Happy New Year 2019: नए वर्ष में कैसा प्रदर्शन करेगा बाजार, किन सेक्टर्स में होगा मुनाफा और कहां सर्तक रहें निवेशक?
निवेशकों की दिलचस्पी यह जानने में ज्यादा रहती है कि इस वर्ष बाजार कैसा प्रदर्शन करेगा, कहां और किस सेक्टर में निवेश कर उन्हें मोटा मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा
नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। नए साल का सबसे ज्यादा इंतजार निवेशकों को ही होता है। फिर वो चाहे शेयर बाजार के निवेशक हों या सामान्य बचत योजना में निवेश करने वाले या फिर फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), गोल्ड और सेविंग्स एकाउंट जैसे परंपरागत निवेश विकल्प को चुनने वाले। निवेश, बचत और रिटर्न के लिहाज से देखें तो नए साल से काफी कुछ बदल जाता है। तिमाही आधार पर संशोधित होने वाली छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें, फरवरी में पेश होने वाला आम बजट और बैंकों की ओर से जमा योजनाओं पर बदलती ब्याज दरें निवेशकों को नए वर्ष में काफी एक्टिव कर देती है। ऐसा इसलिए क्योंकि नए साल के जुलाई महीने में आईटीआर फाइल करना होता है जहां आपको अपनी बचत और टैक्स सेविंग से जुड़ी तमाम जानकारियां देनी होती हैं।
निवेशकों की दिलचस्पी यह जानने में ज्यादा रहती है कि इस वर्ष बाजार कैसा प्रदर्शन करेगा, कहां और किस सेक्टर में निवेश कर उन्हें मोटा मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा और कहां पर निवेश करना उनके लिए नासमझी वाला फैसला रहेगा। नए साल में बतौर निवेशक अगर आपकी दिलचस्पी भी यही जानने में है तो आपको हमारी यह खबर पढ़नी चाहिए। हमने इस संबंध में ब्रोकिंग फर्म कार्वी कमोडिटी के हेड रिसर्च डॉ. रवि सिंह से विस्तार से बात की है।
वर्ष 2019 में कैसा रहेगा बाजार?
डॉ. रवि सिंह ने बताया, "वर्ष 2019 के दौरान बाजार में उतार-चढ़ाव का माहौल जरूर रहेगा, लेकिन इस वर्ष निवेशकों को काफी अच्छे मौके मिलेंगे, जिसकी कुछ प्रमुख वजहें भी हैं। इसी वर्ष देश में आम चुनाव होने हैं। अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में इजाफे के बाद अब आगे इसके बढ़ने की संभावना कम है लिहाजा बाजार में लिक्विडिटी रहेगी जो कि एक अच्छी बात है। अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वार वर्ष 2019 में ठंडा पड़ सकता है। बैंकों के ब्याज दरों की बात करें तो बजट में लोकलुभावन योजनाओं की संभावना से इसके नरम रहने की संभावना है जिससे लोन सस्ता होकर आम लोगों को फायदा होगा साथ ही बैंकिंग सेक्टर को भी।"
किन सेक्टर्स में निवेश करना इस वर्ष रहेगा फायदेमंद?
डॉ. रवि सिंह ने बताया कि इस वर्ष पांच सेक्टर्स के बढ़िया प्रदर्शन करने की उम्मीद है, जो कि सीधे तौर पर निवेशकों को ही फायदा दिलाएंगे। इनमें बैंकिंग सेक्टर, फार्मा सेक्टर, आईटी सेक्टर, ऑटो सेक्टर और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स।
बैंकिंग सेक्टर: देश का बैंकिंग सेक्टर वर्तमान में करेक्शन और सुधार के दौर से गुजर रहा है। क्रूड की गिरावट से हमारा रुपया मजबूत हो रहा है, देश का फॉरेक्स रिजर्व मजबूत स्थिति में है, लिहाजा बैंकों की ओर से लोन पर इंटरेस्ट रेट कम होने की संभावना है। लोन पर इंटरेस्ट रेट कम होने से आम आदमियों के साथ ही बैंकिंग सेक्टर को भी फायदा होगा। देश का बैंकिंग सेक्टर वर्ष 2019 में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
डॉ रवि सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार बैंकों के पुनर्पूंजीकरण पर जोर दे रही है जिससे लोन ग्रोथ में सुधार दिख सकता है। यह बैंकों को उनके एनपीए के मुद्दों को सुलझाने के साथ ही सकारात्मक आर्थिक विकास को फिर से तेज करने में मदद कर सकता है। म्युचुअल फंड के अधिकतम निवेश में बैंकिंग सेक्टर भी शामिल है। अगर व्यवहारिक तौर पर देखें तो बैंकिंग सेक्टर में सुधार के बिना भारतीय अर्थव्यवस्था में बदलाव संभव नहीं है। अधिकांश सरकारी बैंकों के एनपीए उच्चतम स्तर पर हैं। ऐसे काफी सारे बैंक हैं जिनकी नेट वर्थ उनके नेट एनपीए से अधिक है। अगली 3-4 तिमाहियों में इनमें रिकवरी दिख सकती है, यह जब होगा तब सरकारी बैंक अच्छी स्थिति में होंगे और उनमें एक नई रैली दिख सकती है।
फार्मा सेक्टर: वर्ष 2019 में देश के फार्मा सेक्टर के भी बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है। डॉ. रवि सिंह ने बताया कि इस वर्ष सनफार्मा और ल्युपिन जैसी कंपनियों के बेहतर करने की उम्मीद है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय फार्मा कंपनियों पर सेंक्शन्स में नरमी भी इस सेक्टर के लिए बेहतर संकेत दे रही है। वहीं देश में इलाज दुनिया के तमाम देशों से सस्ता होने के कारण कई देश के लोग भारत में इलाज करवाने को तवज्जो दे रहे हैं।
डॉ सिंह ने बताया कि सरकार ने हाल ही में आयुष्मान भारत कैंपेन को लॉन्च किया है जो पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की गहरी पैठ सुनिश्चित करेगा। ये चिकित्सा सेवाओं की मांग में तेजी लाने का काम करेगा। संयुक्त राज्य अमेरिका में फार्मा क्षेत्र में समेकन से क्षेत्र पर मूल्य निर्धारण का दबाव कम हो सकता है। आगामी विलय और अधिग्रहण से वैश्विक फार्मा क्षेत्र को गति मिलेगी। इसलिए इस सेक्टर में सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाई दे सकता है।
ऑटो सेक्टर: अगर बैंकों की ओर से इस वर्ष लोन पर ब्याज दरों में कटौती की जाती है तो जाहिर तौर पर ऑटो लोन वाली कंपनियां अपने ग्राहकों को तेजी से आकर्षित करेंगी। कम बजट में तमाम विकल्प उपलब्ध रहने और सस्ते रॉ मैटिरियल के उपलब्ध होने के कारण इस वर्ष ऑटो कंपनियों के अच्छा प्रॉफिट बुक करने की उम्मीद है।
सिंह ने बताया कि वर्ष 2019 का बजट ऑटो सेक्टर के लिए काफी अहम होने वाला है। आगामी बजट में ऑटो सेक्टर को कई महत्वपूर्ण सहायक बिंदुओं पर उम्मीद है। सरकार की ओर से बजट में डायरेक्ट टैक्स के कम होने की उम्मीद है और इससे सीधे तौर पर ऑटो सेक्टर को फायदा पहुंचने की संभावना है। इतना ही नहीं आगामी कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहन की भरमार होने की संभावना है और मार्च के अंत तक कुछ नई कंपनियों की ओर से नई लॉन्चिंग भी हो सकती है।
आईटी सेक्टर: आईटी सेक्टर के बड़े खिलाड़ी जैसे कि टेक महिंद्रा, टीसीएस और इन्फोसिस जैसी कंपनियों को रुपये की मजबूती का फायदा मिला है। इस प्रकार की कंपनियां बेहतर प्रदर्शन करती हैं और उन्हें इस स्थिति में बाजार में अच्छा प्रदर्शन मिलता है क्योंकि उनके राजस्व का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। ऐसी कंपनियां बड़े सरप्लस का लाभ लेती हैं जो कि इनके लिए आम बात है। वर्तमान में रुपया 68 से 69 के स्तर पर कारोबार कर रहा है और यह 70 के कम्फर्ट जोन के आसा पास ट्रेड करता दिख सकता है। भारत में सस्ते लेबर और कम लागत के चलते कुछ कंपनियां भारत में अपने संचालन का विचार बना रही हैं। यह भी सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत है।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स: यह एक ऐसा सेक्टर है जो कि हर हाल में बेहतर प्रदर्शन करता है। डॉ. सिंह का कहना है कि हिंदुस्तान लीवर और डाबर जैसी प्रमुख कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियां हर हाल में बेहतर प्रदर्शन करती है, क्योंकि भारत एक कंज्म्पशन बेस्ड इकॉनमी है जहां खपत पर असर कम ही पड़ता है। लिहाजा वर्ष 2019 में इस सेक्टर के भी बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है।
देश के लोगों की खरीद की ताकत जैसे-जैसे बढ़ रही है, सेक्टर के मध्यम अवधि से लंबी अवधि तक बेहतर करने की उम्मीद है। एक हालिया अध्ययन बताता है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी आबादी के बीच लक्जरी वस्तुओं की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अगर इस वृद्धि का रुझान आगे भी जारी रहा तो कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर के सकारात्मक रहने की उम्मीद है।
इन सेक्टर्स से दूर यानी सतर्क रहें निवेशक: वर्ष 2019 में निवेशक दो सेक्टर्स से दूर रहने की कोशिश करेंगे और उनका ऐसा करना उनके लिए फायदेमंद भी है।
रियल एस्टेट: वर्ष 2019 प्रॉपर्टी सेक्टर के लिए बेहतर नहीं रहेगा। देश की अर्थव्यवस्था फिलहाल बेहतर स्थिति में है और इससे प्रॉपर्टी सेक्टर के बेहतरी की उम्मीद न के बराबर होती है। वर्ष 2019 में प्रॉपर्टी की आपूर्ति अधिक रहने का अनुमान है। काफी सारे प्रोजक्ट के वर्ष 2019 में पूरा होने का अनुमान है और प्रधानमंत्री आवास योजना के कारण भी बाजार में आपूर्ति में और तेजी देखने को मिल सकती है। सप्लाई बढ़ने पर प्रॉपर्टी पर निवेश में भी इजाफा नहीं होता है। प्रॉपर्टी की वर्तमान आपूर्ति को देखते हुए और इस सेक्टर में बढ़ते उपभोग के मद्देनजर इस सेक्टर में निवेश पर अच्छा रिटर्न लगभग असंभव सा मालूम देता है। लिहाजा यह बेहतर रिटर्न नहीं देगा।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियां: ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) के वर्ष 2019 में बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद नहीं है। क्रूड में फिलहाल गिरावट जरूर दिखाई दे रही है, लेकिन इसके 6 से 7 महीनों के भीतर फिर से 60 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की उम्मीद है। डब्ल्यूटीआई क्रूड वर्तमान में 45 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड 54 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है, लेकिन इन दोनों के इसी साल 60 डॉलर का स्तर पार करने की उम्मीद है, क्योंकि दोनों क्रूड अपने न्यूनतम गिरावट के स्तर को छू चुके हैं और अब ये रिकवरी करेंगे जो कि दिखने भी लगी है। लिहाजा अगर क्रूड मजबूत हुआ तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मुनाफा कम होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हम अपनी जरूरत का 80 फीसद क्रूड ऑयात करते हैं और इसके महंगा होने से डॉलर मजबूत होगा और रुपया कमजोर, लिहाजा हमें अभी के मुकाबले ज्यादा पैसे चुकानें होंगे। यानी इन कंपनियों का मुनाफा गिर जाएगा।