ट्रेड वार और महंगे क्रूड से बिगड़ सकती है रुपये की हालत, जारी रह सकती है गिरावट
भारतीय रुपया एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करंसी रहा है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वैश्विक ट्रेड वार की गहराती चिंताएं और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण भारतीय रुपये अगले एक साल तक और कमजोर हो सकता है। यह बात रॉयटर के पोल में सामने आई है। गौरतलब है कि बीते सप्ताह भारतीय रुपये ने एतिहासिक निम्नतम स्तर छुआ था।
हालांकि आर्थिक विकास ने रफ्तार पकड़ी है और भारत ने इस साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा बरकरार रखा है, लेकिन फिर भी बीते हफ्ते डॉलर के मुकाबले रुपये ने 69.09 का स्तर छुआ था। जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय रुपया एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रहा है।
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में इस साल अबतक सात फीसद तक कि गिरावट दर्ज की जा चुकी है। इस कमजोरी के मुख्य कारण उभरते बाजार में बढ़ती बिकवाली और कच्चे तेल की कीमतों में हो रहे लगातार इजाफे से चालू खाता घाटा बढ़ रहा है। भारत की ओर से आयात किये जाने वाली सबसे बड़ी चीज कच्चा तेल है।
दो जुलाई से पांच जुलाई, 2018 के बीच हुए पोल में 45 रणनीतिज्ञों ने हिस्सा लिया था। उनका अनुमान है कि डॉलर के मुकाबले रुपया जून 2019 तक 68.90 के स्तर पर पहुंचेगा, जो कि जून के आखिरी बुधवार के बंद स्तर 68.69 से मामूली सा ही कम है।
बीते एक महीने में ग्लोबल ट्रेड वार का तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई है। यूएस क्रूड फ्यूचर्स में एक जून से अबतक 13 फीसद की बढ़त देखने को मिली है और बुधवार को यह साढ़े तीन वर्ष के उच्चतम स्तर के करीब कारोबार कर रहा था।