कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश का सही वक्त है?
भारतीय अर्थव्यवस्था अब विकास की तरफ अग्रसर है। चालू वित्त वर्ष में 7.3 फीसद की विकास दर का अनुमान लगाया जा रहा है। मैन्यूफैक्र्चंरग क्षेत्र में और सुधार होता है और महंगाई की दर स्थिर बनी रहती है तो यह रफ्तार बढ़ेगी। ई-कॉमर्स कंपनियों के तेज विकास ने रीयल एस्टेट के
भारतीय अर्थव्यवस्था अब विकास की तरफ अग्रसर है। चालू वित्त वर्ष में 7.3 फीसद की विकास दर का अनुमान लगाया जा रहा है। मैन्यूफैक्र्चंरग क्षेत्र में और सुधार होता है और महंगाई की दर स्थिर बनी रहती है तो
यह रफ्तार बढ़ेगी। ई-कॉमर्स कंपनियों के तेज विकास ने रीयल एस्टेट के कॉमर्शियल सेक्टर में मांग तेजी से बढ़ाई है। इन कंपनियों के लिए ऑफिस और कॉमर्शियल स्पेस की मांग भी लगातार बढ़ रही है।
रीयल एस्टेट कंपनियों ने कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की संभावनाओं को पहचान कर इसे विकसित करना शुरू कर दिया है। बड़े निवेशकों, एनआरआइ और खुदरा निवेशकों के लिए कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश का यह बेहतरीन अवसर है।
ज्यादातर बाजारों में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की कीमतें कम हैं और किराये का स्तर काफी ऊंचा है। कहीं-कहीं तो कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के दाम रेसिडेंशियल से भी नीचे हैं। कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में ऑफिस, रिटेल और हाई स्ट्रीट दुकानों के विकल्प उपलब्ध हैं।
मांग और आपूर्ति
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश से पहले यह देखना आवश्यक होगा कि जहां आप प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं वहां मांग और आपूर्ति की मौजूदा स्थिति क्या है। यह भविष्य में कैसी रहने की संभावना है।
उदाहरण के लिए साल 2015 में तीन शहरों दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु और पुणे में मांग व आपूर्ति की स्थिति काफी अच्छी रही। दिल्ली- एनसीआर और पुणे में किराया आमदनी रिटर्न सात से नौ फीसद के बीच रहने की संभावना है। जबकि बेंगलुरु में रिटर्न की यह दर 10-11 फीसद तक जा सकती है। अभी भी इन शहरों में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी आकर्षक दामों पर उपलब्ध हैं।
कंपनियों की तरफ से ऑफिस स्पेस की मांग में वृद्धि की संभावना तो देखी ही जा रही है। साथ ही फूड एंड बेवरेज सेगमेंट में भी कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग बढऩे की उम्मीद है। इनके अलावा हाई फैशन ब्रांडों की तरफ से शोरूम स्पेस की मांग बढ़ सकती है।
निवेश से पहले क्या चेक करें?
किसी भी तरह की कॉमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उन संपत्तियों का जायजा लें, जो पहले बिक चुकी हैं। क्या उनमें किया गया निवेश रिटर्न देने लगा है? तीन से पांच साल के लिए ऑफिस स्पेस को किराये पर देने के समझौते बेहतर रहते हैं। इससे प्रॉपर्टी किराये पर लेने वाला एक निश्चित अवधि के लिए बंध जाता है और
इससे बार-बार प्रॉपर्टी के लिए किरायेदार ढूंढने से बचत भी हो जाती है। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इसका ध्यान भी रखना चाहिए कि आप किस तरह के किरायेदार को वरीयता देना चाहते हैं। आमतौर पर
बैंक और बड़े ब्रांड एक बार जगह लेने पर लंबे समय तक वहां बने रहना चाहते हैं।
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग लगातार तेजी से बढ़ रही है। जबकि इसकी आपूर्ति की
रफ्तार काफी धीमी है। मांग और आपूर्ति का यह अंतर कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के
संभावित निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। ऐसे में रीयल एस्टेट में निवेश के
इच्छुक लोगों के लिए कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करने का यह एक अच्छा मौका
हो सकता है।
अजय रखेजा
सहसंस्थापक व सीईओ,
सीआरईइंडिया डॉट कॉम