Jagran Trending | Income Tax Saving के ये हैं बेहतरीन विकल्प, रिटर्न के मामले में भी नहीं करेंगे निराश
Income Tax Saving आयकर में बचत के लिए आनन-फानन में याजना नहीं बनानी चाहिए यह नुकसानदेह हो सकता है। वित्त वर्ष की शुरुआत से ही आपको टैक्स प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए। आज हम आपको बताएंगे टैक्स सेविंग के ऐसे विकल्प जो देते हैं आकर्षक रिटर्न
नई दिल्ली, मनीश कुमार मिश्र। Tax Planning | Tax Saving Options: हममें से ज्यादातर कमाऊ लोग जो इनकम टैक्स देते हैं, उनके लिए पहली अप्रैल से नए वर्ष की शुरुआत होती है। बजट में प्रस्तावित ज्यादातर नियम-कानून पहली अप्रैल से प्रभावी हो जाते हैं, और विशेषज्ञों की मानें तो नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही उनलोगों को टैक्स प्लानिंग पर काम शुरू कर देना चाहिए जो टैक्सेबल इनकम के दायरे में आते हैं। अप्रैल महीने से इनकम टैक्स प्लानिंग के कई फायदे हैं। पहला, आप एकमुश्त की जगह थोड़ी-थोड़ी राशि का निवेश 12 महीने में कर सकते हैं। दूसरा, आपके पास सोच-समझकर बेहतर निर्णय लेने का पर्याप्त समय भी होता है। तीसरा, आप अपनी अल्पावधि, मध्यावधि और लंबी अवधि के लक्ष्यों को देखते हुए निवेश के बेहतरीन विकल्पों का चयन कर सकते हैं। इससे आपको टैक्स सेविंग में तो मदद मिलेगी ही, आप आसानी से अपने लक्ष्यों के लिए कॉर्पस भी बना सकेंगे। आज हम कुछ ऐसे ही Tax Saving Options की चर्चा करेंगे।
नन्हीं बच्ची की उच्च शिक्षा के लिए बचाएं पैसे और पाएं टैक्स सेविंग का लाभ
Sukanya Samriddhi Yojana (SSY): केंद्र सरकार द्वारा बच्चियों की उच्च शिक्षा और उनकी शादी के लिए पैसे जमा करने के लिए सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की गई थी। सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर, जितेंद्र सोलंकी के अनुसार, अगर आपकी 10 साल तक की कोई बिटिया है तो आप उसके नाम सुकन्या समृद्धि योजना का खाता खुलवा सकते हैं। स्मॉल सेविंग्स स्कीम में सबसे अधिक ब्याज इस योजना पर दिया जा रहा है। अप्रैल से जून 2022 के लिए इसकी ब्याज दर 7.6 फीसद तय की गई है। इसकी ब्याज दरें प्रत्येक तिमाही सरकार द्वारा तय की जाती है। इस खाते में आप सालाना 1,50,000 रुपये तक जमा कर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि अगर आप शेयर बाजार से जुड़ा जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं तो लंबी अवधि के निवेश के ख्याल से Public Provident Fund यानी पीपीएफ एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। यह खाता आप अपने बच्चों के नाम भी खुलवा सकते हैं। इसकी मैच्योरिटी अवधि 15 साल है। सबसे अच्छी बात है कि इस पर आपको Exempt-Exempt-Exempt (EEE) का फायदा मिलता है। मतलब, निवेश की जाने वाली रकम, उस पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम पूरी तरह टैक्स-फ्री होती है। इसकी ब्याज दरें भी सरकार द्वारा प्रत्येक तिमाही तय की जाती है। अप्रैल-जून 2022 की तिमाही के लिए इसकी ब्याज दर 7.1 फीसद सालाना तय की गई है जो सालाना जुड़ता है। लंबी अवधि के निवेश के लिहाज से यह बच्चों की उच्च शिक्षा या आपकी सेवानिवृत्ति के लिए फंड जुटाने में मददगार साबित हो सकता है, साथ ही यह इनकम टैक्स भी बचाएगा। आप हर महीने इसमें निवेश कर सकते हैं। धारा 80सी के तहत सालाना डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर आपको डिडक्शन का लाभ मिलेगा
Equity Linked Savings Scheme | इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ELSS म्युचुअल फंडों की योजनाएं हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आप इसमें सालाना डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर आयकर में कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसकी लॉक-इन अवधि तीन साल है। वास्तव में, ELSS डाइवर्सिफायड इक्विटी स्कीम्स हैं। कुमार के अनुसार, लंबी अवधि के लिहाज से यह उन लोगों के लिए निवेश का एक बेहतरीन विकल्प है जो शेयर बाजार से जुड़े जोखिमों को उठा सकते हैं। ELSS की श्रेणी में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले फंडों ने तीन साल में 39 फीसद और 5 साल में 25.23 फीसद का रिटर्न दिया है। आप इन फंडों में हर महीने सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए भी निवेश कर सकते हैं। SIP के जरिए निवेश करने से म्युचुअल फंड यूनिटों की लागत औसत हो जाती है और आपको बेहतर रिटर्न प्राप्त होता है। आइए, कुछ बेहतरीन ELSS के प्रदर्शन पर डालते हैं एक नजर।
(स्रोत: वैल्यू रिसर्च, आंकड़े 25 अप्रैल के अनुसार)
National Pension System | एनपीएस
नेशनल पेंशन सिस्टम भी आपके टैक्स सेविंग में मददगार है। कुमार कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति अपने रिटायरमेंट के लिए बचत करना चाहता है तो वह एनपीएस का चयन कर सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 80सीसीडी (1) के तहत इसमें सालाना डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर आयकर में कटौती का लाभ मिलता है। इसके अलावा, आयकर अधिनियम की धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का लाभ भी निवेशकों को मिलता है।