रेटिंग घटाए जाने के बाद दलाल पथ पर यस बैंक हुआ धड़ाम, 52 हफ्तों के निचले स्तर पर पहुंचा शेयर
रेटिंग की कटौती से बैंक के लिए बाजार से पूंजी जुटाने में मुश्किल हो सकती है। इसके साथ मूडीज ने बैंक के आउटलुक को स्टेबल से घटाकर नेगेटिव कर दिया है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस की तरफ से यस बैंक की रेटिंग की डाउनग्रेडिंग किए जाने के बाद बुधवार को कंपनी के शेयर 12 फीसद से अधिक तक लुढ़क गए। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में कंपनी का शेयर 11.66 फीसद की गिरावट के साथ 161.80 रुपये पर बंद हुआ।
इंट्रा डे कारोबार के दौरान शेयर 181 रुपये पर खुला और देखते ही देखते वह निचले स्तर तक लुढ़क गया। इंट्रा डे ट्रेडिंग के दौरान कंपनी का शेयर 160.15 के निचले स्तर को छू गया, जो 52 हफ्ते का निचला स्तर है।
मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने यस बैंक की फॉरेन करेंसी क्रेडिट रेटिंग को दो प्वाइंट नीचे कर दिया है। बैंक के कई डायरेक्टरों के इस्तीफा देने और RBI के मुताबिक बैंक के खाते में हुए कथित डायवर्जेंस की वजह से उसकी रेटिंग में कमी आई है। रेटिंग की कटौती से बैंक के लिए बाजार से पूंजी जुटाने में मुश्किल हो सकती है। इसके साथ मूडीज ने बैंक के आउटलुक को स्टेबल से घटाकर नेगेटिव कर दिया है।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने एमडी, सीईओ और फाउंडर राणा कपूर का कार्यकाल 31 जनवरी 2019 तक सीमित कर दिया है।
अब तक 50 फीसद टूट चुका है शेयर कॉरपोरेट गवर्नेंस समेत अन्य कई मुद्दों पर पनप रही आशंकाओं के बीच बैंक का शेयर इस साल में अब तक 50 फीसद से अधिक तक टूट चुका है। जबकि इस दौरान बीएसई के बैंकिंग सेक्टर ने 8 फीसद से अधिक का रिटर्न दिया है।
आरबीआई ने शुरू की जांच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने संकटग्रस्त कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस), दीवान हाउसिंग फाइनैंस (डीएचएफएल), इंडियाबुल्स ग्रुप, सुधीर वालिया प्रोमोटेड फॉर्च्यून फाइनैंशियल सर्विसेज इंडिया और सुरक्षा एआरसी को यस बैंक की तरफ से दिए गए कर्ज की जांच शुरू कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरबीआई की निगरानी टीम ने इन सभी कंपनियों को दिए गए लोन की मंजूरी के साथ उसके बही खातों की जांच शुरू कर दी है। इसके साथ ही अन्य दस्तावेजों की भी छानबीन की जा रही है।
आरबीआई ने गुरुवार को बैंक को चिट्ठी लिखकर इन सभी कंपनियों को दिए गए लोन के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी थी।
खबरों के मुताबिक, ‘आईएलएंडएफएस संकट के बीच आरबीआई की यस बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनैंशियल कंपनियों के बीच की पारस्परिकता को देखना चाहता है।’ गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यस बैंक ने आईएलएंडएफएस में 2,600 करोड़ रुपये के कर्ज का खुलासा किया था। इसके साथ ही हाउसिंग फाइनैंस की कंपनियों में बैंक ने अपने कुल कर्ज का 3.2 फीसद दे रखा है जबकि एनबीएफसी में उसके कर्ज की हिस्सेदारी 2.6 फीसद है।
आईएलएंडएफएस संकट की वजह से बैंकिंग सिस्टम में नकदी की समस्या पनप रही है, जिस पर बैंकिंग और मार्केट रेग्युलेटर इस पर नजर बनाए हुए हैं। इस समूह पर करीब 91,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।
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