GDP विवाद: चिदंबरम ने दी बहस की चुनौती, नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने कहा-कबूल है
संशोधित डेटा के बाद यूपीए सरकार के दौरान हुआ आर्थिक विकास मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए विकास के मुकाबले कम हो गया है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मनमोहन सिंह की अगुवाई वाले यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) के दौरान के जीडीपी डेटा को संशोधित किए जाने के बाद पैदा हुए विवाद को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की चुनौती को नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने स्वीकार कर लिया है। संशोधित डेटा के बाद यूपीए सरकार के दौरान हुआ आर्थिक विकास मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए विकास के मुकाबले कम हो गया है।
नए डेटा पर चिदंबरम की तरफ से बहस की चुनौती को स्वीकार करते हुए कुमार ने ट्विटर पर कहा, 'माननीय पी चिदंबरम जी, चुनौती कबूल है। चलिए बैक सीरिज डेटा पर बहस करते हैं। मैंने कल तीन घंटे लंबा इंटरव्यू दिया था और यह कहना ठीक नहीं है कि मैंने मीडिया को सवाल पूछने से मना किया। नए डेटा को लेकर आपकी परेशानी से जुड़ा आपको और तर्क देना चाहिए।'
गौरतलब है कि पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा था, 'मुझे आश्चर्य है कि नीति आयोग के वाइस चेयरमैन पत्रकारों के सवाल को बेतुका करार देने की बजाए इस मसले पर विमर्श के लिए तैयार होंगे।' इसके बाद अन्य ट्वीट के जरिए कुमार ने कहा कि नीति आयोग विस्तारपूर्वक डेटा का इस्तेमाल कर नीतियों के लिए सिफारिश करता है और डेटा हमेशा ही मशहूर सांख्यिकीविदों के आकलन के लिए उपलब्ध रहता है।
उन्होंने कहा, 'इसलिए नीति आयोग के लिए इस डेटा रिलीज को प्लेटफॉर्म देना तार्किक फैसला था। प्रणब सेन जानते होंगे कि मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (एमओएसपीआई) और योजना भवन साथ मिलकर काम करते हैं।' पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने केंद्र सरकार के जीडीपी डेटा संशोधन को नीति आयोग की ''हेरा-फेरी'' करार दिया था और कहा था कि अब इस ''बेकार संस्था'' को बंद करने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा, 'पू्र्व सांख्यिकीविद प्रणब सेन पूरी तरह से सही हैं। नीति आयोग का डेटा की टेबलिंग से कोई लेना-देना नहीं है।' कुमार ने बाद में पीटीआई को बताया कि एक समय एमओएसपीआई, पूर्व के योजना आयोग का हिस्सा था। योजना आयोग का नाम अब नीति आयोग किया जा चुका है।
गौरतलब है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने 2011-12 को आधार वर्ष बनाते हुए जीडीपी की बैक सीरिज डेटा को जारी किया है। इस डेटा के सामने आने के बाद यूपीए के दौरान हुए आर्थिक विकास की दर कम हो गई है।
मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वित्त वर्ष 2006-12 के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट को पिछली सीरिज के नए डेटा से संशोधित किया गया है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 2010-11 में अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 8.5 फीसद रही, न कि 10.3 फीसद, जिसका पहले अऩुमान लगाया गया था।
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