विदेश पढ़ने जा रहे हैं, तो ऐसे करें फाइनेंशियल प्लानिंग
यदि आप अपने बच्चे को विदेश में पढ़ाने के लिए पैसा बचा रहे हैं, धन का निवेश कर रहे हैं या एजुकेशन लोन के लिए सोच रहे हैं तो आपको महंगाई को ध्यान में रखना होगा
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। ज्यादातर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे को सबसे अच्छी शिक्षा मिले। अर्थव्यवस्था में जॉब रेट बराबर नहीं है, जिससे छात्रों के लिए नौकरियों को सुरक्षित रखना एक चुनौती है। इस वजह से कई छात्र विदेश में पढ़ना चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि विदेश में पढ़ाई करने से उन्हें आसानी से नौकरी मिल सकती है। एक भारतीय के लिए विदेश में पढ़ना बेहद महंगा होता है और इसके लिए फाइनेंशियल प्लानिंग की आवश्यकता होती है।
यदि आप विदेश में पढ़ने जाना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि आप पहले अच्छे तरीके से वित्त योजना बना लें। विदेश में पढ़ाई करने के लिए सिर्फ कॉलेज की फीस और अध्ययन सामग्री शुल्क शामिल नहीं है, इसमें आवास शुल्क, दिन के खर्च, भोजन के खर्च आदि शामिल हैं।
महंगाई: यदि आप अपने बच्चे को विदेश में पढ़ाने के लिए पैसा बचा रहे हैं, धन का निवेश कर रहे हैं या एजुकेशन लोन के लिए सोच रहे हैं तो आपको महंगाई को ध्यान में रखना होगा, अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो शिक्षा की पूरी लागत को कवर करने के लिए आपकी बचत, निवेश या लोन पर्याप्त नहीं होगी।
टाइम: विदेश में शिक्षा के लिए बहुत सारे रुपये की आवश्यकता होती है और महीनों में पैसा बचाना संभव नहीं होता है, इसलिए बच्चे के जन्म से पहले माता-पिता को इसके लिए योजना बनानी शुरू कर देनी चाहिए। इससे उन्हें पैसे बचाने या निवेश के लिए पर्याप्त समय मिलेगा जिससे अच्छा रिटर्न मिलेगा।
एजुकेशन लोन: एजुकेशन लोन पर निर्भर रहना पूरी तरह से सही नहीं है। यदि आपकी मुद्रा स्थानीय मुद्रा के खिलाफ कम होती है और महंगाई बढ़ती है तो यह आपकी एजुकेशन लोन के खर्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी। अगर आप ज्यादा लोन लेते हैं तो बाद में परेशानी हो सकती है क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आप अपने वेतन से लोन चुकाने में सक्षम होंगे।
चाइल्ड प्लान: आजकल बहुत सी कंपनियां चाइल्ड प्लान देती हैं और गारंटीड रिटर्न का वादा करती हैं जिससे आपके बच्चे की शिक्षा को बढ़ावा मिलता है। इन योजनाओं की एक लंबी लॉक-इन अवधि होती है। वास्तव में हर साल कॉलेज की फीस में वृद्धि के साथ, ये योजनाएं आपको अच्छे भारतीय कॉलेज में उच्च शिक्षा के लिए फंड भी नहीं दे सकती हैं। ऐसी योजनाओं से दूर रहने की कोशिश करें और इसके बजाय अन्य निवेश साधनों जैसे म्युचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, पीपीएफ आदि का चयन करें।