IL&FS शेयरहोल्डर्स के होने वाली बैठक को RBI ने किया रद्द, कंपनी पर 90,000 करोड़ रुपये का कर्ज
सरकारी और गैर सरकारी इंफ्रा प्रोजेक्ट की फंडिंग करने वाली इस कंपनी पर करीब 91,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसके डिफॉल्ट होने के बाद इसे भारत का ''लीमन ब्रदर्स'' बताया जा रहा है। इस कंपनी में सरकार की 40 फीसद हिस्सेदारी है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने संकट से जूझ रही इंफ्रास्ट्रकचर डेवलपमेंट और फाइनेंस कंपनी आईएलएंडएफएस के शेयर होल्डर्स के साथ शुक्रवार को होने वाली बैठक को रद्द कर दिया है।
सरकारी और गैर सरकारी इंफ्रा प्रोजेक्ट की फंडिंग करने वाली इस कंपनी पर करीब 91,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसके डिफॉल्ट होने के बाद इसे भारत का ''लीमन ब्रदर्स'' बताया जा रहा है। इस कंपनी में सरकार की 40 फीसद हिस्सेदारी है।
आरबीआई ने इससे पहले आईएलएंडएफएस के शेयर होल्डर्स की बैठक बुलाई थी। कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 40 फीसद है, जिसमें भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया समेत जापान की ओरिक्स कॉर्प और अबुधाबी की निवेश विभाग की भी हिस्सेदारी है।
बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को होने वाली मीटिंग को रद्द कर दिया गया है। देश का केंद्रीय बैंक होने के नाते आरबीआई यह जानना चाहता है कि संकट से निपटने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं।
सूत्र के मुताबिक, ‘आरबीआई भविष्य की योजना के बारे में जानकारी चाहता है।’ अगली बैठक के बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। आईएलएंडएफएस की सालाना वार्षिक बैठक 29 सितंबर को होनी है और माना जा रहा है कि आरबीआई इसके बाद ही कंपनी के शेयरधारकों से मिलेगा।
कंपनी में एलआईसी और जापान की ओरिक्स कॉरपोरेशन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। एलआईसी की इस कंपनी में जहां 25.34 फीसद हिस्सेदारी है वहीं ओरिक्स कॉरपोरेशन की इसमें 23.54 फीसद हिस्सेदारी है।
अबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी की इस कंपनी में 12.5 फीसद हिस्सेदारी है। इसके अलावा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की 7.67 फीसद और भारतीय स्टेट बैंक की 6.42 फीसद हिस्सेदारी है।
क्या है आईएलएंडएफएस संकट
आईएलएंडएफएस समूह को फिलहाल नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी 27 अगस्त के बाद से अपने कर्ज के ब्याज का भुगतान करने में विफल रही है। कंपनी पर 9100 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है।
कंपनी को तत्काल 300 करोड़ रुपये की जरूरत है और वह 450 करोड़ रुपये राइट इश्यू की मदद से जुटाने की योजना बना रही है। इस महीने की शुरुआत में हुई बैठक में कंपनी के शेयरधारकों ने किसी भी नई पूंजी सहायता से पहले कंपनी के एसेट्स और नॉन कोर बिजनेस को बेचकर फंड जुटाने की शर्त रखी थी।
खबरों के मुताबिक कंपनी ने 4 सितंबर को सिडबी के 1000 करोड़ रुपये के शॉर्ट टर्म लोन का भुगतान करने में विफल रही थी वहीं इसकी सहायक कंपनी भी 500 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान करने से चूक गई।
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