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लंबी अवधि के निवेश में फायदा

ओबीसी के सीएमडी बंसल ने विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से बातचीत में कहा कि बैंकों की जमा स्कीमें सुरक्षित तो हैं लेकिन इनके और ज्यादा आकर्षक होने की संभावना कम है। -मौजूदा माहौल में बैंकों की जमा स्कीमें कितनी भरोसेमंद हैं? बैंकों की जमा स्कीमों के प्रति आम जनता क

By Edited By: Published: Mon, 02 Dec 2013 12:24 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
लंबी अवधि के निवेश में फायदा

ओबीसी के सीएमडी बंसल ने विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से बातचीत में कहा कि बैंकों की जमा स्कीमें सुरक्षित तो हैं लेकिन इनके और ज्यादा आकर्षक होने की संभावना कम है।

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-मौजूदा माहौल में बैंकों की जमा स्कीमें कितनी भरोसेमंद हैं?

बैंकों की जमा स्कीमों के प्रति आम जनता का भरोसा पहले भी था और आगे भी रहेगा। आखिरकार इससे बेहतर व ज्यादा गारंटीशुदा कौन सी निवेश स्कीमें हैं? सरकार की गारंटी है। औसतन नौ फीसद सालाना की गारंटी है। बुजुगरें के लिए यह और बेहतर है।

-क्या जमा दरों में अभी वृद्धि की संभावना है?

शायद नहीं। आर्थिक सुस्ती की वजह से बाजार में मांग नहीं है। मांग नहीं होने की वजह से बैंकों को अतिरिक्त फंड की जरूरत नहीं है। ऐसे में वे आम जनता को ज्यादा पैसा जमा कराने के लिए आकर्षक पेशकश नहीं कर रहे। ऐसे में हाल फिलहाल जमा दरों में और वृद्धि की गुंजाइश नहीं बन रही है। इसके बावजूद जमा स्कीमों पर नौ से साढ़े फीसद की मौजूदा सालाना ब्याज दर को बाजार के अन्य निवेश विकल्पों को देखते हुए आकर्षक ही कहा जाएगा।

-कर्ज की दरों को लेकर क्या स्थिति बन रही है?

कर्ज की दरों में तो मुझे कमी होने की संभावना नहीं दिख रही। महंगाई की स्थिति सभी के सामने है। थोक कीमतों के साथ खुदरा कीमतों में भी तेजी का माहौल बरकरार है। जुलाई, 2013 के बाद से रिजर्व बैंक दो बार रेपो दर बढ़ा चुका है। हालांकि बैंकों ने इसका बोझ ग्राहकों पर अभी नहीं डाला है। लेकिन अगर आगे आरबीआइ ब्याज दरें बढ़ाता है तो फिर बैंकों के लिए इसे वहन करना मुश्किल होगा। ऐसे में कर्ज और महंगा भी हो सकता है।

-कर्ज की रफ्तार कैसी है?

कुछ बैंक कह रहे हैं कि उनकी बेहतर है लेकिन मेरी अच्छी नहीं है। कर्ज आवंटन में बढ़ोतरी की रफ्तार दहाई अंक को नहीं छू पा रहा। त्योहारी सीजन में अधिकांश बैंकों ने कर्ज सस्ते किए लेकिन उसका बहुत असर बाजार पर नहीं दिखा। अब सारा दारोमदार ग्र्रामीण अर्थव्यवस्था पर है। नई फसल के बाद देखते है कि ग्र्रामीण क्षेत्र से कर्ज की मांग कितनी आती है। इस पर सभी उद्योगों की भी नजर है। लेकिन औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की मांग नहीं होने की भरपाई अकेले ग्र्रामीण क्षेत्र कितना कर पाएगा? मुझे लगता है कि हालात के स्पष्ट होने में अभी दो महीने का समय और लगेगा। खाने पीने की चीजों की कीमतों के घटने और हाल के दिनों में सरकार की तरफ से उठाये गये कदमों की घोषणा का सकारात्मक असर आने के बाद सुधार की उम्मीद है।

-फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या कब तक दूर होगी?

फंसे कर्ज की समस्या तो तब तक रहेगी जब तक अर्थव्यवस्था में मंदी है। आर्थिक मंदी के साथ एनपीए बढ़ता है और अर्थव्यवस्था की मजबूती के साथ यह कम होता है। वैसे इसकी वजह से फिलहाल बैंकों को काफी समस्या का सामना करना पड़ा रहा है। हमारा मुनाफा भी इसकी वजह से कम हो रहा है।

एसएल बंसल

सीएमडी, ओरियंटल

बैंक ऑफ कॉमर्स


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