जानिए क्या होता है टैक्स एग्जेंप्शन, टैक्स डिडक्शन, टैक्स रिबेट
ये तीनों एक दूसरे से अलग होते हैं।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बहुत से लोगों को टैक्स संबंधी लेनदेन को संभालना मुश्किल हो जाता है और अंत ने उन्हें विशेषज्ञ या चार्टर्ड एकाउंटेंट की मदद लेनी पड़ती है। हालांकि, टैक्स छूट, टैक्स कटौती और टैक्स रिबेट्स जैसे शब्दों की जानकारी रखना बेहद जरूरी है। ये तीनों एक दूसरे से अलग होते हैं। जानिए इनके बारे में।
टैक्स एग्जेंप्शन (टैक्स छूट)
इसका मतलब होता है वैसे खर्च, आय या निवेश जिन पर टैक्स नहीं लगता है। इससे आपकी कुल टैक्स योग्य आय घट जाती है। जैसे अगर आप साल में 6 लाख रुपये कमाते हैं और 1 लाख रुपये का निवेश करते हैं, तो आपको बस 5 लाख रुपये पर ही टैक्स देना होगा।
'छूट' योग्य सभी इनकम और निवेश के बारे में कर्मचारी की ओर से कंपनी को बताना अनिवार्य है। इसके बाद कंपनी बाकी बची सैलरी पर स्लैब के आधार पर टैक्स काटती है। दाहरण के तौर पर HRA कुछ खास नियमों के अधीन टैक्स छूट के दायरे में आता है।
टैक्स डिडक्शन (टैक्स कटौती)
करदाता की कुल आय में से कुछ चीजें घटाकर टैक्स योग्य आय निकाली जाती है। इसका उद्देश्य टैक्स योग्य आय को घटाना है। इसमें मेडिकल, ट्रांसपोर्ट, ट्यूशन आदि के खर्च को शामिल किया जाता है। करदाता को कितना कर देना है, इसका भुगतान व्यक्ति की बची हुई टैक्स योग्य आय के आधार पर किया जाता है।
टैक्स रिबेट
यह वह राशि होती है जिस पर करदाता को टैक्स नहीं देना होता है। उदाहरण के तौर पर धारा 87A के तहत मिलने वाला रिबेट। इसके अनुसार अगर आपकी सालाना आय 3।5 लाख रुपये से कम है तो आप 2,500 रुपये तक के रिबेट का दावा कर सकते हैं। छूट और कटौती के बाद जो आय बच जाती है उस पर आपको टैक्स देना होता है। टैक्स की गणना करने के बाद रिबेट आपको इनकम टैक्स की राशि के भुगतान में राहत देता है।