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म्यूचुअल फंड सदाबहार निवेश

असेट आवंटन न तो जादुई आंकड़ा पाने का साधन है और न ही उन चुनिंदा लोगों के लिए आरक्षित है जो हमेशा सही वक्त पर निवेश करते हैं। पहली बार के निवेशक भी अच्छा असेट आवंटन कर सकते हैं। बस उन्हें बैलेंस्ड एडवांटेज फंड या डायनमिक असेट आवंटन स्कीमों में

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2015 11:40 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2015 11:43 AM (IST)
म्यूचुअल फंड सदाबहार निवेश

असेट आवंटन न तो जादुई आंकड़ा पाने का साधन है और न ही उन चुनिंदा लोगों के लिए आरक्षित है जो हमेशा सही वक्त पर निवेश करते हैं। पहली बार के निवेशक भी अच्छा असेट आवंटन कर सकते हैं। बस उन्हें बैलेंस्ड एडवांटेज फंड या डायनमिक असेट आवंटन स्कीमों में निवेश करना होगा, जहां से इसका इक्विटी और डेट में स्वत: समुचित निवेश हो जाएगा।

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मौजूदा माहौल में पूंजी के डायनमिक आवंटन व बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों में निवेश से कई फायदे मिल सकते हैं। म्यूचुअल फंड सभी किस्म के निवेशकों के हिसाब से बनाए जाते हैं। फिर चाहे वे बड़े हों या छोटे। पेशेवर प्रबंधन, जरूरत पर नकदीकरण, डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो तथा कर बचत जैसे लाभों के चलते ये फंड खुदरा निवेशकों के लिए खासे मुफीद साबित होते हैं।

म्यूचुअल फंडों में प्रति माह 1,000 रुपये जैसी छोटी रकम का निवेश भी किया जा सकता है। ये फंड हजारों निवेशकों की रकम इक_ा कर उसका कई स्कीमों के जरिये विभिन्न पूंजी श्रेणियों में निवेश करते हैं। दूसरे शब्दों में एकत्रित राशि का निवेश फंड मैनेजर के मार्गदर्शन में इक्विटी, डेट अथवा दोनों में किया जाता है।

कैसे काम करते हैं ये फंड

म्यूचुअल फंडों के पोर्टफोलियो की प्रकृति व संयोजन स्कीमों के लक्ष्य के अनुसार अलग-अलग होता है। इसलिए निवेशकों को पिछले रिटर्न के बजाय स्कीम की प्रकृति, फंड हाउस की प्रतिष्ठा के अनुसार ही निवेश करना चाहिए। कुछ फंड केवल इक्विटी में निवेश करते हैं। जबकि कुछ अन्य फंड डेट पर आधारित होते हैं। तीसरी श्रेणी हाइब्रिड या मिलेजुले फंडों की है। इनका निवेश इक्विटी व डेट से जुड़ी असेट में अलग-अलग अनुपात में होता हैं।

फंड मैनेजर फंड की प्रकृति के अनुसार पैसों के निश्चित हिस्से का निवेश विभिन्न प्रतिभूतियों व उपकरणों में करता है। यह चयन पूरी तरह फंड मैनेजर व उसकी टीम का होता है। वे प्रतिभूति के विभिन्न पहलुओं मसलन तरलता, वृद्धि दर वगैरह का विश्लेषण करके देखते हैं कि असेट निवेश योग्य है अथवा नहीं। इसके बाद ही इन इंस्ट्रूमेंट को पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाया जाता है।

करें अनुभवी फंड प्रबंधन पर भरोसा

फंड मैनेजर बाजार में हो रहे बदलावों और आर्थिक स्थितियों से वाकिफ रहता है। उसके साथ ही उसकी टीम भी अपने काम में माहिर होती है। निवेश का निर्णय लेने से पहले भरपूर जांच-परख करती है। म्यूचुअल फंड निवेशक उस पर प्रतिभूतियों के चयन का जिम्मा डालकर निश्चिंत हो सकते हैं।

पोर्टफोलियो का प्रबंध करना सिरदर्दी का काम है। काबिल फंड मैनेजर यह मगजमारी अपने सिर लेते हैं। निवेशकों को यह चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती कि कब क्या खरीदें और क्या बेचें। उन्हें इन प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त के सही समय का ध्यान रखने की भी जरूरत नहीं पड़ती। वस्तुत: जब खुदरा निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो वे कई तरह की प्रतिभूतियों में समग्र निवेश कर रहे होते हैं।

समझदार करते नियमित निवेश

सही तरीका तो यह है कि चुनी गई स्कीमों में नियमित रूप से निवेश किया जाए। इक्विटी व डेट में मिले-जुले निवेश को वित्तीय असेट्स में अच्छा निवेश माना जाता है। इक्विटी के लिहाज से पिछले दो-तीन महीने बाजार स्थितियों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाले रहे हैं। इसका कारण ग्लोबल शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव, कंपनियों के उम्मीद से कमतर मुनाफे तथा कंपनियों की अपनी समस्याएं रही हैं। जब इक्विटीज में अस्थिरता होती है तो इनके प्रति निवेशकों की उम्मीदें भी डावांडोल हो जाती हैं। जबकि ऐसे समय में ही इक्विटी में पैसा लगाना चाहिए, क्योंकि तब शेयरों के भाव कम होते हैं।

कुल मिलाकर भारतीय निवेशकों का इक्विटी में निवेश अभी बहुत कम है। उनके पोर्टफोलियो में ज्यादातर स्वर्ण व रीयल एस्टेट जैसी भौतिक संपत्तियों का समावेश होता है। कम आय के कारण बाजार नीचे गिर जाता है। इससे विकास दर मंद पड़ जाती है। ऐसे में कमजोर बाजार ऐसी असेट श्रेणियों में निवेश के अनुकूल हो जाता है, जिनसे लंबी अवधि में धन को कई गुना बढ़ाना संभव हो। इक्विटी बाजारों में गिरावट से निवेश के अच्छे मौके मिल सकते हैं।

इन दिनों ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीदों के कारण डेट बाजारों में स्थिति आशाजनक है। दुनिया भर में कमोडिटी की कीमतें कम होने के कारण महंगाई दर नीचे है। खासकर तेल के दाम गिरे हैं। अभी और गिरावट की संभावना है। अगले एक-दो सालों में ब्याज दरों में और कमी हो सकती है। डेट में निवेश करने वाले निवेशकों को इसका फायदा मिल सकता है।

अस्थिरता का भी उठाएं फायदा

जहां निवेशक पेशेवर फंड मैनेजरों की विशेषज्ञता का लाभ उठा सकते हैं वहीं, उन्हें नियमित रूप से निवेश की आदत डालनी चाहिए। खासकर तब जब बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव हो। बाजार में अस्थिरता किसी भी निवेशक के लिए घबराहट का कारण बन सकती है। ऐसे वक्त में डेट और इक्विटी दोनों अथवा हाइब्रिड फंड स्कीमों में निवेश करने की रणनीति अपनाना सबसे बेहतर होता है।

सच्चाई यह है कि असेट आवंटन न तो जादुई आंकड़ा पाने का साधन है और न ही यह महज उन चुनिंदा लोगों के लिए आरक्षित है जो हमेशा सही वक्त पर निवेश करते हैं। पहली बार निवेश करने वाले खुदरा निवेशक भी अच्छा असेट आवंटन कर सकते हैं। बस उन्हें बैलेंस्ड एडवांटेज फंड अथवा डायनमिक असेट आवंटन स्कीमों में निवेश करना होगा, जहां से इसका इक्विटी और डेट में स्वत: समुचित निवेश हो जाएगा। ये फंड मानवीय भावनाओं से प्रभावित हुए बिना कम कीमत पर खरीदने व अधिक कीमत पर बेचने की रणनीति अपनाते हैं। असेट आवंटन फंडों की संरचना इस तरह की होती है कि वे इक्विटी में तभी निवेश करते हैं, जब शेयरों के भाव नीचे हों। वे तभी बेचते हैं जब भाव ऊपर हों। यह बर्ताव खुदरा निवेशकों के व्यवहार के एकदम उलट है। इससे जोखिम न्यूनतम होने के कारण लंबी अवधि में उचित लाभ प्राप्त होता है।

निमेश शाह

एमडी व सीईओ

आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल एमएफ


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