PPF बनाम ELSS, जानें किसमें निवेश करने से बचेगा ज्यादा टैक्स
पीपीएफ अकाउंट 15 वर्ष के लिए होता है इसमें लगातार 15 वर्ष पैसे जमा करने होते हैं और उसके बाद ही पैसे निकाले जा सकते हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बाजार में निवेश के लिए बहुत से विकल्प मौजूद हैं जो कि व्यक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं जैसे कि म्यूचुअल फंड स्कीम, बैंक टर्म डिपॉजिट, टर्म डिपॉजिट, स्टॉक, बॉन्ड, इंश्योरेंस पॉलिसी, पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट और अन्य पूंजी में निवेश कर आप अच्छे रिटर्न्स पा सकते हैं। इन सभी निवेश योजनाओं में अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स में छूट के लिए क्लेम किया जा सकता है।
इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) सैलरी वर्ग के लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। इन दोनों निवेश विकल्पों में बैंक डिपॉजिट, पोस्ट-ऑफिस डिपॉजिट, इंश्योरेंस पॉलिसी, म्यूचुअल फंड के मुकाबले ज्यादा अच्छे रिटर्न्स मिलने की आशंका होती है।
ईएलएसएस और पीपीएफ के बीच तुलना...
रिटर्न्स: पीपीएफ पर ब्याज दर तय है और तिमाही आधार पर अपडेट की जाती है वहीं ईएलएसएस पर ब्याज दर बाजार के प्रदर्शन के अनुसार बदलती रहती है। वर्तमान में पीपीएफ पर ब्याज दर 8 फीसद प्रति वर्ष है।
टैक्स बेनिफिट: पीपीएफ एक ईईई निवेश योजना है जिससे एक व्यक्ति निवेश के समय 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स में छूट के लिए क्लेम कर सकता है। निवेश पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्स फ्री होता है और पॉलिसी पूरी होने पर भी टैक्स नहीं लगता है। वहीं ईएलएसएस में निवेश करते वक्त कोई व्यक्ति 1.5 लाख रुपये तक टैक्स में छूट के लिए क्लेम कर सकता है, वहीं इससे मिलने वाला लाभ पर 1 लाख रुपये की सीमा तक टैक्स फ्री होता है।
लॉक-इन पीरियड: पीपीएफ अकाउंट 15 वर्ष के लिए होता है, इसमें लगातार 15 वर्ष पैसे जमा करने होते हैं और उसके बाद ही पैसे निकाले जा सकते हैं। वहीं ईएलएसएस में पू्र्ण निकासी की अवधि सिर्फ 3 वर्ष की है। एक व्यक्ति 3 साल पूरे होने के बाद पीपीएफ अकाउंट पर कर्ज ले सकता है। आप पीपीएफ अकाउंट में जमा राशि के लगभग 90 फीसद हिस्से पर कर्ज ले सकते हैं वहीं ईएलएसएस में जमा कुल राशि के लगभग 50 फीसद हिस्से पर कर्ज ले सकते हैं।
रिस्क (जोखिम): जैसा कि ईएलएसएस के नाम से ही पता चल रहा है कि इसके अहम हिस्से को इक्विटी में निवेश किया जाता है, जिसकी वजह से ईएलएसएस से मिलने वाला रिटर्न बहुत हद तक इक्विटी बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। वहीं पीपीएफ भारत सरकार से समर्थित है, जिसे रिस्क फ्री विकल्प भी मानते हैं। ईएलएसएस पीपीएफ के मुकाबले अधिक जोखिम भरा निवेश है।