वरिष्ठ नागरिकों के हितों पर चोट
अब लघु बचत दरों में हर तिमाही बदलाव किया जाएगा। कुछ महीने पहले जब इस बदलाव की आहट हुई थी, तब मैंने लिखा था कि सरकार को इन योजनाओं खासकर वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर इस तरह चोट नहीं करनी चाहिए।
आखिरकार कई महीने की चेतावनी के बाद सरकार ने आखिरकार लघु बचत पर ब्याज दरें घटा दी हैं। इसके लिए दलील यह दी जा रही है कि अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें और मुद्रास्फीति की दर निम्न है। इसलिए लघु बचत पर ब्याज दर को उनके बराबर पर लाने के लिए कम कर दिया गया है। अब लघु बचत दरों में हर तिमाही बदलाव किया जाएगा। कुछ महीने पहले जब इस बदलाव की आहट हुई थी, तब मैंने लिखा था कि सरकार को इन
योजनाओं खासकर वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर इस तरह चोट नहीं करनी चाहिए। वास्तव में ऐसा नहीं हुआ।
वास्तव में जिस तरह ब्याज दरों की घोषणा की गई और मीडिया में उसकी कवरेज हुई उसमें गणितीय चालाकी भी की गई है। आप हर जगह पढ़ेंगे कि पीपीएफ पर ब्याज दर में 0.6 प्रतिशत, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर ब्याज दर में 0.7 प्रतिशत, राष्ट्रीय बचत पत्र पर ब्याज दर में 0.4 प्रतिशत की कमी की गई है। यह सही है, इसके बावजूद भी भ्रामक है क्योंकि इससे इन योजनाओं के जमाकर्ताओं की आय पर पड़ने वाले प्रभाव को छुपाया गया है।
वास्तव में वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में निवेश करने वालों की आय 7.5 प्रतिशत कम हुई है। एक वरिष्ठ व्यक्ति को पहले वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में 15 लाख रुपये निवेश करने पर 11,625 रुपये मिलते थे,
जबकि अब उसे 10,750 रुपये ही मिलेंगे। यह उनके हितों पर बड़ी चोट है। ब्याज दर में कमी, मुद्रास्फीति की निम्न दर और उच्च आर्थिक वृद्धि दर सब अच्छी बात है। लेकिन इन सब का वरिष्ठ नागरिकों को कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि वे उम्र के उस दौर में नहीं हैं जब खुद कमा रहे हों। दूसरी ओर उनके जीवन में वास्तविक
मुद्रास्फीति दर आधारित सीपीआइ से अधिक है।
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना छोटी स्कीम है, लेकिन यह उनके लिए महत्वपूर्ण है जो इसका इस्तेमाल करते हैं। इससे सरकार का सालाना 150 करोड़ रुपये का ब्याज बचेगा। इस तरह सरकार के लिए यह बचत मामूली होगी, लेकिन जो लोग इस योजना का इस्तेमाल करते हैं, उन पर इसका बड़ा असर पड़ेगा।
धीरेंद्र कुमार