UK की अदालत ने दी विजय माल्या के प्रत्यपर्ण को मंजूरी, पढ़िए माल्या केस की पूरी Timeline
धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के मामले में वांछित माल्या पर भारतीय बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपये बकाया हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को भारत लाए जाने का रास्ता अब साफ हो गया है। ब्रिटेन की एक अदालत ने विजय माल्या के प्रत्यपर्ण को मंजूरी दे दी है। इसके बाद माल्या को भारतीय अधिकारियों को सौंपा जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा है कि माल्या ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं। गौरतलब है कि धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के मामले में वांछित माल्या पर भारतीय बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपये बकाया हैं।
वहीं सीबीआइ ने लंदन कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। सीबीआइ ने कहा, 'हम जल्द ही उसे लाने और केस को खत्म करने की उम्मीद करते हैं। सीबीआइ की अपनी अंतर्निहित शक्तियां हैं। हमने इस मामले पर बहुत मेहनत की। हम कानून और तथ्यों पर मजबूत थे, प्रत्यर्पण प्रक्रिया का पालन करते समय हमें इस बात का विश्वास था।'
हम इस खबर में विजय माल्या केस की पूरी टाइम लाइन के जरिए समझा रहे हैं कि इस मामले में कब-कब क्या-कुछ हुआ।
9 मई 2005: यूनाइटेड ब्रुअरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (यूबीएचएल) ने चेयरमैन विजय माल्या की लग्जरी एयरलाइन किंगफिशर एयरलाइन का कर्मशियल ऑपरेशन शुरु किया।
वर्ष 2013: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में भारतीय बैंकों का कंसोर्टियम ने यूनाइटेड ब्रुअरीज होल्डिंग्स लिमिटेड से संपर्क साधा और उससे किंगफिशर एयरलाइन्स की तरफ से 6,493 करोड़ रुपये के लोन का भुगतान करने को कहा।
मार्च 3, 2016: विजय माल्या ने भारत छोड़कर लंदन में शरण ले ली।
फरवरी, 2017: भारत ने यूके को प्रत्यर्पण के लिए आवेदन भेजा
अप्रैल 18, 2017: सेंट्रल लंदन पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण करने के बाद स्कॉटलैंड यार्ड ने विजय माल्या को प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तार कर लिया। हालांकि कुछ ही घंटों में माल्या को वहां की अदालत ने जमानत दे दी। माल्या को 650,000 पाउंड का बेल बॉण्ड भरने के बाद कुछ ही घंटों में जमानत मिल गई।
जून 13, 2017: प्रत्यर्पण मामले में लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट्स कोर्ट में पहली सुनवाई हुई। माल्या की जमानत को दिसंबर 2017 तक बढ़ा दिया गया।
जुलाई 6, 2017: अदालत में उपस्थित होने से छूट के बावजूद विजय माल्या मामले में सुनवाई के लिए उपस्थित हुए।
अक्टूबर 3, 2017: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से फाइल किए गए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में विजय माल्या की फिर से गिरफ्तारी हुई और उसी दिन उन्हें कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई।
4 दिसंबर, 2017: विजय माल्या के प्रत्यर्पण ट्रायल की शुरुआत हुई।
दिसंबर 5, 2017: विजय माल्या की बचाव टीम ने काउंटर दलीलें दीं और दावा किया कि ग्राहकों के खिलाफ धोखाधड़ी के बकवास मामले में कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
दिसंबर 7, 2017: विजय माल्या की बचाव टीम की सुनवाई फिर से शुरु हुई जिसमें उन्होंने दावा किया कि भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में भारतीय बैंकों को मूलधन का लगभग 80 फीसद हिस्सा वापस देने के उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया था।
दिसंबर 11, 2017: विजय माल्या की बचाव टीम ने अपने विशेषज्ञों को बदलना जारी रखा और यह साबित करने की कोशिश की कि उनके खिलाफ मामला "राजनीतिक रूप से प्रेरित था।
दिसंबर 13, 2017: मुंबई की आर्थर रोड जेल, जहां माल्या को प्रत्यर्पण के बाद रखा जाना है चर्चा में आया।
दिसंबर 14, 2017: दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद यह नतीजा निकाला गया कि इस मामले को वर्ष 2018 तक बढ़ाया जाए ताकि सभी प्रक्रियाएं पूरी की जा सकें।
जनवरी 11, 2018: इस मामले में कुछ सबूत की स्वीकार्यता के लिए और उसके खिलाफ तर्क सुनने के लिए सुनवाई फिर से न्यायधीश के पास लौटी।
मार्च 16, 2018: न्यायाधीश ने इस बात पर ध्यान दिलाया कि यह स्पष्ट है कि भारतीय बैंकों की ओर से नियम तोड़े गए थे जिस के जरिए किंगफिशर एयरलाइन्स को लोने की राशि जारी की गई, जैसा कि मामले की सुनवाई में सामने आया है।
अप्रैल 27, 2018: इस मामले में सीबीआई को उस वक्त हिम्मत मिली जब न्यायाधीश ने पुष्टि की कि प्रत्यर्पण मामले में भारतीय अधिकारियों की ओऱ से प्रस्तुत सबूतों में से अधिकांश को स्वीकार्य समझा जाएगा।
जुलाई 31, 2018: अदालत ने भारतीय अधिकारियों से मुंबई में आर्थर रोड जेल का एक वीडियो प्रस्तुत करने के लिए कहा ताकि वह तमाम संदेहों को दूर किया जा सके।
सितंबर 12, 2018: मामले की अंतिम सुनवाई में विजय माल्या ने मीडिया को कोर्ट के बाहर बताया कि मार्च 2016 में भारत छोड़ने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी। अरुण जेटली ने तुरंत इस बयान को खारिज किया और इसे तथ्यात्मक रुप से गलत बताया।
दिसंबर 10, 2018: लंदन के वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। ब्रिटेन के गृह सचिव को दो महीने के भीतर माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर करना होगा। हालांकि माल्या के बचाव पक्ष के पास यूके की ऊपरी अदालतों में इस फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार होगा।