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Gold deposit scheme: ज्वैलर्स नहीं कर रहे अपना कमिटमेंट पूरा या दे रहे हैं धोखा तो करें ये काम

Gold deposit schemes निवेशकों को यह बात पता होना चाहिए कि अगर ज्वैलर्स दिवालिया हो जाता है या धोखा देता है तो उनकी जमा पूंजी का क्या होगा।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 03:11 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 08:19 AM (IST)
Gold deposit scheme: ज्वैलर्स नहीं कर रहे अपना कमिटमेंट पूरा या दे रहे हैं धोखा तो करें ये काम
Gold deposit scheme: ज्वैलर्स नहीं कर रहे अपना कमिटमेंट पूरा या दे रहे हैं धोखा तो करें ये काम

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारत में कई बड़े ज्वैलर्स ने गोल्ड डिपॉजिट स्कीम्स लॉन्च की है, इसमें निवेश समान मासिक किस्तों (ईएमआई) के माध्यम से किया जा सकता है। हालांकि, कई लोगों को इसके बारे में मालूम नहीं है और उन्होंने बिना पूरी जानकारी के इस योजना को चुना है। उन्हें यह नहीं मालूम कि अगर ज्वैलर्स अपने वादे को पूरा नहीं कर पाता है तो ऐसी परिस्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई सारे ज्वैलर्स इस स्कीम में किए गए दावे को पूरा नहीं कर पाए हैं।

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गोल्ड डिपॉजिट स्कीम योजनाएं कैसे करती हैं काम, जानिए

गोल्ड डिपॉजिट स्कीम के तहत, ज्वैलर्स आमतौर पर आपको पूर्व-निर्धारित समय के लिए हर महीने एक निश्चित राशि जमा करने की अनुमति देता है। जब टर्म समाप्त होता है, तो जमाकर्ता को जमा की गई राशि के बराबर आभूषण खरीदने की अनुमति होती है। जमाकर्ता को खरीद मूल्य के आधार पर कुछ बोनस या छूट भी दी जाती है।

इसमें लेनदेन मैच्योरिटी के सोने की कीमत पर होता है। वैसे ज्वैलर्स नकद प्रोत्साहन के रूप में एक महीने की किस्त जोड़ते हैं। कुछ ज्वैलर्स एक महीने की किस्त के बदले जमाकर्ताओं को गिफ्ट या कैश इंसेंटिव देते हैं। नियमों की कमी की वजह से ज्वैलर्स ग्राहकों को अलग-अलग टेन्योर और रिटर्न देते हैं। कुछ ज्वैलर्स ने इस तरह के डिपॉजिट पर 15-16% तक ब्याज देने की पेशकश की है। अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए कई ज्वैलर्स ने ग्राहकों से फंड जुटाए हैं और थोक आभूषण आपूर्तिकर्ताओं से गोल्ड लिया है। मुंबई की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वहां लगभग 5,000 उपभोक्ता और 35 से अधिक थोक आपूर्तिकर्ता भुगतान चूक से प्रभावित हुए हैं।

ज्वैलर्स के दिवालिया होने या धोखा देने पर क्या करें

निवेशकों को यह बात पता होना चाहिए कि अगर ज्वैलर्स दिवालिया हो जाता है या धोखा देता है तो उनकी जमा पूंजी का क्या होगा। अगर कोई कंपनी दिवालिया हो जाती है तो इन गोल्ड स्कीम में निवेशकों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, व्यक्तिगत निवेशक की जमा राशि आमतौर पर 1 लाख रुपये से कम होती है और यह इन्सॉल्वेंसी बैंकरप्सी कोड के तहत नहीं आएगी। इसे केवल असुरक्षित क्रेडिट के रूप में माना जाएगा।

सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के दिशानिर्देशों के मुताबिक, अगर किसी भी योजना में जमा 100 करोड़ रुपये से अधिक हो, तो यह सामूहिक निवेश योजना बन जाती है। इसके लिए सेबी की मंजूरी जरूरी है। बता दें कि ज्वैलर्स द्वारा चलाई जाने वाली कुछ ही गोल्ड स्कीम योजनाएं कानूनी हैं। जमाकर्ता के लिए यह जानना जरूरी है कि क्या इस तरह की जमा का ऑफर देने वाली फर्म सार्वजनिक या प्राइवेट लिमिटेड है, या फिर यह साझेदारी या एक स्वामित्व वाली फर्म है।

मालूम हो कि एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी जनता से जमा स्वीकार कर सकती है। कंपनी अधिनियम 2013 ऐसा करने के लिए वैधानिक अधिकार देता है। इसमें रिटर्न पर 12.5% ​​की सीमा है।  


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