही गांव के 61 लोगों की मौत। फोटो इंटरनेट मीडिया

सुकमा, एजेंसी। Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में सुकमा (Sukma) जिले के रेगड़गट्टा गांव (Regadgatta Village) के लोगों ने दावा किया है कि पिछले तीन साल में अज्ञात बीमारी (Unknown Illness) के कारण वहां 61 लोगों की मौत हो चुकी है। अधिकारियों ने इन मौतों की वजह जानने के लिए जांच शुरू की है। इन मौतों का कारण क्या है, यह डाक्टर भी नहीं बता पा रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, हाथ-पांव में सूजन होती है, शरीर दर्द करता है, बुखार आता है और मौत हो जाती है। सात सौ की आबादी वाले इस गांव के हर घर में कोई न कोई बीमार है या मौत हो चुकी है।

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ग्रामीणों ने उठाया मुद्दा

समाचार एजेंसी प्रेट्र के मुताबिक, कोंटा विकास खंड में स्थित रेगड़गट्टा गांव के निवासियों ने हाल ही में जिला अधिकारियों के सामने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि पता चलता है कि 47 लोगों की मौत विभिन्न कारणों से हुई। अधिकारियों ने कहा कि पानी और मिट्टी में भारी धातु सामग्री जैसे आर्सेनिक की पहचान करने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। आठ अगस्त को पर्यावरणीय कारणों के गहन अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गांव भेजी जाएगी। इस गांव की आबादी 1,000 से अधिक है, जिसमें 130 परिवार रहते हैं। 27 जुलाई को ग्रामीणों ने सुकमा जिला कलेक्टर को एक पत्र सौंपा, जिसमें दावा किया गया कि 2020 से अब तक हाथ-पैर में सूजन के लक्षण वाले युवक-युवती समेत 61 लोगों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अनुरोध किया कि लोगों की मौतों को रोकने के लिए इस मुद्दे से निपटने के लिए तुरंत डाक्टरों की एक टीम भेजी जाए।

मौत के कारणों का नहीं चल पाया पता

सुकमा के कलेक्टर हरीश एस ने बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद पिछले सप्ताह स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य विशेषज्ञों की एक टीम वहां भेजी गई थी। प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि पिछले तीन वर्षों में उस गांव में 47 लोगों की मौत हुई, लेकिन उन सभी की मौत उसी कारण से नहीं हुई, जैसा कि स्थानीय लोगों ने दावा किया था। कुछ मृतकों के शरीर पर सूजन थी और यह विभिन्न कारणों से हो सकता है। जल स्रोतों के नमूनों की प्रारंभिक रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि दो जल स्रोतों में फ्लोराइड का स्तर सीमा से अधिक था, जबकि कुछ स्रोतों में लौह तत्व अधिक था। लेकिन हम यह नहीं कह सकते हैं कि मौतें पानी में भारी धातु की मात्रा के कारण हुईं, क्योंकि उच्च फ्लोराइड वाले पानी के सेवन से हड्डियों में कमजोरी आती है और स्थानीय आबादी में ऐसे कोई लक्षण नहीं होते हैं। उच्च लौह तत्व भी जटिलताएं पैदा करता है, लेकिन इसके कारण अचानक मृत्यु नहीं हो सकती है। अन्य पर्यावरणीय कारण हो सकते हैं। पुरानी शराब का सेवन भी (गुर्दे से संबंधित बीमारियों के लिए) एक संभावना हो सकती है।

स्वास्थ अधिकारियों की टीम कर चुकी है गांव का दौरा

उन्होंने कहा कि पानी और मिट्टी में भारी धातु सामग्री जैसे आर्सेनिक की पहचान करने के लिए एक रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। कलेक्टर ने कहा कि मामला सामने आने के बाद गांव का दौरा करने वाले स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम ने ग्रामीणों का चिकित्सकीय परीक्षण किया था, जिसमें 41 लोगों के शरीर में सूजन और किडनी से संबंधित समस्याओं से पीड़ित होने की पहचान की गई थी। जांच से पता चला कि यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन का स्तर उन पर सामान्य मापदंडों की तुलना में बढ़ा हुआ था। उनका इलाज किया जा रहा है और उनकी हालत स्थिर है। उन्होंने कहा कि उनमें से दो अति रक्ताल्पता रोगियों को सुकमा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आठ अगस्त को पर्यावरण कारणों के अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गांव भेजी जाएगी।

हैंडपंपों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई

जिले के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) यशवंत ध्रुव ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि इस साल गांव में गुर्दे की बीमारियों, बुढ़ापे से संबंधित समस्याओं और मलेरिया सहित कई कारणों से 15 मौतें हुईं। उनमें से कितनों की मौत गुर्दे की बीमारी से हुई है, इसकी अभी पुष्टि नहीं हो सकी है। जांच किए गए 20 जल स्रोतों में से दो हैंडपंपों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई, जिसके बाद इसे उपयोग के लिए बंद कर दिया गया, जबकि ग्रामीणों ने पीने के उद्देश्य से आठ जल स्रोतों का उपयोग नहीं करने की सलाह दी, क्योंकि इसमें आयरन की मात्रा सीमा से अधिक मिली। कुछ ग्रामीणों में गुर्दे की बीमारी के हल्के लक्षण हैं।  हाल ही में एक उप स्वास्थ्य केंद्र में एक एएनएम (सहायक नर्स दाई) की नियुक्ति की गई है। 


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