अक्षय तृतीय पर सोना नहीं गोल्ड बॉण्ड खरीदिए, होंगे ये 10 फायदे
गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने से मिलते है ये 10 बड़े फायदे
नई दिल्ली (जेेएनएन)। भारत में गोल्ड का सबसे ज्यादा उपभोग गहने बनवाने में होता है। बीते कुछ वर्षों में सरकार ने फिजिकल गोल्ड की डिमांड कम करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। मसलन, गोल्ड बॉण्ड एवं सोने के सिक्के जारी किए और गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम लॉन्च करके घर में रखे सोने को बाहर लाने का प्रयास किया इत्यादि। आपको बता दें अगर आप अक्षय तृतीय के मौके पर सोने में निवेश का मन बना रहे हैं तो फिजिकल गोल्ड की जगह पेपर या डिजिटल गोल्ड के रूप में निवेश करना आपके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है। साथ ही शादियों में भी गहनों की जगह धीरे-धीरे पेपर गोल्ड का चलन शुरू हो रहा है।
कौन कर सकता है निवेश
वे सभी जो सोने को एक असेट के तौर पर देखते हैं और उसमें ट्रेडिंग का विचार रखते हैं, उन्हें सोने में निवेश करना चाहिए। यह याद रखिए कि इसमें आपको सोना फिजिकली प्राप्त नहीं होगा, बल्कि उसमें निवेश की राशि के बराबर का एक प्रमाणपत्र प्राप्त होगा। साथ ही जो लोग सोने में पांच साल तक निवेशित रहने का इरादा रखते हैं वे भी गोल्ड बांड में निवेश कर सकते हैं। सोना ऐतिहासिक तौर पर उच्च रिटर्न देता आया है। जिन लोगों ने गोल्ड बांड की पहली कड़ी में निवेश किया था उनके रिटर्न की दर 18 फीसद तक पहुंच गई है।
ये हैं गोल्ड बॉण्ड में निवेश के फायदे
बेहतर रिटर्न: गोल्ड बॉण्ड में निवेश करने पर अच्छा ब्याज मिलता है। इसमें ब्याज सहित सोने की कीमतों में आई तेजी के अनुसार रिटर्न भी मिलता है। साथ ही आपको बता दें इसमें निवेश करने से डीमैट और ईटीएफ जैसे कोई शुल्क नहीं लगाए जाते हैं। गोल्ड बॉण्ड की ब्याज दर 2.75 फीसदी है। इस पर मिलने वाला ब्याज सोने के मौजूदा भाव के हिसाब से तय होता है।
निवेश के साथ बचत भी: सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए आप गोल्ड बॉण्ड को डिजिटल फॉर्म में सुरक्षित रख सकते हैं। दूसरी ओर आप इसे अपने घर या डीमेट एकाउंट में भी रख सकते हैं। इससे आपका लॉकर पर होने वाला खर्च भी बच जाएगा।
धोखाधड़ी की कोई चिंता नहीं: गोल्ड बॉण्ड में किसी तरह की धोखाधड़ी और अशुद्धता की संभावना नहीं होती है। गोल्ड बॉण्ड में मिलने वाला सोना शत प्रतिशत शुद्ध सोने की ही वैल्यु देता है।
कैपिटल गेन टैक्स की हो सकती है बचत: गोल्ड बॉण्ड की कीमतें सोने की कीमतों में अस्थिरता पर निर्भर करती है। सोने की कीमतों में गिरावट गोल्ड बॉण्ड पर नकारात्मक रिटर्न देता है। इस अस्थिरता को कम करने के लिए सरकार लंबी अवधि वाले गोल्ड बॉण्ड जारी कर रही है। इसमें निवेश की अवधि 8 वर्ष होती है, लेकिन आप 5 वर्ष के बाद भी अपने पैसे निकाल सकते हैं। पांच वर्ष के बाद पैसे निकालने पर कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगाया जाता है।
गोल्ड बॉण्ड यानी सरकारी गारंटी: गोल्ड बॉण्ड भारत सरकार की ओर से दी गई सॉवरन गारंटी होती है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि यह हमेशा सकारात्मक रिटर्न्स ही देगा।
बढ़वा सकते हैं गोल्ड बॉण्ड की मैच्योरिटी: गोल्ड बॉण्ड की अवधि मैच्योरिटी पीरियड के बाद तीन वर्ष के लिए और बढ़वाई जा सकती है। इसकी मदद से मैच्योरिटी के समय बाजार के नकारात्मक संकेतों से बचा जा सकता है।
गोल्ड बॉण्ड के गुणांक: गोल्ड बॉण्ड सोने के एक निश्चित वजन के आधार पर जारी किए जाते हैं। इसकी एक यूनिट एक ग्राम गोल्ड होती है। इसे एक ग्राम के गुणांक में ही लिया जा सकता है। आपको बता दें कि आप 500 ग्राम से अधिक गोल्ड बॉण्ड नहीं ले सकते हैं। यह कई गुणांक में उपलब्ध है, लेकिन इसको खरीदने के लिए एक तय सीमा है। आप न्यूनतम दो ग्राम और अधिकतम 500 ग्राम के गुणांक में खरीदारी कर सकते हैं। इसमें निवेश करने के लिए कम से कम 5000 से 6000 रुपए इंवेस्ट करना अनिवार्य है। इसकी न्यूनतम और अधिकतम सीमा एक साल हैं।
गोल्ड बॉण्ड को खरीदना है बेहद आसान: गोल्ड बॉण्ड को किसी भी एसबीआई ब्रांच, पोस्ट ऑफिस, स्टॉकहोल्डिंग कॉरपोरेशन और एनएसई व बीएसई आदि के माध्यम से खरीदा जा सकता है।
सेकेण्डरी मार्केट में गोल्ड बॉण्ड की ट्रेडिंग: गोल्ड बॉण्ड में न्यूनतम 5 वर्षों का लॉक इन पीरियड होता है। यदि आपको 5 वर्षों से पहले पैसों की जरूरत होती है तो आपको बता दें कि यह सेकेण्डरी मार्केट में लिस्टिड है। यानि कि आप जब चाहें किसी भी अन्य व्यक्ति को गोल्ड बॉण्ड सेकेण्डरी मार्केट के जरिए बेच सकते हैं। एनएसई और बीएसई बॉण्ड में ट्रेड करने की सुविधा देता है। आप अपना डीमेट गोल्ड बॉण्ड एनएसई के रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के जरिए भी बेच सकते हैं। बॉण्ड की कीमतें बाजार पर निर्भर करती हैं। सेकेण्डरी मार्केट (एनएसई और बीएसई) के जरिए गोल्ड बॉण्ड खरीदा भी जा सकता है।
गोल्ड बॉण्ड के एवज में लोन: जरूरत पड़ने पर गोल्ड बॉण्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। गोल्ड बॉण्ड पेपर को लोन के लिए कोलैटर्ल के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पोस्ट ऑफिस की नैश्नल सेविंग सर्टिफिकेट के जैसा होता है।
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