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31 मार्च तक जरूर निपटा लें निवेश और बचत से जुड़े ये 7 काम, होगा फायदेमंद

वित्त वर्ष की समाप्ति टैक्स प्लानिंग के नजरिए बेहद अहम होती है। इनकम टैक्स बचाने के लिए निवेश करने हों या खर्चों को क्लेम करना हो 31 मार्च की तारीख इन सभी के लिए बेहद अहम होती है।

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 08 Mar 2018 10:10 AM (IST)Updated: Sat, 24 Mar 2018 01:28 PM (IST)
31 मार्च तक जरूर निपटा लें निवेश और बचत से जुड़े ये 7 काम, होगा फायदेमंद
31 मार्च तक जरूर निपटा लें निवेश और बचत से जुड़े ये 7 काम, होगा फायदेमंद

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2018 खत्म होने में कुछ ही समय रह गया है। ऐसे में हर निवेशक और नौकरीपेशा व्यक्ति को कुछ जरूरी काम वित्त वर्ष की आखिरी तारीख यानी 31 मार्च से पहले निपटा लेने चाहिए। अपनी इस खबर में हम आपको ऐसे ही सात जरूरी कामों के बारे में बता रहे हैं जो जिन्हें आपको समय रहते निपटा लेना चाहिए। 

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पिछले नियोक्ता से मिली सैलरी की भरे जानकारी
अगर आप मौजूदा साल में एक से ज्यादा नियोक्ता के साथ जुड़े रहें हैं और अबतक पिछले नियोक्ता से वर्तमान नियोक्ता के पास अपनी जानकारी अपडेट नहीं की है तो पहले इस काम को निपटा लें। इससे वे आपके कर कटौती के लिए टैक्स की गणना कर सकेगा। अपने नियोक्ता के पास फॉर्म 12बी में सारी डिटेल्स स्पष्ट करें। ऐसा न करने की स्थिति में रिटर्न फाइल करते दौरान आपको भारी टैक्स भरना पड़ सकता है। ऐसा तब होता है जब आप ने वित्त वर्ष के दौरान नौकरी बदली हो।

अपने बैंक रिकॉर्ड्स से कटौती की राशि को करें वेरिफाई
सेक्शन 80 सी के तहत कटौती हासिल करने के लिए हम अपने बैंक खाते से ईसीएस (इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सिस्टम) डेबिट की सुविधा का लाभ उठाते हैं जैसे जीवन बीमा का प्रीमियम, एसआईपी के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), होम लोन की ईएमआई आदि। ऐसा कई बार होता है जब ईसीएस डेबिट कुछ कारणों की वजह से न हो पाया हो। जैसे जीवन बीमा के प्रीमियम के लिए आपने चेक दिया हो लेकिन उसे बैंक भेजा ही न हो। इसलिए अपनी सभी योग्य कटौती को वेरिफाई और क्रॉस चेक कर लें।

एडवांस टैक्स का भुगतान
आपको अपनी मौजूदा साल की आय पर एडवांस टैक्स का भुगतान करना होता है। अगर आपकी नेट टैक्स देनदारी उस साल के लिए टीडीएस कटने के बाद 10,000 रुपये से पार हो जाए। साथ ही इसके अगर आप वरिष्ठ नागरिक हैं और किसी तरह के व्यवसाय या प्रोफेशन से नहीं जुड़े हैं तो इस टैक्स का भुगतान नहीं करना होता। यह टैक्स चार इंस्टॉलमेंट्स में भरा जाता है 15 फीसद, 30 फीसद, 30 फीसद और 25 फीसद। अगर आप इन चार में से शुरू की तीन इंस्टॉलमेंट भरने से चूक भी जाते हैं तो बकाया एडवांस टैक्स राशि को 15 मार्च तक भर सकते हैं। यह तारीख एडवांस टैक्स भुगतान की अंतिम तिथि होती है। अगर आप एडवांस टैक्स भरने के योग्य हैं और इसे भरने से चूक जाते हैं तो इस स्थिति में आपको नॉन पेमेंट और देरी से रिटर्न फाइल करने के लिए दोगुना ब्याज का भूगतान करना होगा।

पीपीएफ खाते और एनपीएस खाते में न्यूनतम योगदान
अगर आपने पीपीएफ खाता अपने या बच्चों या पार्टनर के नाम पर खुलवाया है तो हो सकता है कि आपने सेक्शन 80 सी के तहत मिलने वाली लिमिट को बिना पीपीएफ खाते में योगदान करे खत्म कर दिया हो। इस स्थिति में आपको अपने पीपीएफ खाते में हर साल न्यूनतम 500 रुपये का योगदान करना चाहिए ताकि खाता डॉरमेंट न हो। इस खाते को 100 रुपये पेनल्टी और 500 रुपये डिफॉल्ट के प्रत्येक वर्ष के हिसाब से वापस एक्टिव किया जा सकता है। एनपीएस खाते के लिए हर साल न्यूनतम 1000 रुपये जमा करना जरूरी है।

वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लिए लंबित रिटर्न करें फाइल
मौजूदा कर कानून के मुताबिक आप किसी भी समय पर एक बार में दो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हो। हालांकि, अगले वर्ष से आप आयकर कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत आप एक निश्चित समय सीमा के भीतर दो वित्त वर्ष के लिए रिटर्न फाइल कर सकते हैं। लेकिन 31 मार्च, 2018 के बाद से आपको यह सुविधा नहीं मिलेगी। इसलिए अगर आपने पिछले दो वर्षों वित्त वर्ष 2015-2016 और वित्त वर्ष 2016-17 के लिए आयकर रिटर्न फाइल नहीं किया है तो 31 मार्च, 2018 से पहले कर लें।

नियोक्ता के पास जमा कराएं दस्तावेज
अगर आप नौकरीपेशा हैं तो इस महीने की सैलरी की गणना से पहले रिम्बर्समेंट के बिल और एचआरए की राशि क्लेम करने के लिेए किराए की रसीदें जमा करवा दें। ध्यान रहे अगर आप वित्त वर्ष के दौरान 1 लाख रुपए से ज्यादा का किराया देते हैं तो मकानमालिक का पैन कार्ड लगाना अनिवार्य होगा। जबकि इससे कम होने पर केवल किराए की रसीदें जमा की जा सकती हैं।  

टैक्स छूट वाला निवेश
अगर आपने अभी तक 80C या किसी अन्य धारा के अंतर्गत निवेश या खर्च करके मिलने वाली इनकम टैक्स छूट का फायदा नहीं उठाया है तो अभी भी वक्त है। 31 मार्च तक का पीपीएफ, एनपीएस, सुकन्या जैसी स्कीमों में निवेश कर या मेडिकल इंश्योरेंस जैसी मदों में खर्च करके टैक्स बेनेफिट ले सकते हैं।


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