संसद के शीतकालीन सत्र में देशभर में समान न्यूनतम वेतन दिए जाने संबंधी बिल पर सहमति के आसार
सूत्रों के अनुसार, इस बावत संसद की स्थायी समिति ने वेज कोड बिल पर अपनी अंतिम मुहर लगा दी है।
नई दिल्ली (आमोद राय)। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं में काम करने वाले कामकाजी लोगों को एक बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। दरअसल इस खुशखबरी का सीधा वास्ता प्रत्येक दफ्तर,फैक्ट्री और अन्य क्षेत्रों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों और शारीरिक श्रम करने वाले कामकाजी लोगों से है। संसद के शीतकालीन सत्र में ये खुशखबरी मिल सकती है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, जल्दी ही पूरे देश में एक समान न्यूनतम वेतन लागू करने से जुड़े बिल पर सहमति बन सकती है। सूत्रों के अनुसार, इस बावत संसद की स्थायी समिति ने वेज कोड बिल पर अपनी अंतिम मुहर लगा दी है।
11 दिसंबर से 8 जनवरी तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को पास कराने की योजना केंद्र सरकार ने बनाई है। इस बिल के पास होने से हरेक सेक्टर में काम करने वाले लोगों को सीधा फायदा होगा। मजदूर संगठन सालों से इस बिल को पास कराने की मांग कर रहे हैं।
वर्षों से लंबित इस बिल के पास होते ही केंद्र सरकार की ओर से श्रम मंत्रालय देशभर में न्यूनतम वेतन का एक बेंचमार्क तय कर देगी। केंद्र से एक बार नोटिफिकेशन जारी हो जाने के बाद कोई भी राज्य अपनी मनमानी नहीं कर पाएगा और किसी भी कीमत पर केंद्र द्वारा तय बेंचमार्क से कम वेतन निर्धारित नहीं कर सकता।
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि न्यूनतम तनख्वाह निर्धारण संबंधी वेज कोड बिल में नॉर्थ-ईस्ट के सभी राज्यों के लिए बेंचमार्क अलग होगा। सूत्रों का ये भी कहना है कि सरकार क्षेत्रीय आधार पर ही न्यूनतम वेतन का बेंचमार्क तय करेगी।
संसद में एक बार बिल पास हो जाने के बाद ही न्यूनतम वेतन से जुडे कानून का असल प्रारूप तय होगा। एक बार प्रारूप तय हो जाने के बाद संबंधित क्षेत्र में सरकारी या गैर-सरकारी संस्थानों को न्यूनतम वेतन के बेंचमार्क का पालन करना अनिवार्य होगा।
फिलहाल अलग-अलग राज्यों के अपने अलग-अलग वेज कानून है। वर्तमान में देश में सिर्फ शेड्यूल्ड वर्कर के लिए ही एक समान वेज की व्यवस्था है। देशभर में शेडूल्यूड वर्कर की न्यूनतम सैलरी 18000 रुपये है।
प्रस्तावित नये बिल में पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट-1936, मिनिमम वेजेज एक्ट-1949, पेमेंट ऑफ़ बोनस एक्ट-1965 और इक्वल रिम्यूनरेशन एक्ट-1976 को एक साथ मिलाकर नया बिल बनाया गया है। हालांकि, मिनिमम वेज पर सभी स्टेकहोल्डर्स में आपसी सहमति बनना अभी बाकी है।
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