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इक्विटी फंड निवेश को बनाना होगा लोकप्रिय

भारत में म्यूचुअल फंड का स्वामित्व कितना व्यापक है, इसके प्रामाणिक आंकड़े पहली बार उपलब्ध हो रहे हैं। यह संख्या वास्तव में उत्साहवर्धक है। इन आंकड़ों से जो तस्वीर उभरकर सामने आती है वह ऐसी परिसंपत्ति श्रेणी की है जो अब गुजरे जमाने की बात हो चुकी है और जिसने

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2016 12:45 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2016 12:49 PM (IST)
इक्विटी फंड निवेश को बनाना होगा लोकप्रिय

भारत में म्यूचुअल फंड का स्वामित्व कितना व्यापक है, इसके प्रामाणिक आंकड़े पहली बार उपलब्ध हो रहे हैं। यह संख्या वास्तव में उत्साहवर्धक है। इन आंकड़ों से जो तस्वीर उभरकर सामने आती है वह ऐसी परिसंपत्ति श्रेणी की है जो अब गुजरे जमाने की बात हो चुकी है और जिसने बड़ी संख्या में बचतकर्ताओं और इक्विटी बाजार पर गंभीर प्रभाव छोड़ा है।

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कई वर्षों तक यह पता करना मुश्किल था कि भारत में म्यूचुअल फंड्स का उपयोग कितना व्यापक है। जो संख्या हमेशा उपलब्ध थी वह फोलियो की संख्या या ग्राहकों के बारे में संख्या उपलब्ध थी।

वास्तव में इसमें बड़ी संख्या में दोहराव का खतरा था जो कि निवेशकों के संबंध में सामान्य बात है क्योंकि वे प्रत्येक निवेश नए फोलियो नंबर से करते हैं। नए नो यॉर कस्टमर (केवाईसी) नियमों ने इसे बदल दिया है। केवाईसी प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि पैन नंबर के इस्तेमाल से निवेशक के आंकड़ों की गिनती में दोहराव को रोका जाए। इस तरह निवेशकों की बिल्कुल सटीक संख्या सामने आती है। आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में म्यूचुअल फंड निवेशकों की संख्या में 35 लाख नए पैन नंबर जोड़े गए। इतना ही नहीं जिन पैन नंबर

से निवेश हुआ उनकी कुल संख्या बढ़कर 1.17 करोड़ हो गई है। पिछले आठ महीने में 35 लाख नए निवेशकों ने न सिर्फ म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना शुरू किया, बल्कि 27 लाख निवेशकों ने इक्विटी फंड में निवेश किया। ध्यान देने वाली बात यह है कि कॉरपोरेट निवेशकों का इक्विटी फंड्स में निवेश काफी कम है। ये सभी 27 लाख निवेशक लगभग सभी व्यक्तिगत निवेशक हैं। इस संख्या से पुन: इस तथ्य को बल

मिलता है कि व्यक्तिगत निवेशकों ने इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश में मूलभूत तौर पर

कुछ बदल दिया है। इससे पहले ऐसा वक्त भी था जब म्यूचुअल फंड स्वामित्व तेजी से

बढ़ा लेकिन यह ऐसा समय था तब तेजडिय़े लाभ कमाने के लिए जमकर निवेश कर रहे

थे। सिर्फ निराश होने और निवेश की गलत सीख सीखने के लिए। इस बार यह भिन्न है।

इस अवधि में इक्विटी मार्केट ने अल्पावधि की उथलपुथल के बाद इक्विटी बाजार में

स्थिरता देखी है।

अच्छी बात यह है कि निवेशकों की संख्या में वृद्धि भारी मात्रा में आ रहे निवेश

से प्रदर्शित होती है। उद्योग संग एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया

(एएमएफआइ) के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी, बेलेंस्ड (सिर्फ इक्विटी की

हिस्सेदारी की गिनती), कर-बचत फंड्स और इक्विटी ईटीएफ में सितंबर 2015 तक

पिछले 12 महीने में करीब एक लाख करोड़ रुपये नए इक्विटी प्रवाह के रूप में आए।

इस संख्या के अलग-अलग पहलू को देखिए। हाल के दिनों तक 2007-08 की तेजी फंड उद्योग के लिए निवेश का पैमाना थी। डिस्ट्रीब्यूटर्स, सेल्स स्टाफ और फंड सीईओ इक्विटी की लोकप्रियता के चार्ट से

प्रभावित थे। मार्च 2008 में जब इक्विटी फंड चरम पर थे, इन फंड में वार्षिक निवेश

43,900 करोड़ रुपये था। हालांकि, पिछले दो वर्षों में वार्षिक निवेश बढ़कर करीब

दोगुना 96,062 करोड़ रुपये हो गया है।

सवाल यह है कि अब क्या बदला है?

आखिर आधी सदी के बाद अचानक से व्यक्तिगत निवेशकों के बीच इक्विटी फंड

का स्वामित्व क्यों बढ़ा है? ऐसे लोगों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है जिन्होंने

सुनियोजित निवेश करके अच्छा रिटर्न कमाया है। फंड इंडस्ट्री, निवेश मीडिया

और एडवाइजर्स व्यापक तौर पर एसआइपी स्टाइल में निवेश को प्रोत्साहित कर रहे हैं

जो ऐसे परिणाम देता है जिससे निवेशक फंड निवेश करने के लिए प्रेरित होते हैं। दूसरा

महत्वपूर्ण कारक कथित बी 15 नियम है जिसे सेबी ने 2013 में लागू किया।

धीरेंद्र कुमार


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