रेकरिंग डिपॉजिट बनाम बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट: जानें कहां निवेश करना फायदे का सौदा
आमतौर पर निवेशक आरडी और एफडी में कहां निवेश करें को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सुरक्षित एवं बेहतर रिटर्न की तलाश में रहने वाले लोगों के लिए बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और रेकरिंग डिपॉजिट (आरडी) दो बेहतर विकल्प माने जाते हैं। एफडी आपको साधारण बचत खाता या चालू खाता की तुलना में अधिक ब्याज देता है। सब्सक्राइबर्स निर्धारित अवधि के लिए लंपसम राशि एफडी में निवेश कर सकते हैं। वहीं रेकरिंग डिपॉजिट यानी आवर्ती जमा खाता, एक ऐसी सुविधा है जिसमें आप थोड़ा-थोड़ा करके हर महीने निवेश कर सकते हैं।
आमतौर पर निवेशक ऐसे विकल्प की तलाश में रहते हैं, जहां उन्हें कम समय में ज्यादा रिटर्न हासिल हो। लेकिन बात फिक्स्ड डिपॉजिट की हो या रेकरिंग डिपॉजिट की निवेश विकल्प के चयन की अधिकांशतया: निवेशक कन्फ्यूज ही रहते हैं। निवेशक आसानी से यह निर्णय नहीं ले पाते हैं कि उन्हें किस विकल्प का चुनाव करना चाहिए। ऐसे में किसी भी विकल्प को चुनने से पहले आपको बतौर निवेशक एफडी और आरडी दोनों के ही फायदे एवं नुकसान पता होने चाहिए।
फिक्सड डिपॉजिट के फायदे: फिक्सड डिपॉजिट में निवेशक को तय अंतराल पर निश्चित रिटर्न मिलता है साथ ही बाजार के उतार-चढ़ाव का इस पर कोई असर नहीं पड़ता। 7 दिन से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए आम तौर पर 4 फीसद से लेकर 8 फीसद का इंटरेस्ट रेट ऑफर किया जाता है। एफडी की समय अवधि समाप्त होने के बाद निवेशक को पूरी राशि ब्याज सहित वापस मिल जाती है। साथ ही बैंक भी समय-समय पर समीक्षा कर बाजार के अनुरूप फिक्स्ड डिपॉजिट की दर को तय करते हैं। तमाम बैंकों की ओर से दी जाने वाली दर में मामूली सा अंतर होता है।
कितना मिलता है ब्याज: बैंक और एनबीएफसी में उपलब्ध करवाई जाने वाली एफडी 7 दिन से लेकर 10 वर्षों तक की होती है। इसमें अवधि के हिसाब से 3.5 फीसद से लेकर 8.50 फीसद तक का प्रतिवर्ष ब्याज मुहैया करवाया जाता है। केटीडीएफसी जो कि एक नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) है वो 7 दिन से लेकर 5 साल तक की एफडी पर 8 से लेकर 8.50 फीसद तक का सालाना ब्याज मुहैया करवाती है जिसकी गणना तिमाही चक्रवृद्धि आधार पर की जाती है। सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में भी 7 दिनों से लेकर 10 साल तक की एफडी पर 5.75 फीसद से लेकर 7.25 फीसद तक का ब्याज मुहैया करवाया जाता है। एफडी पर ब्याज किसी के आयकर स्लैब के अनुसार लगाया जाता है। यदि ब्याज राशि दस हजार रुपये से अधिक है तो बैंक उस पर दस फीसद टीडीएस काटेगा।
रेकरिंग डिपॉजिट के फायदे: नियमित सेविंग के लिहाज से इसे बेहतर माना जाता है। एफडी और आरडी दोनों पर ही मिलने वाला ब्याज लगभग एक जैसे ही होते हैं। आरडी पर ब्याज दरें 7.25 फीसद से 9 फीसद तक होती हैं। ये कस्टमर के प्लान और बैंक पर निर्भर करता है। इसमें सबसे बड़ा फायदा यह है कि अधिकांश बैंकों की रेकरिंग डिपॉजिट में निवेश की न्यूनतम सीमा 100 रुपये से शुरू है। वहीं, अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये तक है। हालांकि ज्यादातर यह सीमा बैंकों पर निर्भर करती है। खाते में पांच से 10,000 हजार रुपए तक मेंटेन रखने होते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट:
फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी बताते हैं कि फिक्स्ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट में बुनियादी फर्क ये है कि अगर आप रेगुलर सेविंग करना चाहते हैं तो आपके लिए रेकरिंग डिपॉजिट बेहतर विकल्प है। लेकिन अगर आप लंपसप निवेश करना चाहते है तो आपको फिक्स्ड डिपॉजिट का चुनाव करना चाहिए। ब्याज के लिहाज से दोनों में कोई खास अंतर नहीं होता है। निवेश के लिए एफडी और आरडी दोनों ही अच्छे विकल्प हैं। दोनों लगभग एक जैसी ही सुविधाएं प्रदान करते हैं। ऐसे में एक वेतनभोगी के लिए आरडी में निवेश करना सही होगा क्योंकि उसे नियमित आय प्राप्त होती है जबकि एकमुश्त राशि के साथ व्यक्ति एफडी में निवेश कर सकता है।