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35 वर्ष नक्सली क्षेत्र में सेवा फिर भी टीआई ने नहीं देखा नक्सली

झीरम घाटी नक्सली हमले में गवाह के प्रतिपरीक्षण में चौकाने वाले बात सामने आई। दरभा थाने के तत्कालीन टीआई ने बयान में कहा कि लोगों से नक्सलियों के बारे में सुना है लेकिन आज तक उन्हें देखा नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 19 Apr 2015 12:55 AM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2015 01:00 AM (IST)
35 वर्ष नक्सली क्षेत्र में सेवा फिर भी टीआई ने नहीं देखा नक्सली

बिलासपुर [निप्र]। झीरम घाटी नक्सली हमले में गवाह के प्रतिपरीक्षण में चौकाने वाले बात सामने आई। दरभा थाने के तत्कालीन टीआई ने बयान में कहा कि लोगों से नक्सलियों के बारे में सुना है लेकिन आज तक उन्हें देखा नहीं है। टीआई 36 वर्ष की पुलिस सेवा में नक्सली क्षेत्र में भी पदस्थ रहे हैं।

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झीरम घाटी हमला मामले में विशेष न्यायिक जांच आयोग ने बयान दर्ज करने के साथ ही प्रतिपरीक्षण शुरू किया है। न्यायिक जांच आयोग के समक्ष शुक्रवार को दरभा थाने के तत्कालीन टीआई यूके वर्मा का प्रतिपरीक्षण किया गया। इस दौरान श्री वर्मा ने आयोग को बताया कि 1979 में वे आरक्षक के पद में भर्ती हुए थे। वे सेवा काल के अधिकांश समय नक्सल प्रभावित जिले में ही पदस्थ रहे।

प्रतिपरीक्षण के दौरान अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने टीआई से क्षेत्र में आने वाले नक्सलियों की संख्या के संबंध में जानकारी मांगी। इस पर श्री वर्मा ने कहा कि लोग 20-25 या 50-100 की संख्या में नक्सलियों के आने की बात कहते हैं। किन्तु उनकी जानकारी में नक्सली 8-10 के समूह में ही आना-जाना करते हैं। इस बारे में उन्होंने केवल सुना है लेकिन आज तक सशस्त्र नक्सलियों के समूह को नहीं देखा है। उनके बयान से यह बात भी सामने आई है कि बस्तर में पुलिस को मुखबिर ही संचालित कर रहे हैं। मुखबिर ही उन्हें क्षेत्र में नक्सलियों के आने व जाने की जानकारी देते हैं। उसी सूचना की पुलिस अधिकारी दस्दीक करते हैं।

तोंगापाल के टीआई एलएस कश्यप ने बयान में कहा गुप्ता वार्ता, मुख्यालय और थाना स्तर पर मुखबिर होते हैं। मुखबिर से मिली सूचना पूरी तरह सही नहीं होती है। इसी प्रकार मैदानी अमला और उच्च अधिकारियों के बयान में भी अंतर है।

उच्च अधिकारी नक्सलियों के ओडिशा मलकानगिरी से आकर वारदात करने की बात कहते हैं। वहीं मैदानी अमला नक्सलियों केदूसरे राज्य से आने की बात पर अनभिज्ञता जताता है।


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