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म्युचुअल फंड: SIP के जरिए घर खरीदना हो सकता है आसान, जानिए कैसे

घर खरीदना हर किसी का सपना होता है। इसको पूरा करने के लिए लोग अपनी जीवनभर की जमा पूंजी लगा देते हैं

By NiteshEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 05:03 PM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 02:00 PM (IST)
म्युचुअल फंड: SIP के जरिए घर खरीदना हो सकता है आसान, जानिए कैसे
म्युचुअल फंड: SIP के जरिए घर खरीदना हो सकता है आसान, जानिए कैसे

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। घर खरीदना हर किसी का सपना होता है। इसको पूरा करने के लिए लोग अपनी जीवनभर की जमा पूंजी लगा देते हैं। वहीं कई बार इसके लिए होम लोन लेना पड़ता है। हम आपको घर खरीदने के लिए सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के बारे में बता रहे हैं कि म्युचुअल फंड एसआईपी किस तरह आपके घर खरदीने के लिए मददगार साबित हो सकता है।

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भुगतान के लिए निवेश: फर्ज कीजिए, आपको होम लोन की राशि का 10-25% डाउन पेमेंट करना है। यदि आप अगले 5-7 सालों में होम लोन लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको लोन के डाउन पेमेंट के लिए एसआईपी के माध्यम से म्युचुअल फंड में निवेश शुरू करना चाहिए।

उदहारण के तौर पर, आप अगले पांच वर्षों में 1 करोड़ रुपये का घर खरीदने की योजना बना रहे हैं और इसके लिए 25% का भुगतान करना है, तो आपको 25 लाख रुपये की राशि इकठ्ठा करनी होगी। 25 लाख जोड़ने के लिए आपको पांच साल में 30,000 रुपये प्रति माह निवेश करना होगा, उसमें भी आपको रिटर्न के रूप में 12% मिलना चाहिए। एक बार डाउन पेमेंट की राशि जमा कर लेने पर आप होम लोन के लिए सबसे उपयुक्त ऋणदाता चुनकर अप्लाई कर सकते हैं।

जल्द करें शुरू: अगर आप एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं, तो होम लोन के लिए आपका पहला टारगेट डाउन पेमेंट देने के लिए होना चाहिए और दूसरा प्रीपेमेंट के लिए। आप जितना जल्द एसआईपी के जरिए निवेश शुरू करेंगे आपके पैसे की बढ़ने की संभावना उतनी ज्यादा होगी। इस तरह होम लोन के लिए अच्छा पैसा जोड़ सकते हैं।

प्रत्यक्ष योजनाओं का चयन: प्रत्यक्ष योजनाओं से निवेशक सीधे फंड हाउसों से म्युचुअल फंड खरीद सकते हैं, जबकि नियमित योजनाओं में मध्यस्थों को उनसे जुड़ी फीस देनी होती है। प्रत्यक्ष योजना नियमित योजनाओं की तुलना में अच्छा रिटर्न देते हैं।

अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें: घर के लिए फंड जुटाना आसान काम नहीं है। इसके लिए एक लंबी अवधि के निवेश की आवश्यकता होती है, इसलिए आपने जो फंड चुना है उसके प्रदर्शन को समय-समय पर ट्रैक करते रहिए, साथ ही पोर्टफोलियो की समीक्षा करिए। यदि आपका मौजूदा फंड लगातार कुछ वर्षों से (लगभग 2-3 साल) अच्छा रिटर्न नहीं दे रहा है, तो आप ऐसे फंड में निवेश बंद कर दें।


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