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लो वोलैटिलिटी सोल्यूशंस में करें निवेश

भारत के संदर्भ में लो वोलैटिलिटी सोल्यूशंस का मतलब ऐसे उत्पादों से है, जिनमें जोखिम का स्तर फिक्स्ड इनकम व इक्विटी उत्पादों के बीच का होता है। ये इक्विटी में 90-100 फीसद तक निवेश करने वाले इक्विटी म्यूचुअल फंडों से इतर हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2015 12:30 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2015 12:34 PM (IST)
लो वोलैटिलिटी सोल्यूशंस में करें निवेश

भारत के संदर्भ में लो वोलैटिलिटी सोल्यूशंस का मतलब ऐसे उत्पादों से है, जिनमें जोखिम का स्तर फिक्स्ड इनकम व इक्विटी उत्पादों के बीच का होता है। ये इक्विटी में 90-100 फीसद तक निवेश करने वाले इक्विटी म्यूचुअल फंडों से इतर हैं।

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वर्ष 2014 इक्विटी बाजारों तथा निवेशकों के लिए बहुत अच्छा वर्ष था, क्योंकि इस दौरान उनके इक्विटी पोर्टफोलियो में 30 फीसद से अधिक का इजाफा हुआ। सच तो यह है कि ज्यादातर निवेशकों के लिए 2008, 2011 तथा 2015 में इक्विटी में आई उथल-पुथल को पचा पाना कठिन है। आज के निवेशक, चाहे वे खुदरा निवेशक हों या अनुभवी खानदानी, सभी चाहते हैं कि उन्हें इक्विटी के मुकाबले स्थिर व सतत रिटर्न प्राप्त हो और उनकी पूंजी का कम से कम नुकसान हो। वर्ष 2015 के दौरान देश-विदेश के शेयर बाजारों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के परिणामस्वरूप भारत में निवेशक अब लो वोलैटिलिटी सोल्यूशंस के तौर पर ऐसी असेट श्रेणियों की तलाश कर रहे हैं, जिन पर बाजार की उथल-पुथल का ज्यादा असर न पड़ता हो।

भारत के संदर्भ में लो वोलेटिलिटी सोल्यूशंस का मतलब ऐसे उत्पादों से है, जिनमें जोखिम का स्तर फिक्स्ड इनकम व इक्विटी उत्पादों के बीच का होता है। ये इक्विटी में 90-100 फीसद तक निवेश करने वाले इक्विटी म्यूचुअल फंडों से इतर हैं। जोखिम को कम करने के लिए ये आक्रामक कैश कॉल व डेरिवेटिव्स के इस्तेमाल के अलावा स्वर्ण जैसी अन्य गैर-इक्विटी असेट श्रेणियों में निवेश करते हैं। इक्विटी के मुकाबले ये बहुत कम पूंजी पर फिक्स्ड इनकम से तीन फीसद ज्यादा और कभी-कभी तो इक्विटी के बराबर तक रिटर्न प्रदान करते हैं। बाजार की संवेदनशीलता से अप्रभावित और कम जोखिम पर बेहतर रिटर्न देने के कारण इनका प्रदर्शन परंपरागत इक्विटी फंडों के मुकाबले बेहतर व सतत रहता है।

अक्सर यह देखने में आया है कि यदि कोई पोर्टफोलियो इक्विटी बाजार की 50 फीसद गिरावट और 75 फीसद उछाल का सामना कर ले तो निश्चित अवधि के बाद उससे प्राप्त होने वाला चक्रवृद्धि लाभ इक्विटी से भी ज्यादा हो जाता है। इन्हें बाजार की गिरावट का भी लाभ मिलता है, क्योंकि ये निवेशक को घबराहट में गलत वक्त पर शेयर बेचने से रोकते हैं और उन्हें बाजार में लंबे समय तक टिके रहने को प्रेरित करते हैं।

अभी तक निवेशक प्राय: बैंलेंस्ड फंडों और मासिक आय योजनाओं को लो वोलैटिलिटी सोल्यूशंस के तौर पर देखते आए हैं। मगर अब इनसे बेहतर और ज्यादा आधुनिक उत्पाद बाजार में आ गए हैं। इनमें जोखिम कम और रिटर्न ज्यादा है। अब्सोल्यूट रिटर्न फंड अथवा एन्हांस्ड इक्विटी फंड इसी प्रकार के उत्पाद हैं। पिछले साल इन्होंने बहुत अच्छा रिटर्न दिया। हेजिंग की काबिलियत के साथ अच्छे स्टॉक्स में दीर्घकालिक निवेश तथा कभी-कभी खास स्टॉक्स में अल्प अवधि के निवेश से ये फंड इक्विटी में एक्सपोजर और गिरावट के असर को कम करने में कामयाब रहते हैं। ये फंड इक्विटी में 20-40 फीसद तक की गिरावट को झेलकर 80-100 फीसद तक उछाल का फायदा प्रदान करते हैं। इन सुगठित उत्पादों की गिनती उन लोकप्रिय उत्पादों में होती है, जो इक्विटी में कम निवेश से भी अच्छा फायदा प्रदान करते हैं। जिस निवेशक का बाजार के बारे में दीर्घकालिक व सुविचारित नजरिया है, उसके लिए ये उत्पाद काफी प्रभावकारी साबित हो सकते हैं। वैसे बाजार में मल्टी असेट क्लास अथवा असेट अलोकेशन फंड भी उपलब्ध हैं जो दुनिया भर में काफी लोकप्रिय हैं। घरेलू इक्विटी का सोना, फिक्स्ड इनकम और इंटरनेशनल इक्विटी जैसी असंबद्ध असेट श्रेणियों के साथ मेल करने से ये उत्पाद गिरावट को काफी हद तक थाम लेते हैं और लगातार महंगाई दर को मात देते वाला रिटर्न देते हैं।

निवेश करने से पहले इन उत्पादों की सावधानीपूर्वक और सही ढंग से जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए। खासकर यह देखना आवश्यक है कि उत्पाद किस प्रकार की इक्विटी में निवेश करेगा और आवंटन का तरीका क्या होगा। इसके अलावा यह भी देखना होगा कि उत्पाद किस तरह के जोखिम लेगा, क्योंकि सभी सोल्यूशंस में जोखिम है। बस यह देखना होता है कि इसे इक्विटी से कम कैसे रखा जाए। यही नहीं, उत्पाद का एक-डेढ़ साल का ट्रैक रिकॉर्ड भी देखना चाहिए। इस बात के लिए नहीं कि कितना रिटर्न मिला है अथवा कितनी गिरावट आई है, बल्कि यह पता लगाने के लिए कि विभिन्न बाजार स्थितियों में फंड मैनेजर ने किस तरह के निर्णय लिए हैं। इसी के साथ यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि लो वोलैटिलिटी सोल्यूशंस प्रोडक्ट्स का मकसद कम उतार-चढ़ाव के दौर में इक्विटी से लाभ उठाना है। इसलिए इनकी तुलना उछाल के दौर वाली इक्विटी से नहीं की जा सकती। वैसे इक्विटी में 35 फीसद बढ़ोतरी के दौर में पक्का सकारात्मक रिटर्न देने के बावजूद लो वोलटिलिटी सोल्यूशन उत्पादों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहता है। एक बात और। लो वोलैटिलिटी सॉल्यूशन और हर महीने निश्चित रिटर्न देने वाले फिक्स्ड इनकम उत्पादों को एक समझने की भूल कतई न करें। अक्सर जो अन्य समाधान एक महीने में कोई नुकसान नहीं होने का वादा करते है, उनके पीछे ऐसे पुछल्ले जोखिम छुपे होते हैं, जिनकी पूरी जानकारी नहीं दी जाती। लो वोलैटिलिटी सोल्यूशंस में कुछ जोखिम अवश्य होंगे, लेकिन लंबी अवधि में इनमें काफी कम गिरावट होगी।

दुनिया भर में सबसे आधुनिक संस्थान व खानदानी प्रतिष्ठान लो वोलैटिलिटी सोल्यूशंस में पैसा लगाना पसंद करते हैं।

राधिका गुप्ता

बिजनेस हेड,फोरफ्रंट कैपिटल (इडेलवीस ग्रुप)


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