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कितना सही है म्यूचुअल फंडों में निवेश

यदि आप शेयर बाजारों की उठापटक को सामान्य तरीके से लेते हैं तो आपको इक्विटी में निवेश करने से नहीं झिझकना चाहिए। लंबी अवधि में इससे बेहतर रिटर्न हो ही नहीं सकता।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 21 Mar 2016 01:33 PM (IST)Updated: Mon, 21 Mar 2016 01:39 PM (IST)
कितना सही है म्यूचुअल फंडों में निवेश

यदि आप शेयर बाजारों की उठापटक को सामान्य तरीके से लेते हैं तो आपको इक्विटी में निवेश करने से नहीं झिझकना चाहिए। लंबी अवधि में इससे बेहतर रिटर्न हो ही नहीं सकता।

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म्यूचुअल फंड सभी के लिए होते हैं। दुनिया भर में लाखों निवेशक म्यूचुअल फंडों में इसलिए निवेश करते हैं, क्योंकि ये उन्हें अपने भविष्य की योजना बनाने तथा अपनी गाढ़ी कमाई को सही जगह पर निवेश करने का अवसर प्रदान करते हैं। यहां आपको विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंडों के बारे में जानकारी दी जाएगी और बताया जाएगा कि किस तरह आप अपने भविष्य के वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। मगर इससे पहले आपके लिए निवेश से जुड़ी कुछ बुनियादी बातों को समझ लेना आवश्यक है।

निवेश और आप

निवेश की प्रक्रिया आसान नहीं है। कुछ बुनियादी संकल्पनाओं को समझ लेने से न केवल निवेश संबंधी निर्णय लेने की प्रक्रिया काफी आसान हो जाती है, बल्कि यह अनुभव मस्ती भरा हो जाता है।

आगे कुछ कदम बताए जा रहे हैं जिन्हें उठाकर आप एक सफल निवेशक बन सकते हैं :

वित्तीय जरूरतों तथा लक्ष्यों की पहचान करें पहला कदम अपनी वित्तीय आवश्यकताओं तथा लक्ष्यों को भलीभांति समझ लेने का है। इसके लिए अपने आपसे यह सवाल करें-मुझे कब और किस काम के लिए पैसों की जरूरत होगी? अपने वित्तीय लक्ष्यों को सूचीबद्ध कर लें और यह भी लिखकर रखें कि कब उन्हें पूरा करना है। उदाहरण के लिए छह साल बाद बेटी की उच्च शिक्षा, दस साल बाद मकान की खरीद, वगैरह। साथ में यह भी लिखें कि इन कार्यों के लिए आपको कितनी राशि की आवश्यकता पड़ेगी। इन सवालों के जवाबों से आपको निवेश की अवधि का अंदाजा लग जाएगा। यानी किस काम के लिए कितने पैसे का कितनी अवधि के लिए निवेश करना है।

यह निवेश अल्पकालिक होगा अथवा मध्यम या दीर्घ अवधि का।

अब अपने लक्ष्यों के अनुसार निवेश का निर्धारण करें। दीर्घकालिक लक्ष्यों जैसे कि रिटायरमेंट अथवा बच्चों की शिक्षा के लिए आपको इक्विटी फंडों में निवेश करना चाहिए। क्योंकि शेयरों में उतार-चढ़ाव के बावजूद इक्विटी में किया गया निवेश आपको दीर्घकाल में लगभग उतना रिटर्न दे देता है जितनी आपको जरूरत होती है। इसी प्रकार अल्पकालिक लक्ष्यों के लिए मनी मार्केट अथवा कैश फंडों में निवेश बेहतर रहता है।

उनमें ज्यादा स्थायित्व होता है और उनके रिटर्न के बारे में काफी हद तक अनुमान लगाया जा सकता है।

जोखिम सहने की क्षमता आंकें

निवेश का निर्णय लेने से पहले जरूरी है कि आप अपने जोखिम सहने की क्षमता का आकलन कर लें। क्या आप अपने निवेश की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ावों को बर्दाश्त कर लेंगे? अथवा क्या आपकी प्राथमिकता सुरक्षित, मगर कम रिटर्न प्राप्त करने की है। यदि ऐसा है तो इक्विटी में निवेश का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इससे आपकी रातों की नींद और दिन का चैन कम हो सकता है। यदि आप शेयर बाजारों की उठापटक को सामान्य तरीके से लेते हैं तो आपको इक्विटी

में निवेश करने से नहीं झिझकना चाहिए। लंबी अवधि में इससे बेहतर रिटर्न हो ही नहीं सकता।

जरूरी रिटर्न दर का आकलन करना न भूलें

आपके लिए आवश्यक रिटर्न दर आपके वित्तीय लक्ष्यों तथा उन्हें प्राप्त करने के वक्त पर निर्भर करती है। यहां दिए गए विवरण से इसे समझा जा सकता है :

यदि आपका रिटायरमेंट 58 वर्ष में होना है और उस वक्त आपको 20 लाख रुपयों की आवश्यकता है तो आपको हर महीने 5,000 रुपये की बचत करनी चाहिए। इस निवेश से आपको प्राप्त होने वाला रिटर्न आपकी मौजूदा उम्र पर निर्भर करेगा। यदि आपकी उम्र -3 वर्ष है तो आपको सालाना 9.5 फीसद रिटर्न की आवश्यकता होगी। जबकि -8 वर्ष की आयु होने पर आपके लिए 21.2 फीसद का रिटर्न जरूरी होगा।इस ब्यौरे से आप समझ सकते हैं जितना विलंब से निवेश प्रारंभ करेंगे, उतनी ज्यादा रिटर्न दर की आवश्यकता होगी। दूसरे शब्दों में जितनी कम अवधि के लिए निवेश किया जाएगा, उतने ज्यादा वार्षिक रिटर्न की आवश्यकता होगी। यानी आपको लक्ष्य पाने के लिए

ज्यादा जोखिम उठाना होगा। लेकिन यदि आप ज्यादा जोखिम वहन करने की स्थिति में नहीं है तो दूसरा विकल्प यह है कि आप हर महीने ज्यादा राशि का निवेश करें। इस सूरत में 9,800 रुपये महीना यानी लगभग दो गुना निवेश कर आप वही लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।

अनुशासित निवेश कारगर है

नियमित निवेश से निवेशकों को आसान तथा प्रभावी ढंग से बाजारों में भाग लेने का अवसर मिलता है। इससे उतार-चढ़ाव के असर को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही आवश्यक अनुशासन भी सुनिश्चित होता है । प्रमुख मानदंड -फंड हाउस के पिछले रिकॉर्ड और अनुभव की जांच करें।

-निवेश टीम के स्थायित्व और निवेश प्रक्रिया को समझें।

-विभिन्न बाजार चक्रों में फंड के प्रदर्शन की पड़ताल करें।

-देखें कि फंड का सर्विस और पारदर्शिता का स्तर कैसा है।

-प्रतिद्वंद्वी फंडों के मुकाबले फंड का प्रदर्शन कैसा है।

-निवेश की शैली और प्रक्रिया को भी देखें।

कर लाभ

म्यूचुअल फंडों में निवेश से सूचकांक का लाभ मिलता है। इसके अलावा कुछ चुनिंदा फंडों में धारा 80सी के तहत कर लाभ मिलते हैं। निवेशकों को इनसे मिलने वाला लाभांश करमुक्त होता है। प्लान पर डंटे रहें मगर समीक्षा

करना जरूरी निवेश के बारे में निर्णय लेने से पहले देखें कि इससे आपकी मौजूदा असेट आवंटन योजना

पर कैसा असर पड़ रहा है। जैसे-जैसे वक्त बीतता है, जीवन के चरण बदलते हैं, उसी के अनुसार आवश्यकताएं भी बदलती हैं। इसलिए आपको समय-समय पर अपने निवेश की समीक्षा करते रहना चाहिए। इसके लिए

आपको इन सवालों के जवाब तलाशने होंगे?

-क्या मेरा निवेश लक्ष्य बदल गया है?

-क्या मेरी जोखिम क्षमता बदल गई है?

-उम्मीदों के मुताबिक निवेश का प्रदर्शन कैसा रहा है?

-क्या मुझे अपना निर्णय बदलने की जरूरत है?

सारी बातों को समझ लेने के बाद ही आपको निवेश का निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करेंगे तो न केवल आपका धन बढ़ेगा, बल्कि मानसिक सुकून भी भी मिलेगा। किसी भी हालत में गलत निवेश नहीं करना चाहिए, वरना गाढ़ी कमाई डूब भी सकती है।

हर्षेंदु बिंदल

प्रेसीडेंट

फ्रैंकलिन टेंपलटन इंवेस्टमेंट्स-इंडिया


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