किसान बनेंगे मालिक!, अधिग्रहित जमीन के बदले कंपनियों में किसानों को हिस्सेदारी देने की तैयारी में सरकार
नीति आयोग के इस प्रस्ताव के मुताबिक, जमीन अधिग्रहण करने वाली कंपनी में उस जमीन के मालिक का भी हिस्सा होगा।
नई दिल्ली (आमोद राय)। किसानों से लगातार जमीन अधिग्रहण का विरोध झेल रही केंद्र सरकार ने किसानों और जमीन मालिकों को आकर्षित करने का एक नायाब तरीका ढूंढ लिया है। सरकार अब जमीन के बदले वहां लगने वाली फैक्ट्री या कंपनी में किसानों को सीधा मालिकाना हक देने की तैयारी कर रही है, यानी जमीन के बदले कंपनी में हिस्सेदारी देने की तैयारी कर रही है। इसका मतलब ये होगा कि अधिग्रहित जमीन में लगने वाले उद्योग में किसानों को मालिकाना हक देने के साथ-साथ कमाई का भी मौका देगी सरकार।
इसे लागू करने के लिए अब तक चल रहे PPP मॉडल से आगे बढ़कर जल्द ही पूरे देश में PPP की जगह P4 मॉडल ला सकती है केंद्र सरकार। इस मॉडल का इस्तेमाल जमीन अधिग्रहण के लिए देशभर में हो सकता है।
इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से नीति आयोग प्रस्ताव की रुपरेखा तैयार कर रहा है। नीति आयोग के इस प्रस्ताव के मुताबिक, जमीन अधिग्रहण करने वाली कंपनी में उस जमीन के मालिक का भी हिस्सा होगा।
इस मॉडल का इस्तेमाल पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लक्षद्वीप के आइलैंड डेवलपमेंट के लिए किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा। एक बार गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद ही पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत लक्षद्वीप में आइलैंड डेवलपमेंट के लिए किया जायेगा।
दरअसल गृह मंत्रालय के अधीन आइलैंड डेवलपमेंट एजेंसी टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नए द्वीप विकसित कर रही है। यहां शुरू होने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए आगामी जनवरी महीने से बोलियां मंगवाई जाएंगी। बोली लगने के बाद लक्षद्वीप के इस इलाके वर्जिन आइलैंड में लैगून विला, टूरिज्म स्पॉट और मनोरंजन के अन्य साधन बनाए जाएंगे। आइलैंड डेवलपमेंट की इस मॉडल की सफलता की समीक्षा के बाद इसे समूचे देश में लागू किये जाने पर विचार किया जायेगा।
यह भी पढ़ें: GDP विवाद: चिदंबरम ने दी बहस की चुनौती, नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने कहा-कबूल है