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अक्टूबर में कम हुई कोर सेक्टर की ग्रोथ रेट, Q2 में GDP में भी आई गिरावट

दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर उम्मीद से कम रही है। जीडीपी के साथ ही कोर सेक्टर ग्रोथ रेट में भी कमी आई है।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 06:53 PM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2018 09:36 PM (IST)
अक्टूबर में कम हुई कोर सेक्टर की ग्रोथ रेट, Q2 में GDP में भी आई गिरावट

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर उम्मीद से कम रही है। जीडीपी के साथ ही कोर सेक्टर ग्रोथ रेट में भी कमी आई है। अक्टूबर महीने में आठ अहम क्षेत्र की विकास दर कम होकर 4.8 फीसद हो गई। कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और फर्टिलाइजर के उत्पादन में कमी आने की वजह से कोर सेक्टर के ग्रोथ रेट में कमी आई।

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कोर सेक्टर में आठ इंफ्रा सेक्टर आते हैं, जिसमें कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी प्रॉडक्ट्स, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और बिजली शामिल है। अक्टूबर 2017 में इस सेक्टर की ग्रोथ रेट 5 फीसद रही थी। मासिक आधार पर देखा जाए तो इसमें तेजी आई है। सितंबर महीने में कोर सेक्टर की ग्रोथ रेट 4.3 फीसद थी।

शुक्रवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर महीने में फर्टिलाइजर का प्रॉडक्शन कम होकर 11.5 फीसद हो गया जबकि कच्चे तेल के उत्पादन में 5 फीसद की कमी आई। वहीं प्राकृतिक गैस में 0.9 फीसद की कमी आई। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान आठों कोर सेक्टर का ग्रोथ रेट 5.4 फीसद रहा।

वहीं चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी में भी गिरावट आई है। सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी कम होकर 7.1 फीसद हो गई।

हालांकि आर्थिक वृद्धि दर में सुस्ती के बावजूद भारत दुनिया की सबसे मजबूत इकॉनमी बना हुआ है। दूसरी तिमाही में चीन की विकास दर 6.7 फीसद रही है।

जीडीपी में आई गिरावट चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार में कमी आई है। केंद्रीय सांख्यिकी विभाग (सीएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी कम होकर 7.1 फीसद हो गई है। हालांकि इसके बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है। दूसरी तिमाही में चीन की जीडीपी 6.7 फीसद रही है।

बता दें कि न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के पोल में जीडीपी के 7.4 फीसद रहने का अनुमान जताया गया था। वहीं ब्लूमबर्ग के सर्वेक्षण में इसके 7.5 फीसद रहने की उम्मीद जताई गई थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 8.2 फीसद रही थी। लेकिन अब इसमें 1.1 फीसदी की कमी देखने को मिली है।

लक्ष्य से पार हुआ राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पूरा होने से पहले ही राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्य को पार कर गया है। अप्रैल से अक्टूबर के बीच सरकार का राजकोषीय घाटा 6.49 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कि चालू वित्त वर्ष के बजटीय लक्ष्य के मुकाबले 103.9 फीसद है।

शुक्रवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान सरकार को टैक्स से कुल 6.61 लाख करोड़ रुपये की आमदनी हुई। हालांकि सरकार ने कहा कि वह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में सफल होगी। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सरकार ने जीडीपी के मुकाबले 3.3 फीसद घाटे का लक्ष्य रखा है।

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