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6 साल में 16,315 घंटे बंद रहा भारत में इंटरनेट, जानिए इससे कितने करोड़ का हुआ नुकसान

इंटरनेट के कुछ घंटे बंद रहने से किसी देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 04:27 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 03:18 PM (IST)
6 साल में 16,315 घंटे बंद रहा भारत में इंटरनेट, जानिए इससे कितने करोड़ का हुआ नुकसान
6 साल में 16,315 घंटे बंद रहा भारत में इंटरनेट, जानिए इससे कितने करोड़ का हुआ नुकसान

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जब बात 4जी से 5जी पर आ गई तो आप वर्तमान समय में इंटरनेट की जरूरत को आसानी से समझ सकते हैं। आज लगभग हर दूसरे हाथ में मोबाइल है और इनमें से अधिकांश लोग इंटरनेट पर बिजी हैं। ऐसे में जरा कल्पना करिए कि अगर इंटरनेट कुछ घंटों के लिए चलना ही बंद हो जाए तो क्या होगा? जरा इसके आर्थिक पहलू के बारे में सोचिए?

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जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारत को पिछले छह सालों में इंटरनेट शट डाउन (बंद करने से) से 21,336 करोड़ का नुकसान हुआ है। इंटरनेशनल काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल काउंसिल (आईसीआरईआरईआर) की ओर से अप्रैल 2018 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले छह वर्षों में भारत में 16,315 घंटे इंटरनेट बंद रहा जिससे सरकार को 3.04 अरब डॉलर (21,336 करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। आईसीआरईआरईआर की ओर से जारी यह आंकड़े 2017 तक के हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 12,615 घंटे मोबाइल इंटरनेट शट डाउन होने से अर्थव्यवस्था को लगभग 2.37 बिलियन डॉलर (16,590 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ, वहीं 2012 से 2017 के बीच 3,700 घंटे मोबाइल और फिक्स्ड लाइन इंटरनेट शटडाउन होने से अर्थव्यवस्था को लगभग 678.4 मिलियन (4,746 करोड़ रुपये) का खर्च उठाना पड़ा।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के मोबाइल ट्रैफिक में 10% की औसत वृद्धि से देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.6% बढ़ जाएगा और इंटरनेट ट्रैफिक (फिक्स्ड लाइन और मोबाइल) में 10% की वृद्धि से देश की जीडीपी में 3.1% की वृद्धि होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में भारत में इंटरनेट शटडाउन की कीमत 968 मिलियन डॉलर (6,485 करोड़ रुपये) आंकी गई थी।

वहीं, इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2016 तक इंटरनेट यूजर्स की संख्या 324% बढ़कर 92 मिलियन से 390 मिलियन हो गई, जबकि चीन में यह आंकड़ा 60% बढ़कर 750 मिलियन, जापान में 20% बढ़कर 120 मिलियन, अमेरिका में 14% बढ़कर 250 मिलियन और ब्राजील में 63% बढ़कर 130 मिलियन तक पहुंच गया था।


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