तेज उछाल के बाद गिरावट के साथ बंद हुआ बाजार, सेंसेक्स 181 अंक फिसला-निफ्टी 10,250 के नीचे हुआ बंद
निफ्टी 58.30 अंक टूटकर 10,245.25 पर बंद हुआ। निफ्टी के 33 शेयर लाल निशान में जबकि 16 शेयर हरे निशान में बंद हुए। वहीं सेंसेक्स 181.25 अंक टूटकर 34,134.38 पर बंद हुआ।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन शेयर बाजार की मजबूत शुरुआत हुई, लेकिन बाजार अपनी तेजी को बनाए नहीं रख सका। सोमवार को बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स सुबह 373.76 अंकों की मजबूती के साथ 34,689.39 पर जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला इंडेक्स निफ्टी 102.3 अंकों की मजबूती के साथ 10,405.85 पर खुला।
हालांकि बाद के कारोबारी घंटों में बाजार ने अपनी मजबूत बढ़त गंवा दी। निफ्टी 58.30 अंक टूटकर 10,245.25 पर बंद हुआ। निफ्टी के 33 शेयर लाल निशान में जबकि 16 शेयर हरे निशान में बंद हुए।
वहीं सेंसेक्स 181.25 अंक टूटकर 34,134.38 पर बंद हुआ। सेंसेक्स में सबसे ज्यादा मजबूती आईसीआईसीआई बैंक, वेदांत, एचडीएफसी और भारतीय स्टेट बैंक के शेयरों में रही। वहीं इंडसइंड बैंक, यस बैंक, रिलायंस और टाटा मोटर्स के शेयर में मुनाफावसूली की वजह से दबाव रहा।
बैंकिंग शेयरों में तेजी से शुरुआत में बाजार को सपोर्ट मिला लेकिन बाद में यह काउंटर बिकवाली के दबाव में आ गया। बीएसई का बैंकिंग इंडेक्स करीब 100 अंक टूटकर बंद हुआ। इंडियाबुल्स हाउसिंग के शेयरों में शानदार 10 फीसद का उछाल देखने को मिला।
अंग्रेजी अखबार इकॉनमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक कंपनी ब्रिटेन स्थित ओकेनॉर्थ होल्डिंग्स में से अपनी 18.7 फीसद हिस्सेदारी बेचे जाने की योजना बना रही है।
बैंकिंग स्टॉक्स में आरबीएल बैंक का शेयर करीब 8 फीसद तक टूट गया। ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली की तरफ से कंपनी के शेयरों को डाउनग्रेड किए जाने के बाद काउंटर बिकवाली के दबाव में आ गया।
परसिस्टेंट सिस्टम के शेयर हुए धड़ाम वहीं आईटी कंपनी परसिस्टेंट सिस्टम्स का शेयर उम्मीद से खराब नतीजों की वजह से लुढ़क गया। कंपनी का शेयर करीब 13 फीसद तक फिसल गया। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी के मुनाफे में महज 7 फीसद का इजाफा हुआ है।
आने वाले दिनों में बाजार की चाल कंपनियों के आय के नतीजों से तय होंगे। इस हफ्ते विप्रो और भारती एयरटेल के नतीजे आने हैं।
कच्चे तेल और रुपये पर होगी नजर विशेषज्ञों की माने तो रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव से भी बाजार की दशा और दिशा तय होगी।
गौरतलब है कि विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर महीने के पहले तीन सप्ताह में भारतीय पूंजी बाजार से करीब 32,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। सितंबर में विदेशी निवेशकों ने 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी। विदेशी निवेशकों की पैसे निकालने की मुख्य वजह कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, व्यापार मोर्चे पर जारी तनाव और अमेरिकी बॉन्ड पर मिल रहा बेहतर रिटर्न है।
और टूटेगा रुपया! लगातार कमजोर होते रुपये की सेहत में सुधार होने की गुंजाइश कम होती नजर आ रही है। आईएनजी बैंक एनवी ने रुपये को लेकर अपने अनुमान को और कम कर दिया है।
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और राज्य विधानसभा के चुनाव से पहले बढ़ती अनिश्चितता की वजह से रुपये की सेहत और खराब हो सकती है। एशिया की अन्य करेंसी के मुकाबले रुपये का अब तक का प्रदर्शन बेहद बुरा रहा है। ब्लूमबर्ग सर्वे में आईएनजी सिंगापुर के अर्थशास्त्री प्रकाश सकपाल ने रुपये के 76.50 के स्तर पर जाने का अनुमान जाहिर किया है।
अनुमान लगाने वाली इस एजेंसी ने रुपये में 4 फीसद से अधिक की गिरावट का अंदेशा जाहिर किया है। वैश्विक स्तर पर शुरू हुई बिकवाली की वजह से भारतीय बॉन्ड और स्टॉक से विदेशी निवेशकों में बड़ी मात्रा में धन की निकासी की है, जिससे पिछले कुछ हफ्तों में रुपये पर काफी दबाव बढ़ गया है। 11 अक्टूबर को रुपया, डॉलर के मुकाबले 74.48 के स्तर पर चला गया। 2018 में अब तक रुपये डॉलर के मुकाबले 13 फीसद तक टूट चुका है।
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