जीएसटी रिफंड मंजूरी की प्रक्रिया फिर पड़ी सुस्त
जीएसटी का रिफंड अटकने की वजह से निर्यातकों की वर्किंग कैपिटल फंस जाती है। इसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है
नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। जीएसटी लागू होने के बाद रिफंड का इंतजार कर रहे निर्यातकों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब भी निर्यातकों की आइजीएसटी रिफंड की बड़ी राशि मंजूरी के इंतजार में फंसी पड़ी है। हाल यह है कि मार्च में जीएसटी रिफंड मंजूरी के लिए आयोजित किए गए विशेष पखवाड़े के बाद रिफंड मंजूरी की प्रक्रिया फिर से सुस्त पड़ गयी है।
सूत्रों के मुताबिक 30 अप्रैल तक निर्यातकों के 20,723 करोड़ रुपये के आइजीएसटी और इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिफंड के दावे मंजूर हुए हैं जबकि लगभग 14,000 करोड़ रुपये की राशि के रिफंड दावे लंबित पड़े हैं। इस राशि में लगभग 5,342 करोड़ रुपये आइजीएसटी रिफंड की है जबकि 9,059 करोड़ रुपये इनपुट टैक्स क्रेडिट के हैं। सूत्रों ने कहा कि जनवरी और फरवरी में प्रत्येक माह औसतन डेढ़ हजार करोड़ रुपये के आइजीएसटी रिफंड मंजूर हुए थे। मार्च में सरकार ने रिफंड मंजूरी की प्रक्रिया तेज करने के लिए एक पखवाड़ा आयोजित कर विशेष अभियान चलाया जिससे यह आंकड़ा बढ़कर पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया। हालांकि अप्रैल में आकर फिर से रिफंड जारी करने की प्रक्रिया सुस्त पड़ गयी। अप्रैल में मात्र 1167 करोड़ रुपये के आइजीएसटी रिफंड मंजूर हुए।
सूत्रों ने कहा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिफंड जारी करने में राज्यों में काफी विलंब हो रहा है। बताया जाता है कि राज्यों में रिफंड की प्रक्रिया से संबंधित स्थिति स्पष्ट न होने की वजह से इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिफंड फंस रहा है। निर्यातकों के संगठन फिओ के महानिदेशक डा. अजय सहाय का कहना है कि सरकार को रिफंड की मंजूरी देने को चलाए गए अभियान को पुन: शुरू करना चाहिए ताकि रिफंड के लंबित दावों का निपटारा किया जा सके। इसके बाद स्थिति की निगरानी करनी चाहिए ताकि निर्यातकों को नकदी की परेशानी का सामना न करना पड़े। जीएसटी का रिफंड अटकने की वजह से निर्यातकों की वर्किंग कैपिटल फंस जाती है। इसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।