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बजट में इस्तेमाल किए जाते हैं ये मुश्किल शब्द, आसान भाषा में समझिए इनका मतलब

5 जुलाई 2019 को वर्तमान केंद्र सरकार ने बजट पेश किया है। इस बजट से कई लोगों की उम्मीदें पूरी हुईं और काफी को निराशा मिली।

By NiteshEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 03:50 PM (IST)
बजट में इस्तेमाल किए जाते हैं ये मुश्किल शब्द, आसान भाषा में समझिए इनका मतलब
बजट में इस्तेमाल किए जाते हैं ये मुश्किल शब्द, आसान भाषा में समझिए इनका मतलब

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 5 जुलाई 2019 को वर्तमान केंद्र सरकार ने बजट पेश किया है। इस बजट से कई लोगों की उम्मीदें पूरी हुईं और काफी को राहत मिली। बजट के दौरान कुछ मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल होता है जिनका मतलब अक्सर लोगों को समझ नहीं आता है। लेकिन हम आपको इस खबर में ऐसे ही कुछ मुश्किल शब्दों का मतलब समझा रहे हैं।

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प्रत्यक्ष कर (Direct Tax): प्रत्यक्ष कर का मतलब उस कर से होता है, जिसका भुगतान उसे ही करना होता है, जिस पर लगाया जाता है। इस तरह का टैक्स व्यक्ति और संस्थानों की आय और उसके स्रोत पर लगता है। सामान्य तौर पर यह संपत्ति और आमदनी पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के जरिए लगता है।

अधिभार (Surcharge): अधिभार भी सेस की तरह टैक्स के ऊपर लगने वाला टैक्स है, लेकिन यह सभी करदाताओं पर नहीं लगाया जाता है, बल्कि एक सीमा से अधिक आमदनी वाले करदाताओं पर लगता है। अधिभार से जो पैसा केंद्र सरकार के पास आता है उसे सरकार सामान्य टैक्स की तरह ही किसी भी उद्देश्य के लिए खर्च करती है। भारत में 50 लाख रुपए से अधिक सालाना आमदनी वाले करदाता को अधिभार चुकाना होता है।

बैलेंस ऑफ पेमेंट (Balance of payment): भुगतान संतुलन (बीओपी) खाता किसी देश और शेष विश्व के बीच सभी मौद्रिक कारोबार का लेखा-जोखा हाता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो किसी एक देश और शेष दुनिया के बीच हुए वित्तीय लेन-देन के हिसाब को बैलेंस ऑफ पेमेंट यानी भुगतान संतुलन कहा जाता है।

सेनवैट (Cenvat): केंद्रीय मूल्य वर्धित कर (सेनवैट) एक तरह का उत्पाद शुल्क है, जो मैन्युफैक्चरर्स (निर्माताओं) पर लगाया जाता है।

बैलेंस बजट (Balanced budget): एक केंद्रीय बजट बैलेंस बजट तब कहलाता है जब वर्तमान प्राप्तियां मौजूदा खर्चों के बराबर होती हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आय और व्यय पर लगने वाला कर काफी है और इससे वस्तु एवं सेवाओं के भुगतान के साथ-साथ राष्ट्रीय कर्ज पर लगने वाले ब्याज को भी अदा किया जा सकता है।

उत्पाद शुल्क (Excise duties): देश में उत्पादित होने वाली वस्तुओं पर जो टैक्स लगता है उसे उत्पाद शुल्क कहा जाता है। यह एक तरह का कर होता है जो कि एक देश की सीमाओं के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगता है।

जीडीपी (GDP): एक वित्त वर्ष के दौरान किसी देश की सीमा के भीतर बनने वाली कुल वस्तुओं एवं सेवाओं के योग को सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी कहा जाता है। यह किसी देश की आर्थिक सेहत को नापने का जरिया और पैमाना होता है।


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