पब्लिक प्रोविडेंट फंड और नेशनल पेंशन सिस्टम, कितना मिलता है ब्याज, क्या है अन्य फीचर्स जानिए
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और एनपीएस या नेशनल पेंशन सिस्टम निवेश के दो अच्छे विकल्प हैं।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और एनपीएस या नेशनल पेंशन सिस्टम निवेश के दो अच्छे विकल्प हैं। पीपीएफ में निवेश से ना सिर्फ टैक्स बेनेफिट्स मिलते हैं बल्कि यह एक सुरक्षित भविष्य की नींव भी रखता है। पीपीएफ में निवेश, ब्याज दर और मैच्योरिटी पर मिली रकम टैक्स फ्री होती है। वहीं, एनपीएस या नेशनल पेंशन सिस्टम एक खास किस्म की रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है। यह एक प्रकार की पेंशन कम इन्वेस्टमेंट स्कीम है जो कि बाजार आधारित रिटर्न की गारंटी देती है। हम इस खबर में दोनों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
पीपीएफ
पीपीएफ का लोगों के बीच पापुलर होने का कारण इस पर लगातार बढ़ती ब्याज दर और टैक्स फ्री रिटर्न है। साल 2018 में इस पर 7.6 फीसद की दर से ब्याज दिया जा रहा है जो कि बाजार में उपलब्ध अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में काफी ज्यादा है। जैसा कि यह एग्जेंप्ट-एग्जेंप्ट-एग्जेंप्ट कैटेगरी में आता है लिहाजा इसमें निवेश पर आपको कोई कर नहीं देना होता है। पीपीएफ के नियमों के मुताबिक इस विकल्प में सालाना न्यूनतम निवेश की सीमा 500 रुपये है। वहीं इसकी अधिकतम सीमा 1.5 लाख तक जाती है।
आंशिक निकासी की सुविधा
जैसा कि पीपीएफ अकाउंट 15 साल के लॉक इन पीरियड के साथ आता है। लेकिन फिर भी यह फंड से आंशिक निकासी की सुविधा देता है।
टैक्सेशन (कराधान)
जैसा कि पीपीएफ अकाउंट एग्जेंप्ट-एग्जेंप्ट-एग्जेंप्ट कैटेगरी में आता है, लिहाजा इसमें लॉक इन पीरियड से पहले की जाने वाली कोई भी निकासी कर के दायरे से बाहर होती है। हालांकि आईटीआर फाइलिंग के दौरान आपको इसका उल्लेख करना होता है कि आपने पीपीएफ खाते से निकासी की है।
एनपीएस
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) सरकारी कर्मचारियों के लिए जनवरी 2004 में शुरू की गई एक एक सरकार प्रायोजित पेंशन योजना है। हालांकि वर्ष 2009 में इसका विस्तार सभी नागरिकों के लिए कर दिया गया। एनपीएस सब्सक्राइबर्स जिस फंड में निवेश करते हैं उसे पेंशन फंड मैनेजर के माध्यम से पैसा बनाने वाली अलग-अलग स्कीम्स में निवेश किया जाता है। इसकी देखरेख पेंशन निधि विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) की ओर से की जाती है। पीएफआरडीए की देखरेख में संचालित एनपीएस खाते में जमा सब्सक्राइबर्स के पैसों को इक्विटी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, सरकारी प्रतिभूतियों (गवर्मेंट सिक्योरिटीज) और अन्य फिक्स्ड इनकम विकल्पों में निवेश किया जाता है। यह जानकारी एनएसडीएल की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
दो तरह के खाते
एनपीएस दो तरह के खातों की पेशकश करता है। टियर-1 और टियर-2। टियर-1 खाते में जमा पैसों को आप तब तक नहीं निकाल सकते हैं जब तक की आपकी उम्र 60 वर्ष की न हो जाए। टियर-2 एनपीएस अकाउंट बचत खाते की तरह काम करता है, जहां सब्सक्राइबर्स को पैसों की निकासी की अनुमति होती है।
इसमें निवेशक अपने रिटायरमेंट खाते में योगदान देता है और नियोक्ता भी कर्मचारी के खाते में इस तरह का योगदान देता है। ग्राहक किसी भी निश्चित लाभ के बिना अपने खाते में योगदान देते हैं और इस पर रिटर्न की राशि कुल कार्पस एवं उस पैसों से हुई आय पर निर्भर करती है। एनपीएस सब्सक्राइबर्स आयकर अधिनियम की धारा 80 CCD (1) के अंतर्गत कुल आय के 10 फीसद तक आयकर कटौती का दावा कर सकते हैं और 80 CCE के अंतर्गत कुल 1.5 लाख रुपये की कर छूट का दावा कर सकते हैं।