Move to Jagran APP

आयकरदाताओं के लिए बजट के मायने

पहले ईपीएफ से निकासी कर मुक्त थी। अब एनपीएस की तरह उस पर भी टैक्स लगा दिया गया है। यानी 40 फीसद निकासी करमुक्त और 60 फीसद पर टैक्स। इससे ईपीएफ और एनपीएस दोनों पर आयकर ट्रीटमेंट एक समान हो गया है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 08 Mar 2016 11:41 AM (IST)Updated: Tue, 08 Mar 2016 11:54 AM (IST)

पहले ईपीएफ से निकासी कर मुक्त थी। अब एनपीएस की तरह उस पर भी टैक्स लगा दिया गया है। यानी 40 फीसद निकासी करमुक्त और 60 फीसद पर टैक्स। इससे ईपीएफ और एनपीएस दोनों पर आयकर ट्रीटमेंट एक समान हो गया है।

loksabha election banner

भले ही 2016-17 के आम बजट में आयकर की स्लैब में कोई बदलाव न किया गया हो। लेकिन

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई ऐसी घोषणाएं की हैं, जिनसे आपकी आयकर देनदारी में कुछ न कुछ अंतर अवश्य आएगा।

किराये पर रहने वाले लोगों को राहत :

जो लोग किराये के मकान में रह रहे हैं, मगर जिन्हें मकान किराया भत्ता (एचआरए) नहीं मिलता, उन्हें बजट से राहत मिली है। वे आयकर के रूप में सालाना 36,000 रुपये तक की बचत कर सकते हैं। लेकिन यह बात अच्छी

तरह समझ लें कि यह राहत उन्हीं लोगों को मिलेगी जिन्हें एचआरए नहीं मिलता।

इसके अलावा धारा 80जीजी के तहत वेतनभोगियों, खुद का कारोबार करने वालों अथवा व्यवसायियों को भी उनके द्वारा अदा किए जाने वाले किराये पर विशेष डिडक्शन की सुविधा दी गई है। यह लाभ भी केवल उन्हीं को मिलेगा,

जिनके नाम सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी के बतौर ऐसा कोई मकान नही है, जिस पर कर की देयता बनती हो। इसके अलावा आप, आपके जीवनसाथी अथवा नाबालिग बच्चे के नाम भी उस शहर में कोई मकान नहीं होना चाहिए, जहां आप रहते या काम करते हैं।

धारा 87ए के तहत मिलेगी अतिरिक्त राहत :

वित्त मंत्री ने उन लोगों को भी अतिरिक्त कर राहत दी है, जो सालाना 5 लाख रुपये या इससे कम कमाते हैं। ऐसे करदाता पहले के 2,000 रुपये के मुकाबले अब 5,000 रुपये की अधिकतम कर बचत कर सकते हैं। यह लाभ आपको तभी मिलेगा, जब धारा 80 के तहत अनुमत डिडक्शन तथा हाउस प्रॉपर्टी पर हानि को मिलाकर आपकी कुल आय 5 लाख रुपये या उससे कम हो। यह डिडक्शन बिना तीन फीसद सेस के बनने वाले कुल टैक्स पर ही प्राप्त होगा। जो लोग इसके पात्र हैं, यदि उनका टैक्स 5,000 रुपये कम है, तो उन्हें कोई कर अदा करने की जरूरत नहीं होगी। यदि कुल टैक्स 5,000 रुपये से अधिक हुआ तो आप धारा 87ए के तहत अधिकतम 5,000 रुपये तक

की राहत का दावा कर सकते हैं।

निर्माण पूरा करने की अवधि में बढ़ोतरी : अभी तक खुद के रहने के काम आ रहे मकान के लिए प्राप्त होम लोन के ब्याज पर अधिकतम दो लाख रुपये तक का डिडक्शन हासिल किया जा सकता है। लेकिन इसमें शर्त थी कि मकान का निर्माण तीन साल के भीतर पूरा होना चाहिए।

अन्यथा डिडक्शन केवल 30,000 रुपये तक सीमित हो जाएगा। इस नियम से होम लोन लेने वाले हजारों लोगों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा। इसकी वजह यह है कि कई बिल्डरों ने सालों तक निर्माण कार्य पूरा नहीं किया और पजेशन के लिए ग्राहकों को खूब दौड़ाया। इस समस्या के मद्देनजर बजट में निर्माण की अवधि को

तीन से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया है।

यह होम लोन लेने वालों के लिए बड़ी राहत है। ध्यान देने लायक बात यह है कि यह कर राहत निर्माण पूरा होने वाले वर्ष से ही मिलनी शुरू होती है।

प्रीजम्टिव टैक्स स्कीम का हुआ विस्तार :

प्रीजम्टिव टैक्सेशन स्कीम के तहत छोटे व्यवसायियों को ग्रॉस टर्नओवर पर आठ फीसद की आय दर्शाने की अनुमति है। उन्हें अकाउंट रिकॉर्ड मेन्टेन करने या ऑडिट कराने की जरूरत भी नहीं होती। इस आठ फीसद अनुमानित आमदनी को उनकी शुद्ध आय माना जाता है। इसमें व्यवसाय संबंधी किसी भी खर्च के डिडक्शन की अनुमति नहीं होती। वित्त वर्ष 2015-16 तक एक करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले व्यवसायी इस स्कीम का लाभ उठा सकते थे। अब इस सीमा को बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया गया है।

अब तक पेशवरों (प्रोफेशनल्स) को प्रीजम्टिव टैक्स स्कीम के दायरे से बाहर रखा गया था। मगर वित्त वर्ष 2016-17 से 50 लाख रुपये तक की सालाना प्राप्तियों (फीस) वाले पेशेवर भी इस स्कीम का लाभ ले सकेंगे। उन्हें प्राप्त होने वाली कुल प्राप्तियों के 50 फीसद को उनकी शुद्ध आय माना जाएगा।

ईपीएफ निकासी पर टैक्स : ईपीएफ को आयकर के दायरे में ला दिया गया है। 31 मार्च, 2016 तक जमा ईपीएफ पर तो कोई टैक्स नहीं लगेगा। इसे किसी भी वक्त बिना किसी कर कटौती के निकाला जा सकता है। लेकिन एक अप्रैल, 2016 के बाद जमा ईपीएफ की केवल 40 फीसद राशि ही कर मुक्त होगी। जबकि बाकी 60 फीसद राशि

पर कर लगेगा। इस कर अदायगी से बचा जा सकता है, यदि आप इस राशि का एन्युटी स्कीमों में निवेश कर दें। इन स्कीमों में पेंशन की तरह मासिक रकम मिलती है और उन पर स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगता है। पहले ईपीएफ से निकासी कर मुक्त थी। मगर अब एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) की तरह उस पर भी टैक्स लगा दिया गया है। यानी 40 फीसद निकासी करमुक्त और 60 फीसद पर टैक्स। इससे ईपीएफ और एनपीएस दोनों पर आयकर ट्रीटमेंट एक समान हो गया है।

ईपीएफ पर टैक्स के प्रस्ताव की देश भर में तीखी आलोचना हो रही है। अब तक करदाताओं की उम्मीदें ईपीएफ पर टिकी रहती थीं। वे इसे सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक सुरक्षा का एकमात्र सहारा मानते थे। बजट प्रस्ताव से उनकी भविष्य की आशाओं पर तुषारापात हो गया है। बहरहाल, वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह इस प्रस्ताव पर

पुनर्विचार करेगा। उम्मीद है कि बजट चर्चा के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली इस संबंध में कुछ राहत देंगे।

प्रीति खुराना

चीफ एडीटर

www.cleartax.in


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.