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चार साल में 3 बड़े अधिकारियों ने छोड़ा मोदी सरकार का साथ, जानिए कौन कौन शामिल

अरविंद सुब्रमण्यम से पहले दो और बड़े अधिकारी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। जानिए इन्ही के बारे में

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 12:37 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 12:08 PM (IST)
चार साल में 3 बड़े अधिकारियों ने छोड़ा मोदी सरकार का साथ, जानिए कौन कौन शामिल

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मोदी सरकार के चार साल के कार्यकाल में तीन बड़े अधिकारी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। इनमें अरविंद सुब्रमण्यम, अरविंद पनगढ़िया और रघुराम राजन शामिल हैं। सुब्रमण्यम ने मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) पद से करीब चार वर्ष के बाद इस्तीफा दिया है। उन्होंने पद छोड़ने की वजह पारिवारिक प्रतिबद्धताएं बताई हैं। हालांकि वर्ष 2014 में उनकी नियुक्ति तीन वर्षों के लिये की गई थी, लेकिन  2017 में कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हें एक साल का सेवा विस्तार दे दिया गया था।

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जेटली ने दी अरविंद सुब्रमण्यम के इस्तीफे की जानकारी-

अरविंद सुब्रमण्यम करीब चार वर्षों के बाद कुछ पारिवारिक प्रतिबद्धताओं के चलते वित्त मंत्रालय छोड़ रहे हैं। वह वापस अमेरिका लौट जाएंगे। यह जानकारी खुद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दी थी। अरुण जेटली ने फेसबुक पोस्ट में बताया, “कुछ दिन पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने मुझसे वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मुकालात की थी। उन्होंने अनुरोध किया कि पारिवारिक प्रतिबद्धताओं के चलते वे अमेरिका लौटना चाहते हैं। उनके लौटने के कारण निजी हैं, लेकिन वापस जाना उनके लिए काफी जरूरी है। उन्होंने मेरे पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा लेकिन मैं उनसे सहमत हूं।”

जानकारी के लिए बता दें कि इनसे पहले दो और बड़े अधिकारी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। 

अरविंद पनगढ़िया- अरविंद पनगढ़िया ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से 31 अगस्त को इस्तीफा दिया था। जानकारी के लिए बता दें कि पनगढ़िया भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं और कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद पानगढ़िया का नाम दुनिया के सबसे अनुभवी अर्थशास्त्रियों में लिया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जब योजना आयोग को खत्म कर नीति आयोग गठन किया था, तब पनगढ़िया को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए उपाध्यक्ष चुना गया था। पनगढ़िया कई पुस्तक भी लिख चुके हैं। उनकी पुस्तक “इंडिया द इमरजिंग ज्वाइंट 2008” में इकोनॉमिस्ट की ओर से सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तक में शामिल हो चुकी है। मार्च 2012 में उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका है।

रघुराम राजन- राजन भारत आने से पहले शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में फाइनेंस के प्रोफेसर थे। राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं। वह कुछ लेक्चर्स के लिए ब्रिटेन आए हुए हैं। उन्होंने सितंबर, 2013 में आरबीआइ गवर्नर का पद संभाला था। जून 2016 में राजन ने केंद्रीय बैंक के कर्मचारियों को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने बताया कि सिंतबर में कार्यकाल खत्म होने के बाद वह पठन-पाठन के काम के लिये लौटना चाहेंगे। नोटबंदी के बाद राजन ने कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि नोटबंदी लागू करने से पहले मुझे से बात नहीं की गई थी। वास्तव में मैंने स्पष्ट किया था हमसे बात की गई थी और हमें ये ठीक नहीं लगा था।”


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