हर असेट श्रेणी में करें संतुलित निवेश
पिछले अठारह सालों में देखने में आया है कि सबसे अच्छी श्रेणी की असेट जरूरी नहीं है कि अगले साल भी सबसे अच्छा प्रदर्शन करे। इस दौरान 17 मर्तबा तीन असेट श्रेणियों में से कम से कम दो ने सकारात्मक रिटर्न दिया है। सभी तरह के आर्थिक हालात में लंबे अरसे तक बेहतर रिटर्न देने वाला पोर्टफोलियो बनाना सभी का सपना होता है। इसके लिए किसी ए
पिछले अठारह सालों में देखने में आया है कि सबसे अच्छी श्रेणी की असेट जरूरी नहीं है कि अगले साल भी सबसे अच्छा प्रदर्शन करे। इस दौरान 17 मर्तबा तीन असेट श्रेणियों में से कम से कम दो ने सकारात्मक रिटर्न दिया है।
सभी तरह के आर्थिक हालात में लंबे अरसे तक बेहतर रिटर्न देने वाला पोर्टफोलियो बनाना सभी का सपना होता है। इसके लिए किसी एक श्रेणी की असेट्स को प्राथमिकता देने से आप किसी दूसरी असेट (परिसंपत्ति) के अवसरों की अनदेखी कर सकते हैं। नतीजतन, आपका पोर्टफोलियो उतार-चढ़ाव के दौर में संकट का शिकार हो सकता है। लिहाजा सभी श्रेणियों की असेट में थोड़ा-थोड़ा निवेश करने में ही समझदारी है। इसी से भविष्य में बढि़या फायदा मिल सकता है। विभिन्न असेट श्रेणियों में निवेश से आपको दो तरह से फायदा मिलता है: पहला, इससे निवेशक को सबसे अच्छी श्रेणी के असेट में निवेश का लाभ सुनिश्चित होता है और दूसरा, यदि कोई असेट श्रेणी किसी वर्ष विशेष में बुरा प्रदर्शन करती है तो भी आपके पोर्टफोलियो का समग्र प्रदर्शन दुरुस्त रहता है। पिछले रिकॉर्ड पर एक नजर डालने से न केवल इस तर्क की अहमियत का अहसास हो जाता है, बल्कि निवेशकों को कई अन्य रोचक जानकारियां भी प्राप्त होती हैं। मान लिया आपने दिसंबर 1994 में सोने, इक्विटी एवं बांड सभी में 100-100 रुपये का निवेश किया था तो मार्च 2013 में आपका पोर्टफोलियो 745 रुपये का हो गया होगा। रीबैलेंसिंग के साथ यह राशि तीनों असेट श्रेणियों के औसत रिटर्न के मुकाबले (तालिका देखें) 123 फीसद ज्यादा है। अठारह साल के अध्ययनों से सिद्ध हुआ है कि ट्रिपल असेट की यह रणनीति, जिसमें प्रत्येक असेट श्रेणी को बराबर की अहमियत दी गई हो, तथा समय से रीबैलेंसिंग की गई हो, बेहद कारगर साबित हुई है। पूरी अवधि में इसने केवल एक बार नकारात्मक रिटर्न दिया है।
पिछले अठारह सालों में देखने में आया है कि सबसे अच्छी श्रेणी की असेट भी जरूरी नहीं है कि अगले साल भी सबसे अच्छा प्रदर्शन करे। और अठारह सालों में से सत्रह मर्तबा तीन असेट श्रेणियों में से कम से कम दो श्रेणियों ने सकारात्मक रिटर्न दिया है। केवल एक साल नकारात्मक रिटर्न मिला। वर्ष के दौरान तीनों असेट श्रेणियों में बराबर की राशि के निवेश ने लगातार सकारात्मक परिणाम दिए हैं। यहां तक कि 2008 जैसे वर्ष की खराब स्थितियों में भी, जब बाजार आधे गिर गए थे, तीन असेट श्रेणियों में बराबर निवेश की रणनीति के सकारात्मक परिणाम रहे। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि निवेशकों को तीनों प्रकार की असेट श्रेणियों में निवेश पर बराबर का ध्यान देना चाहिए और नियमित अंतराल पर उनको नए सिरे से संतुलित करना चाहिए। यह किसी एक असेट श्रेणी के अगले साल के प्रदर्शन का अनुमान लगाने और उसके पीछे भागने से हर हाल में बेहतर है। इक्विटी से लंबे समय में पैसा बनता है, और फिक्स्ड इनकम से पोर्टफोलियों को स्थिरता प्राप्त होती है। वहीं, सोना सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है। पूर्व में यह देखने में आया है कि 2008 या 2011 जैसे मंदी के दिनों में इसी विविधीकरण ने निवेशकों के पोर्टफोलियो की रक्षा की है।
इस हकीकत को ध्यान में रखते हुए यह एकदम स्पष्ट है कि निवेशकों को अलग-अलग श्रेणियों की असेट में निवेश करना चाहिए और नियमित अंतराल पर उनमें कमी-बेशी करते रहनी चाहिए। हालांकि योग्यता, समय अथवा अनुशासन की कमी से यह काम सभी निवेशकों के बस का नहीं है। ऐसे हालात में हाइब्रिड फंड सर्वश्रेष्ठ समाधान हो सकता है। क्योंकि यह खुद ही तीनों असेट श्रेणियों में आपके निवेश का आवंटन भी करता है और उनमें नियमित अंतराल पर संतुलन भी स्थापित करता रहता है। इससे सभी असेट श्रेणियों में निवेशक के धन का बराबर अहमियत के साथ वितरण सुनिश्चित होता है।
कैसे बढ़े 100 रुपये
दिसंबर, 1994 में 100 रुपये का निवेश
स्टॉक -- 481
बांड -- 657
सोना -- 729
ट्रिपल असेट -- 745
औसत -- 622
चंद्रेश निगम [एमडी व सीईओ, एक्सिस बैंक म्यूचुअल फंड]