निराशाजनक रही IRCON की लिस्टिंग, IPO के जरिये 10 फीसद हिस्सेदारी बेच रही सरकार
राइट्स के बाद चालू वित्त वर्ष में यह दूसरी PSU कंपनी की लिस्टिंग है। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश की मदद से 80,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। रेलवे इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कंपनी इरकॉन इंटरनैशनल की लिस्टिंग उम्मीद के मुताबिक नहीं रही है। शुक्रवार को कंपनी का शेयर बाजार में इश्यू प्राइस के मुकाबले 11.16 फीसद की गिरावट के साथ लिस्ट हुआ। कंपनी के शेयर नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में 422 रुपये पर लिस्ट हुआ जो इश्यू प्राइस 475 रुपये से 11.116 फीसद कम है।
नुकसान में हुई लिस्टिंग के बाद कंपनी के शेयरों में तेजी आई है। एनएसई में कंपनी का शेयर करीब 9 फीसद की उछाल के साथ 445 रुपये पर ट्रेड कर रहा है। दिन भर के कारोबार के दौरान शेयर 465 के ऊंचे और 412 के निचले स्तर पर ट्रेड कर चुका है।
कंपनी का आईपीओ करीब 10 गुणा सब्सक्राइब हुआ था और इसके शेयर का प्राइस बैंड 470-475 रुपये था। राइट्स के बाद मौजूदा वित्त वर्ष में यह दूसरी सरकारी कंपनी का लिस्टिंग है।
राइट्स के मुकाबले देखा जाए तो इरकॉन की लिस्टिंग सपाट रही है। राइट्स के आईपीओ को निवेशकों ने हाथों हाथ लिया था और यह 67 गुणा सब्सक्राइब हुआ था। निवेशकों के रुझान की वजह से शेयर बाजार में राइट्स का दमदार आगाज हुआ और कंपनी की लिस्टिंग शानदार रही। इस आईपीओ से सरकार को करीब 466 करोड़ रुपये मिले थे।
कंपनी के कुल ऑर्डर में रेलवे प्रोजेक्ट की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 86.7 फीसद है जबकि हाईवे सेक्टर की हिस्सेदारी 5.6 फीसद है। वहीं इलेक्ट्रिकल की हिस्सेदारी 5.4 फीसद जबकि बिल्डिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 2.2 फीसद है। कंपनी के प्रमुख क्लाइंट्स में उत्तरी रेलवे, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मिजोरम) और एनएचएआई शासमिल हैं।
इरकॉन, इंफ्रा कंपनियों को इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन सेवाएं मुहैया कराती है। कंपनी की नजर अब अंतरराष्ट्री बाजार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की है।
विनिवेश लक्ष्य पूरा करने की तैयारी
विनिवेश के तहत धन जुटाने की योजना के तहत सरकार ने इरकॉन में अपनी 10 फीसद हिस्सेदारी बेच रही है, जिससे उसे करीब 467 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश के जरिए 80,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। विशेषज्ञों की माने तो सरकार की नजर इस रकम को 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने की है।
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