दीर्घकालिक वित्तीय योजना में बाधक न बने टैक्स
अपनी दीर्घकालिक वित्तीय योजनाओं में आयकर को कभी भी बाधक नहीं बनने दे।
अपनी दीर्घकालिक वित्तीय योजनाओं में आयकर को कभी भी बाधक नहीं बनने दे। वित्त वर्ष के आखिरी माह में अपनी आय बढ़ाने के उपाय करने के बजाय हम सोचते हैं कि टैक्स किस तरह से बचाया जाए। इस क्रम में होता यह है कि कई बार बगैर सोचे समझे हम बेवजह की पॉलिसियों या जगहों में पैसा लगा देते हैं। यह दीर्घकालिक अवधि में हमारी वित्तीय सेहत के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए आप ये उपाय आजमा सकते हैं।
1. लंबी अवधि की वित्तीय योजनाओं का लें सहारा: अगर आप स्थायी आय कमाते हैं। आपको भरोसा है कि लंबी अवधि में आपकी कमाई में ज्यादा कमी आने वाली नहीं है। ऐसे में आप ऐसी जगह निवेश करें जो लंबे समय तक चलती हो। लंबी अवधि की वित्तीय योजनाओं में हमेशा खतरा कम होता है। रिटर्न औसत से बेहतर होता है। इसका एक अहम फायदा यह होगा कि हर वर्ष आपको अलग से कर बचत योजना का आकलन करने की जरूरत नहीं होगी। बाद में आपकी आय बढ़ती है तो उसी योजना को विस्तार दे सकते हैं। सामान्य जीवन बीमा योजनाएं इस क्रम में एक बेहतर विकल्प हैं।
2. जीवन की जरूरतों का भी रखें ख्याल: यह अक्सर देखा गया है कि जीवन के विभिन्न अवसर पर जो जरुरतें होती है उन्हें जीवन बीमा उत्पादों के जरिये पूरा किया जा सकता है। लेकिन उत्पादों के चयन सही तरीके से होनी चाहिए। यहां भी लंबी अवधि के वित्तीय उत्पादों का चयन किया जाना चाहिए। हां, समय पर समय पर हमें अपनी जरूरतों के मुताबिक निवेश की नीति में भी बदलाव करते रहना चाहिए। मोटे तौर पर दो बातें याद रखने चाहिए लंबी अवधि के लिए बीमा पॉलिसियां ऐसी हों जो हमारी जीवन की कुछ जरूरतों को पूरा करना के साथ ही कर छूट भी दे।
3. लंबी अवधि के सारे वित्तीय उत्पाद नहीं देते कर छूट: जीवन बीमा पॉलिसियों पर कर छूट का लाभ लेने के लिए यह जरूरी है कि कुल बीमित राशि वार्षिक प्रीमियम से कम से कम दस गुना ज्यादा हो। अब अगर आप नई पेंशन स्कीम का फायदा लेना चाहते हैं तो यहां इसका ख्याल रखिए कि इस स्कीम के तहत अधिकतम 50 हजार रुपये की राशि पर ही आप कर छूट हासिल कर सकते हैं। ये कुछ ऐसी बातें है जिन्हें आपको किसी विशेषज्ञ से मशविरा कर लेनी चाहिए।
4. अंतिम तिमाही के पहले दो माह में ही निवेश कीजिए: यह एक अहम सुझाव है जिस पर आपको ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसमें थोड़ी भी गड़बड़ी होने पर हो सकता है कि आपको कर छूट से वंचित रहना पड़ सकता है। आमतौर पर बीमा कंपनियां कर छूट संबंधी कागजात देने में वक्त लगा देती हैं। इसलिए समय का ख्याल रखिए और वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के पहले दो महीने के भीतर निवेश योजना को आकार दे दीजिए ताकि कर छूट संबंधी कागजात समय पर जमा करा सकें।
5. सिर्फ आयकर बचाने के लिए निवेश न करें: आप जो भी निवेश करें, चाहे वह कम अवधि के लिए हो या दीर्घ अवधि के लिए, इस बात का जरूर ख्याल रखिए कि यह किसी न किसी उद्देश्य से किया गया हो। सिर्फ आयकर बचाने के मकसद से किया गया निवेश किसी काम का नहीं होता।
- आशीष वोहरा (सीनियर डायरेक्टर व चीफ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिसर मैक्स लाइफ इंश्योरेंस)