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बचत खाते में मिनिमम बेलेंस न रखने पर चार्ज लगाने वाले सरकारी बैंकों को फटकार

बैंकों को ब्याज के रूप में जितनी आय होती है उसके मुकाबले चार्ज के रूप में वसूली जाने वाली यह राशि एक प्रतिशत भी नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 07:49 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 07:47 AM (IST)
बचत खाते में मिनिमम बेलेंस न रखने पर चार्ज लगाने वाले सरकारी बैंकों को फटकार
बचत खाते में मिनिमम बेलेंस न रखने पर चार्ज लगाने वाले सरकारी बैंकों को फटकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बचत खाते में मिनिमम बेलेंस न रखने वाले ग्राहकों पर चार्ज लगाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सरकार ने फटकार लगायी है। केंद्र ने बैंकों से साफ कहा है कि इस तरह का चार्ज लगाने से आम लोगों के बीच बैंकों की नकारात्मक छवि बनती है। इसलिए उन्हें ग्राहकों को उनके बचत खाते में न्यूनतम जमाराशि रखने के लिए आकर्षित करने को वैकल्पिक बैंकिंग उत्पाद शुरु करने की संभावनाएं तलाशनी चाहिए।

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सूत्रों ने कहा कि बचत खाते में मिनिमम बेलेंस न रखने पर चार्ज लगने का मुद्दा हाल में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई सरकारी बैंकों की बैठक में उठा। यह बैठक सरकारी बैंकों के कामकाज की समीक्षा करने के लिए बुलायी गयी थी। इसी बैठक में बैंकों को मिनिमम बेलेंस पर चार्ज लगाने के मुद्दे पर हिदायत दी गयी।

सूत्रों ने कहा कि मिनिमम बेलेंस चार्ज से बैंकों को कुछ खास कमाई नहीं हो रही है। इसके उलट यह चार्ज लगने से बैंकिंग उद्योग के बारे में एक नकारात्मक छवि बन रही है। खासकर आम लोगों के नजरिए से बैंकों को लेकर नकारात्मक छवि उभर रही है। इसलिए बैंकों को चाहिए कि वे ग्राहकों को बैंक खाते में न्यूनतम बेलेंस रखने के लिए आकर्षित करने के लिए वैकल्पिक बैंकिंग उत्पाद शुरु करने की संभावनाएं तलाशें।

उल्लेखनीय है कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2017-18 में मिनिमम बेलेंस न रखने वाले बचत खाताधारकों से चार्ज के रूप में 3551 करोड़ रुपये वसूले हैं। सूत्रों ने कहा कि जब पांच सरकारी बैंकों का विश्लेषण कर यह जानने का प्रयास किया गया कि मिनिमम बेलेंस न रखने पर चार्ज के रूप में वसूली गयी राशि बैंकों की ब्याज से होने वाली आय के मुकाबले कितनी है तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया।

बैंकों को ब्याज के रूप में जितनी आय होती है उसके मुकाबले चार्ज के रूप में वसूली जाने वाली यह राशि एक प्रतिशत भी नहीं है। इसी तरह बैंकों के ब्याज पर व्यय के मुकाबले यह राशि मात्र एक प्रतिशत के आस-पास है। यही वजह है कि सरकार ने अब बैंकों को यह हिदायत दी है।


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