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पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस आखिर क्यों जरूरी

पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस में जितने वर्ष आप कोई लाभ नहीं लेते उतने वर्षों का अतिरिक्त फायदा आगे नो क्लेम बोनस के रूप में मिलता है। यह एक तरह से स्वस्थ रहने का ईनाम है। इसका लाभ आगे कभी बीमार पडऩे पर अतिरिक्त तौर पर उठा सकते हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2016 03:04 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2016 03:28 PM (IST)
पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस आखिर क्यों जरूरी

पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस में जितने वर्ष आप कोई लाभ नहीं लेते उतने वर्षों का अतिरिक्त फायदा आगे नो क्लेम बोनस के रूप में मिलता है। यह एक तरह से स्वस्थ रहने का ईनाम है। इसका लाभ आगे कभी बीमार पडऩे पर अतिरिक्त तौर पर उठा सकते हैं।

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नौकरी के वक्त किसी कर्मचारी को जो पैकेज मिलता है उसमें हेल्थकेयर से जुड़े उन लाभों का विशेष महत्व होता है जो ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस के तहत उसे प्राप्त होते हैं।इनमें कर्मचारी के साथ पत्नी, बच्चे और कभी-कभी आश्रित माता-पिता के इलाज का खर्च शामिल है। ज्यादातर सेवायोजक कर्मचारियों को बुनियादी हेल्थ इंश्योरेंस कवर ही प्रदान करते हैं। इस रकम से छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज तो हो जाता है। बड़ी बीमारियों और आपात स्थितियों में यह रकम नाकाफी साबित होती है। इसलिए ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस के अलावा एक पर्सनल हेल्थ बीमा पॉलिसी होना जरूरी है। पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की जरूरत कई और वजहों से भी हैं:

नौकरी बदलने पर कवरेज:

एम्प्लॉयर की ओर से दिया जाने वाला ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस तभी तक प्रभावी है, जब तक आप नौकरी में हैं। नौकरी

छोड़ते ही यह निष्प्रभावी हो जाता है। नई नौकरी मिलने में कुछ वक्त लग सकता है। जरूरी नहीं कि नया एम्प्लॉयर भी ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा प्रदान करे। क्योंकि कानूनन यह कंपनियों के लिए जरूरी नहीं है। और मान लो मिला भी तो हो सकता है उसका कवरेज अपर्याप्त हो। फिर पुरानी नौकरी से नई नौकरी के बीच की अवधि में कर्मचारी को बिना बीमा कवरेज के रहना पड़ सकता है। ऐसे में पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस आवश्यक सुरक्षा प्रदान करता है।

बढ़ती लागत से बचाव:

हेल्थकेयर की लागत साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। एपेंडिक्स के एक साधारण से ऑपरेशन में भी इन दिनों

लगभग दो लाख रुपये का खर्च आता है। वर्ष 2020 तक इसके बढ़कर पांच लाख रुपये तक पहुंचने की संभावना है। इसी तरह हृदय का जो आपरेशन अभी साढ़े चार लाख रुपये में हो जाता हैं। वह

हो सकता है 2020 तक वह 11 लाख रुपये में हो। इतने भारी-भरकम खर्च

की भरपाई हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए ही संभव है।

नो क्लेम बोनस:

ग्रुप पॉलिसी में चाहे आप पूरी नौकरी के दौरान एक बार भी अस्पताल में भर्ती न हों, तब भी आपको कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलता। दूसरी ओर पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस में जितने वर्ष आप कोई लाभ

नहीं लेते उतने वर्षों का अतिरिक्त फायदा आगे नो क्लेम बोनस के रूप में मिलता है। यह एक तरह से स्वस्थ रहने का ईनाम है। इसका लाभ आगे कभी बीमार पडऩे पर आप अतिरिक्त तौर पर उठा सकते हैं।

रीस्टोर लाभ:

आजकल बाजार में ऐसी अनेक पॉलिसियां उपलब्ध हैं, जो यदि पॉलिसी अवधि में बीमित राशि समाप्त हो जाए तो उसे पुन: बहाल (रीस्टोर) करने की सुविधा प्रदान करती हैं। आपत्तिकाल में व्यक्ति और परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का यह नया तरीका है। रीस्टोरेशन की यह सुविधा केवल पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में ही उपलब्ध है। ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में इसका कोई प्रावधान नहीं है। जिनके पास फैमिली फ्लोटर प्लान है, उन्हें तो किन्हीं भी हालात में परिवार के सभी सदस्यों समेत हेल्थ बीमा का फायदा मिलता है।

अतिरिक्त सुविधाएं:

बाजार में हेल्थ इंश्योरेंस के अनेक प्लान मौजूद हैं। आप अपनी जरूरत के मुताबिक इनमें से किसी एक प्लान का चुनाव कर सकते हैं। यह पूरी तरह आपकी अपनी व्यक्तिगत जरूरत, सामाजिक स्थिति तथा स्वास्थ्य संबंधी

जरूरतों पर आधारित होगा। न कि ग्रुप इंश्योरेंस की तरह सामूहिक और एक जैसी जरूरतों पर निर्भर। विभिन्न

पॉलिसियों व उनसे जुड़ी अतिरिक्त सुविधाओं (क्रिटिकल इलनेस प्लान, सुपर टॉप-अप्स वगैरह) के कारण आप कभी भी अपने कवर को अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने के लिए कह सकते हैं।

कर लाभ :

आयकर अधिनियम की धारा 80डी के अंतर्गत हेल्थ इंश्योरेंस में पॉलिसीधारक को टैक्स में छूट का लाभ भी मिलता है। 60 वर्ष से कम उम्र के लोग सालाना 25,000 रुपये तक और सीनियर सिटीजन 30,000 रुपये तक का कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। माता-पिता के इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन का लाभ भी पा सकते हैं। इसकी अधिकतम सीमा भी 60 साल तक के अभिभावकों के मामले में 25,000 रुपये और इससे अधिक उम्र पर 30,000 रुपये है। हेल्थकेयर के मामले में केवल नियोक्ता पर ही निर्भर न रहें। ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस होना अच्छी

बात है। लेकिन अकेले इससे गुजारा होने वाला नहीं है। एक पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी भी अवश्य खरीदें। यदि बाल-बच्चेदार हैं तो बेहतर होगा कि फेमिली फ्लोटर प्लान लें। इससे पूरे परिवार को आपात स्थिति में स्वास्थ्य संबंधी तमाम सुविधाएं हासिल होंगी।

एंटनी जैकब

चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर

अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस


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