चीन: दाचिंग को आउटसोर्सिंग हब बनाने की तैयारी, ये होगा खास
आउटसोर्सिंग में भारत से पिछड़े चीन ने बीजिंग से 1200 किलोमीटर दक्षिण में स्थित शहर दाचिंग में एक बड़ी पहल की है। उसने एक ही छत के नीचे आउटसोर्सिग का बड़ा मंच-दाचिंग सर्विस आउटसोर्सिग इंडस्टियल पार्क तैयार कर लिया है।
नई दिल्ली (मनीष तिवारी)। आउटसोर्सिंग में भारत से पिछड़े चीन ने बीजिंग से 1200 किलोमीटर दक्षिण में स्थित शहर दाचिंग में एक बड़ी पहल की है। उसने एक ही छत के नीचे आउटसोर्सिग का बड़ा मंच-दाचिंग सर्विस आउटसोर्सिग इंडस्टियल पार्क तैयार कर लिया है। इससे जुड़ी इमारतों में पेट्रोल, केमिकल, फाइनेंस, डाटा माइनिंग, साइंस एंड टेक्नालाजी से लेकर ई-कॉमर्स, इनोवेशन और एंटरटेनमेंट तक के क्षेत्रों में 750 से ज्यादा कंपनियों के लिए आउटसोर्सिग का काम हो रहा है और इनका वार्षिक आउटपुट पांच अरब युआन (51 अरब रुपये) तक है। इनमें से कई कंपनियां ऐसी हैं, जो अपनी सेवाएं निर्यात भी करती हैं।
चीन की यह पहल आउटसोर्सिग के क्षेत्र में उसकी सक्रियता को बयान करती है। दाचिंग में आउटसोर्सिग का जो केंद्र बनाया गया है वह अभी मुख्य रूप से छोटी और मझोली कंपनियों को सेवाएं दे रहा है। हालांकि चीन के कुछ बैंकों की भागीदारी से इस केंद्र को कुछ बड़े नाम भी हासिल हो रहे हैं। यह आउटसोर्सिग सेंटर छोटी और मझोली कंपनियों को नीतिगत और संचालन संबंधी सहयोग भी उपलब्ध करा रहा है। दाचिंग को अगर इस आउटसोर्सिग सेंटर के लिए चुना गया है तो इसके पीछे इस शहर की है।
यह चीन में नेशनल सैनेटरी और नेशनल गार्डन सिटी है। इसे पर्यावरण संरक्षण के लिए नेशनल मॉडल सिटी भी माना जाता है और इसे पर्यटन के आदर्श केंद्र के तौर पर भी देखा जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ऑयल कैपिटल होना है। इतनी खासियतों के कारण ही चीन ने दाचिंग में आउटसोर्सिग की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। उसकी उम्मीद आने वाले दिनों में बड़े देशों की प्रमुख मल्टीनेशनल कंपनियों को आकर्षित करना है। किसी भारतीय कंपनी की इस सेंटर में अभी भागीदारी नहीं है। हां, अधिकारी बताते हैं कि कुछ उत्पादों का निर्यात भारत को हो रहा है, पर वह किसे हो रहा है, यह उन्हें नहीं मालूम।
भारत के लिए रुचि का एक विषय कृषि उत्पादों को प्रतिस्पर्धात्मक बाजार देने के लिए बनाया गया ई-प्लेटफार्म हो सकता है। भारत की तरह चीन में भी किसानों के लिए अपनी उपज बेचने का बाजार सीमित था, लेकिन इस आउटसोर्सिग सेंटर में काम कर रही कंपनी ने चार स्तरों पर किसानों की मदद की। उनकी उपज की गुणवत्ता में सुधार किया, उन्हें दीर्घकालिक समर्थन का भरोसा दिलाया, खेत से उनकी उपज को पैकेज्ड रूप में निकाला और सबसे अंत में उनके उत्पादों को एक ब्रांड के रूप में स्थापित किया।
इस पूरी प्रक्रिया में पैकेजिंग के रूप में एक नया उद्योग भी खड़ा हो गया। चीन में इस पूरी प्रकिया में उपज की लागत इतनी नहीं बढ़ी कि उपभोक्ता को कोई उत्पाद बहुत महंगा पड़े। इस पार्क के लिए दाचिंग प्रशासन उद्योगों को बढ़ावा देने वाली नीतियों के साथ-साथ वित्तीय सहायता और अन्य संस्थागत संरक्षण भी प्रदान करता है। लेकिन एक बड़ी समस्या आउटसोर्सिग के लिए बड़े औद्योगिक क्लाइंट का न मिल पाना है। इसके अलावा अगर कृषि उत्पादों के मामले को छोड़ दिया जाए तो स्थानीय मांग भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं है।