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GST देने वाले व्‍यापारी हो जाएं सतर्क, वसूली 1 जनवरी से अब सीधे अफसर करेंगे

2022 आते ही वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारी गलत जीएसटी रिटर्न भरने वाले व्यापारियों के खिलाफ वसूली के लिए सीधे कदम उठा सकेंगे। इस कदम से गलत बिल दिखाने की आदत पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।

By Ashish DeepEdited By: Published: Thu, 23 Dec 2021 11:23 AM (IST)Updated: Thu, 23 Dec 2021 11:23 AM (IST)
भुगतान से संबंधित जीएसटीआर-3बी फॉर्म में इसे कम करके दिखाते हैं।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। 2022 आते ही वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारी गलत जीएसटी रिटर्न भरने वाले व्यापारियों के खिलाफ वसूली के लिए सीधे कदम उठा सकेंगे। इस कदम से गलत बिल दिखाने की आदत पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। यह शिकायत मिलती है कि अपने मासिक जीएसटीआर-1 फॉर्म में ज्यादा बिक्री दिखाने वाले कारोबारी कर देनदारी को कम करने के लिए भुगतान से संबंधित जीएसटीआर-3बी फॉर्म में इसे कम करके दिखाते हैं।

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सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के वित्त विधेयक में इस बदलाव का प्रावधान रखा था। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने गत 21 दिसंबर को जीएसटी अधिनियम में संशोधन को अधिसूचित कर दिया। इसके बाद एक जनवरी 2022 से यह लागू हो जाएगा।

जीएसटी के तहत, दो प्रकार के रिटर्न होते हैं जो एक कंपनी को मासिक रूप से दाखिल करने होते हैं, अगर उसका कारोबार सालाना 5 करोड़ रुपये से अधिक है। ये GSTR-1 और GSTR-3B हैं। पहला रिटर्न है जो इसकी बिक्री के चालान को दिखाता है और बाद वाला सारांश जीएसटी देनदारियों की घोषणा के लिए है। GSTR-1 लेन-देन के अगले महीने की 11 तारीख तक दाखिल किया जाना होता है, GSTR-3B अगले महीने की 20 तारीख तक दाखिल किया जाना होता है।

गड़बड़ियां सामने आने पर जीएसटी विभाग की तरफ से नोटिस जारी किया जाता था और फिर वसूली की प्रक्रिया शुरू होती थी। लेकिन नियम बदलने के बाद अधिकारी सीधे ही वसूली की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन के मुताबिक, जीएसटी कानून में यह बदलाव काफी कड़ा है और जीएसटी विभाग को वसूली करने का विशेष अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि इस नए प्रावधान का दुरुपयोग होने की आशंका है। हम आपसे सीधे ब्याज और जुर्माने के साथ करों का भुगतान करने के लिए कह सकते हैं। इस अधिसूचना के लागू होने के बाद सरकार बहुत अच्छी तरह से कह सकती है क्योंकि ये जीएसटी फॉर्म केवल स्व-मूल्यांकन हैं। वित्त अधिनियम ने सदस्यों से एकत्र किए गए धन पर क्लबों पर भी जीएसटी लगाने की छूट दे दी है।


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