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जटिलताओं को कम करने की तैयारी

इस योजना के तहत प्रत्येक असेट मैनेजमेंट कंपनी यानी एएमसी को सिर्फ एक प्रकार के एक फंड की अनुमति ही प्राप्त होगी।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 30 May 2016 12:34 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 12:43 PM (IST)
जटिलताओं को कम करने की तैयारी

पिछले दो हफ्तों से इस बात की चर्चा है कि म्यूचुअल फंड नियामक सेबी उन फंडों की सीमा सीमित करने जा रहा है जो एक म्यूचुअल फंड कंपनी संचालित कर सकती है। अगर यह बात सही है तो यह एक ऐसा विचार है जिसे शीघ्र लागू करना चाहिए। इस तरह की सीमा से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि म्यूचुअल फंड निवेशक अपने लिए उपयुक्त फंड का चुनाव करें और उनमें निवेश जारी रखें।

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इस योजना के तहत प्रत्येक असेट मैनेजमेंट कंपनी यानी एएमसी को सिर्फ एक प्रकार के एक फंड की अनुमति ही प्राप्त होगी। इससे निवेशकों के लिए चयन करने में जटिलता कम हो जाएगी। फिलहाल ढाई हजार से अधिक फंड हैं और उनमें से प्रत्येक के कई प्लान भी हैं।

अगर कोई व्यक्ति डेट, इक्विटी और हाइब्रिड जैसी व्यापक श्रेणियां भी देखे तो इन श्रेणियों में भी हरेक में सैकड़ों फंड हैं। ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे कोई निवेशक यह समझ सके कि इतनी बड़ी संख्या में जो फंड्स हैं उनमें से वह किसमें निवेश कर रहा है।

खबरों के अनुसार, आठ डेट फंड्स और छह इक्विटी फंड्स की श्रेणियां होंगी। फिक्स्ड-इनकम फंड में आम तौर पर कॉरपोरेट और पेशेवर निवेशकों की रुचि होती है क्योंकि वे उनकी जटिलता बखूबी समझते हैं। दूसरी ओर रिटेल इक्विटी फंड अधिक सरल होंगे ताकि छोटे निवेशक उन्हें आसानी से समझ सकें। सेबी ने जो इक्विटी श्रेणियों की योजना बनाई है उनमें लार्ज कैप, मिड कैप, माइक्रो कैप, ईएलएसएस, बैलेंस्ड फंड, आर्बिट्रेज फंड और कंसन्ट्रेटेड फंड शामिल हैं।

सेबी फंड को सरल बनाने की कोशिश कर रहा है, जानकारी रखने वाले निवेशक, जैसे इस अखबार के पाठक, वैल्यू रिसर्च के माध्यम से खुद ही जटिलताएं समझ सकते हैं। निवेशकों के लिए सबसे अहम बात यह नहीं है कि इससे फंड की संख्या कम हो जाएगी बल्कि यह है कि इससे पूरी प्रक्रिया सरल हो जाएगी जिससे वे खुद तुलना कर

सकेंगे। सेबी ने फंड्स को परिभाषित करने के लिए जो श्रेणियां तय की हैं, वे बेहद सरल हैं। हालांकि जानकार निवेशक इस नई व्यवस्था के लिए इंतजार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने हमेशा बेसिक फंड्स में निवेश किया है जो आसानी से समझे जा सकते हैं । वे साधारण फंड्स में ही निवेश करते हैं जिसमें कोई ऐसा विशेष प्रावधान नहीं होता जिसका सपना मार्केटिंग करने वाले दिखाते हैं।

हमें अन्य सभी उत्पादों के संबंध में फीचर ओरियंटेड सेलिंग और बायिंग की आदत पड़ी है लेकिन म्यूचुअल फंड के संबंध में यह बेहतर होगा कि रिटर्न और उतार-चढ़ाव के आधार पर तुलना की जाए। म्यूचुअल फंड में निवेश के पीछे पूरा विचार बिना किसी जटिलता में पड़े बगैर किसी व्यक्ति के निवेश पर अच्छा रिटर्न प्राप्त करना है। यह इतना सरल हो कि निवेशक सिर्फ चेक पर दस्तखत कर दे और उसी से काम हो जाए। इसके बाद कौन सा क्षेत्र अच्छा काम कर रहा है और कौन सा नहीं यह देखना आपकी सिरदर्दी नहीं है। यह सब जिम्मेदारी फंड मैनेजर की है। वास्तव में निर्णय लेने की जिम्मेदारी एक पेशेवर फंड मैनेजर पर डालना ही म्यूचुअल फंड में निवेश का असल विचार है और यह तभी हो सकता है जब फंड बिल्कुल सरल हो। इस तरह की सरलता का एक और बड़ा

फायदा यह है कि एक दूसरे फंड की तुलना की जा सकती है। सेबी जब स्पष्ट श्रेणियों में फंड्स को रख देगा तो तुलना आसान हो जाएगी। अगर कोई व्यक्ति लार्ज कैप फंड चलाता है तो यह सभी लार्ज कैप फंड से तुलना के योग्य होना चाहिए। इससे फंड्स की तुलना की जा सकेगी जिससे निवेशकों को सही चुनाव करने में मदद मिलेगी।

हालांकि वैल्यू रिसर्च पिछले कई वर्षों से जो कुछ कर रहा है उसका एक बड़ा हिस्सा यह भी है। एक फंड की दूसरे फंड से तुलना होने पर निवेशकों को उनके निवेश पर मिलने वाले रिटर्न का पता चल जाता है।

एक वैल्यू रिसर्च के पाठक के तौर पर आपको हमेशा यह सुविधा मिल रही है। स्मार्ट निवेशक सेबी के सरल नियमों का इंतजार नहीं कर रहे, वे पहले ही वैल्यू रिसर्च की सुविधा का लाभ ले रहे हैं।

धीरेंद्र कुमार


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