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PPF, NSC और सुकन्‍या योजनाओं पर 1 जुलाई से कम मिलेगा ब्‍याज, जानिए क्‍या होंगी नई दरें

सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) सहित कई लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में 10 आधार अंकों (0.1%) की कटौती कर दी है

By Manish MishraEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 09:09 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 08:39 AM (IST)
PPF, NSC और सुकन्‍या योजनाओं पर 1 जुलाई से कम मिलेगा ब्‍याज, जानिए क्‍या होंगी नई दरें
PPF, NSC और सुकन्‍या योजनाओं पर 1 जुलाई से कम मिलेगा ब्‍याज, जानिए क्‍या होंगी नई दरें

नई दिल्‍ली (बिजनेस डेस्‍क)। लघु बचत योजनाओं जैसे PPF, NSC और सुकन्‍या समृद्धि योजना में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए यह एक जरूरी खबर है। सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना, राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) सहित कई लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में 10 आधार अंकों (0.1%) की कटौती कर दी है। केंद्र के इस कदम से बचतकर्ताओं की आय पर असर पड़ेगा। लेकिन इससे सस्ते कर्ज का रास्ता साफ होगा। नई दरें चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी पहली जुलाई से 30 सितंबर की अवधि के लिए जारी की गई हैं।

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वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के अनुसार लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में 0.1 फीसद की कमी की गई है। विभाग ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब रिजर्व बैंक (RBI) इस साल तीन बार ब्याज दरों में कटौती कर चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि बचत योजनाओं पर ब्याज दरें घटने से सस्ते कर्ज का रास्ता साफ होगा।

सरकार ने हालांकि सेविंग्स डिपॉजिट पर ब्याज की दर सालाना चार फीसद पर ही बरकरार रखी है। वित्त मंत्रालय हर तिमाही लघु बचत योजनाओं के लिए ब्याज दर तय करता है। पीपीएफ और एनएससी पर अब सालाना 7.9 फीसद ब्याज मिलेगा। वहीं किसान विकास पत्र पर 7.6 फीसद ब्याज मिलेगा। किसान विकास पत्र अब 133 महीने में मैच्योर होगा जबकि पहले यह अवधि 112 महीने थी। इसी तरह सुकन्या समृद्धि योजना पर अब 8.4 फीसद ब्याज मिलेगा। वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजना पर 8.6 फीसद ब्याज मिलेगा। सरकार ने एक वर्ष, दो वर्ष और तीन वर्ष की जमा योजनाओं पर भी ब्याज दर सात से घटाकर 6.9 फीसद करने का फैसला किया है। इन योजनाओं पर ब्याज दर तिमाही आधार पर लागू होती है।

सस्‍ता होगा लोन

लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती से सस्ते कर्ज का रास्ता साफ होगा। दरअसल रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कटौती के बावजूद ब्याज दरों में कमी नहीं आ रही थी। चूंकि सरकारी लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर अधिक था, इसलिए बैंक भी अपनी जमाराशियों पर ब्याज दरें घटाने से हिचक रहे थे। इसके चलते उनकी कॉस्ट ऑफ फंड बढ़ रही थी, जिसके कारण वे कर्ज सस्ता नहीं कर पा रहे थे। उद्योग जगत की भी मांग थी कि लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती की जाए। लघु बचत योजनाओं के माध्यम से जो राशि सरकार के पास जमा होती है, उसे राज्य सरकारें उधार लेती हैं।


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