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अगले साल बहुत अच्छा रहेगा बाजार

बाजार के मौजूदा परिदृश्य को आप किस तरह से देख रहे हैं? -मुझे लगता है कि शेयर बाजार अभी कुछ समय तक एक रेंज में ही काम करेगा। बाजार एक तरह से कंसोलिडेशन के मूड में है। हमें यह भी विश्वास है कि सबसे खराब दौर बीत चुका है। अर्थव्यवस्था सुधार

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2015 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2015 11:34 AM (IST)
अगले साल बहुत अच्छा रहेगा बाजार

बाजार के मौजूदा परिदृश्य को आप किस तरह से देख रहे हैं?

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-मुझे लगता है कि शेयर बाजार अभी कुछ समय तक एक रेंज में ही काम करेगा। बाजार एक तरह से कंसोलिडेशन के मूड में है। हमें यह भी विश्वास है कि सबसे खराब दौर बीत चुका है। अर्थव्यवस्था सुधार की तरफ अग्रसर है। आने वाले दिनों में कई तरह की गतिविधियों से भी बाजार को बल मिलेगा। बजट की तैयारियां चल रही हैं। सरकार अच्छे संकेत दे रही है। सुधारों को आगे बढाऩे के लिए कई घोषणाएं हुई हैं। जीएसटी को लेकर भी संदेह के बादल छंटते दिख रहे हैं। तो अगले वर्ष बाजार को मजबूती देने के कई कारक एक साथ काम कर रहे है।

अगर बाजार का रवैया सकारात्मक दिखाई देता है। लोगों ने खर्च करना फिर से शुरू कर दिया है। सरकार की तरफ से डेढ़ वर्षों से जारी खर्च का असर अब दिखाई देने लगेगा। मसलन, आवंटित कोल ब्लॉकों में उत्पादन प्रक्रिया तेज हो सकती है। जीडीपी के आंकड़ों से साफ है कि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र ने अच्छी तेजी दिखाई है। आइआइपी में भी तेज सुधार की पूरी गुंजाइश है।

कंपनियों के मुनाफे पर कम से इनका सकारात्मक असर पड़ता दिख रहा है?

-मुझे लगता है कि दिसंबर तिमाही से कंपनियों के नतीजे मे बड़े पैमाने पर सुधार आना शुरू हो जाएगा। वैसे, भी पिछले एक वर्ष में पूंजी की लागत काफी कम हुई है। इससे निश्चित तौर पर आय पर असर होगा। इस वित्त वर्ष के अंतिम तिमाही में साफ तौर पर कई क्षेत्रों की कंपनियों के मुनाफे में सुधार दिखेगा। साथ ही ब्याज दरों में कटौती का जो मौका रिजर्व बैंक ने उपलब्ध कराया है, उसका पूरा फायदा बैंकों ने ग्राहकों को अभी नहीं दिया है।

क्या लगता है कि बैंक एनपीए की समस्या के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं?

-देखिए अब बैंक सिर्फ ब्याज मार्जिन पर ही काम नहीं कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि अब उन्हें फंसे कर्ज यानी एनपीए की चिंता भी करनी पड़ रही है। इसके अलावा उन्हें एसएलआर, प्राथमिकता क्षेत्र को कर्जे वगैरह की भी चिंता करनी पड़ती है। इन सभी का बोझ किसी न किसी को तो उठाना पड़ेगा। यहां मैं आपको म्यचूअल फंड उद्योग के योगदान के बारे में बताना चाहूंगा। ऐसे समय जब एफडी स्कीमों पर ब्याज दरों में कमी की आशंका में लोग बैंको से पैसा निकाल रहे हैं, म्यूचुअल फंडों ने काफी सारा पैसा इन स्कीमों में लगाया हुआ है। अगर कोई कंपनी वर्किंग कैपिटल के लिए कॉमर्शियल पेपर जारी करना चाहती है तो वह बैंक लोन दर के मुकाबले तीन फीसद कम दर पर पूंजी जुटा सकती है। इन दोनों का विस्तार होता है तो आने वाले दिनों में ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को फायदा होगा। मुझे भरोसा है कि ऑटोमोबाइल, वित्तीय, फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों सबसे पहले खतरे से बाहर आएंगी।

प्राथमिक बाजार में मूल्यांकन की अभी क्या स्थिति है?

-बाजार अपने आप ही कई तरह की विसंगतियों को ठीक कर देता है। हाल के वर्षों में हमने देखा है कि किस तरह से जरूरत से ज्यादा मूल्यांकन करने वाली कंपनियों को बाजार में ठिकाने लगाए हैं। कुछ कंपनियों के आइपीओ आने से पहले ही बाजार ने सही रास्ते पर लाने का काम किया है। लेकिन मूल्यांकन का भी अपना अलग हिसाब-किताब है। कुछ लोग सिर्फ थ्योरी पर भरोसा करके कंपनी के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार रहते हैं। जबकि कुछ लोग कंपनी की थ्योरी पर नहीं, बल्कि उसके मुनाफे व कमाई को देखकर पैसा लगाते हैं। हालांकि वही कंपनियां लंबे समय तक चलती हैं, जिनका कॉन्सेप्ट लंबे समय के हालात को देख कर बनाया गया हो और जिसमें लंबे वक्त तक मुनाफा कमाने की माद्दा हो।

ए बालासुब्रमणियन

सीईओ, बिड़ला सनलाइफ एएमसी


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