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असेट अलोकेशन की नीति अपनाने पर निफ्टी से ज्यादा रिटर्न देते हैं म्‍युचुअल फंड

म्यूचु्अल फंड में निवेश करते समय निवेशकों को जिस बात पर सबसे पहले फोकस करना चाहिए वह यह कि उनका निवेश असेट अलोकेशन पर आधारित हो (Pic Pixabay.com)

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 11:24 AM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 08:32 AM (IST)
असेट अलोकेशन की नीति अपनाने पर निफ्टी से ज्यादा रिटर्न देते हैं म्‍युचुअल फंड
असेट अलोकेशन की नीति अपनाने पर निफ्टी से ज्यादा रिटर्न देते हैं म्‍युचुअल फंड

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। म्यूचु्अल फंड में निवेश करते समय निवेशकों को जिस बात पर सबसे पहले फोकस करना चाहिए वह यह कि उनका निवेश असेट अलोकेशन पर आधारित हो। यानी वह जो निवेश कर रहे हैं वह डेट और इक्विटी दोनों में बंटा हो क्योंकि इनसे जोखिम कम होता है और रिटर्न अच्छा मिलता है। इसी तरीके को अपनाते हुए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्‍युचुअल फंड सहित कई और म्‍युचुअल फंडों ने रिटर्न के मामले में निफ्टी को पीछे छोड़ दिया है।

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आंकड़ों पर गौर करें तो स्‍पष्‍ट होता है कि विभिन्‍न एसेट क्‍लास के बीच में जब निवेश किया जाता है तो इसका परिणाम लंबी अवधि में सकारात्‍मक होता है। पिछले एक दशक में जब भी बाजार तेजी या मंदी में रहा है, तो निफ्टी 50 टीआरआई ने 10.2 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि इसी अवधि में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्‍युचुअल फंड के असेट अलोकेटर फंड ने 12.1 फीसदी का रिटर्न दिया है, वह भी जब इसका एक्सपोजर इक्विटी में केवल 41 फीसदी रहा है। 

इसका मतलब यह हुआ कि आपने अगर 2010 में निफ्टी में 10 लाख रुपये का निवेश किया होगा तो यह राशि बढ़कर 24,93,534 रुपये हो गई होगी, जबकि आईसीआईसीआई अलोकेटर फंड में यह बढ़कर 29,31,572 रुपये हो गई होगी। यानी निवेशकों को बेंचमार्क की तुलना में करीबन 4.50 लाख रुपये का अधिक फायदा हुआ है।

यही नहीं, जब भी बेंचमार्क सूचकांकों का रिटर्न सपाट रहा है, तब भी उपरोक्त फंड दो अंकों में रिटर्न देने में सफल रहा है, जिससे पता चलता है कि असेट अलोकेशन की रणनीति कितनी फायदेमंद रहती है। ऐसा देखा जाता है कि जब भी बाजार में गिरावट होती है, निवेशक तुरंत डर के मारे इक्विटी में बिकवाली करने लगते हैं। ऐतिहासिक रूप से भारत के बाहर भी ऐसा कई बार देखा गया है। जब भी बात इक्विटी निवेश और रणनीति की आती है तो निवेशकों को कम मूल्य पर खरीद कर ऊंचे मूल्य पर बेचने की रणनीति का पालन करना चाहिए। इसी तरह की रणनीति को अपनाते हुए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल असेट अलोकेटर फंड निवेशकों को अच्छा लाभ देता है।

आंकड़ों के मुताबिक 2017 में अगस्त और सितंबर तथा 2018 में फरवरी और सितंबर ऐसे महीने रहे हैं जब बाजार का मूल्यांकन अपने शीर्ष स्तर पर रहा है। रिटेल निवेशकों ने उस समय बाजार में 16,000-21,000 करोड़ रुपये का निवेश किए। जबकि दूसरी ओर जब बाजार का मूल्यांकन जनवरी और सितंबर 2013 में निचले स्तर पर था, निवेशकों ने 17,000 करोड़ रुपये बाजार से निकाल लिए। इसी तरह का रुझान मार्च 2014 में भी देखा गया, जब निवेशकों ने 13,000 करोड़ रुपये की निकासी की। 

इस तरह की आदत निवेशकों की वित्तीय स्थिति पर काफी बुरा असर डालती है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इसके उलट असेट अलोकेशन का पालन करता है और इनहाउस वैल्‍यूएशन मॉडल का पालन करता है जो तमाम मैक्रो और माइक्रो कारकों पर आधारित होता है। निवेशक ऐसे मामले में इस तरह के फंड में एसआईपी के जरिए भी निवेश कर सकते हैं। लेकिन यह भी देखना होगा कि यह निवेश लंबी अवधि के लिए हो।


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