जानिए जॉब करने वाले कर्मचारी के लिए अलग से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना क्यों है जरूरी
मेडिकल इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारियों को दी जाने वाली एक ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है जो दुर्घटना या अचानक उजागर हुई बीमारी में बहुत काम आती है। इसके कवर में कर्मचारी के साथ-साथ उसके परिवार के एक या दो सदस्यों को शामिल किया जाता है।
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। दवाईयों और अस्पताल का खर्च लगातार बढ़ रहा है और एक आम आदमी या कंपनी में जॉब करने वाले व्यक्ति के लिए मेडिकल इमरजेंसी में इन खर्चों को पूरा करना लगभग असंभव है। यही वजह है कि अलग-अलग कंपनियां अपने कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस का कवर देती हैं।
मेडिकल इंश्योरेंस, कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारियों को दी जाने वाली एक ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है जो दुर्घटना या अचानक उजागर हुई बीमारी में बहुत काम आती है। इसके कवर में कर्मचारी के साथ-साथ उसके परिवार के एक या दो सदस्यों को शामिल किया जाता है। इसमें अस्पताल में भर्ती के कुछ मामलों में खर्चों को क्लैम किया जा सकता है। हालांकि, कंपनी की तरफ से मिलने वाली मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी की अहमियत या इसकी वैधता तब तक है, जब तक आप कंपनी में है। कंपनी छोड़ते ही आपको इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। मतलब आपने जिस दिन कंपनी छोड़ी, आपकी पॉलिसी भी उसी दिन खत्म हो जाएगी।
ऐसा देखा गया है कि कई कर्मचारी कंपनी के हेल्थ इश्योरेंस पर ही निर्भर रहते हैं। उनका खुद का कोई पर्सनल हेल्थ कवर नहीं होता है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि उनकी और उनके परिवार की सेहत की गारंटी तब तक है जब तक वह व्यक्ति जॉब में है। जॉब छोड़ने के बाद कंपनी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेगी। जॉब छोड़ने के बाद अगर आप नई हेल्थ इश्योरेंस पॉलिसी लेते भी हैं, तो उसमें प्रतीक्षा अवधि (Waiting Period) की समस्या आ जाती है, जहां आपको पॉलिसी का लाभ लेने के लिए एक से तीन साल तक का इंतजार करना पड़ेगा। उस दौरान आप और आपका परिवार असुरक्षित है। अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी आती है, तो उसके भारी खर्चो का बोझ आपके ऊपर ही पड़ेगा। ऐसे में आपको वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। अब सवाल यह उठता है कि कंपनी छोड़ने के बाद दूसरे कौन से विकल्प एक कर्मचारी के पास हैं।
भारत की बात करें तो एक कर्मचारी के पास सरल और जरूरी उपाय यही है कि वह कंपनी की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ-साथ एक अलग से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद लें, ताकि जब वह जॉब छोड़े, तो दूसरी पॉलिसी हमेशा उसके साथ रहे। इसके लिए वह पर्सनल हेल्थ कवर ले सकता है या फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस भी ले सकता है।
जब आप अपने या अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं तो आपको कई बातों पर ध्यान देना चाहिए, जैसे अतिरिक्त कवर, क्लेम सेटलमेंट रेशियो, प्री-पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन का खर्च आदि। ऐसी ही एक पॉलिसी है रिलायंस हेल्थ इन्फिनिटी पॉलिसी। यह पॉलिसी 30% तक की छूट के साथ आती है और इसमें Covid-19 का उपचार भी शामिल है। इसके अन्य फायदों की बात करें तो इसमें विश्व में कहीं भी इमरजेंसी हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा मिलती है। साथ ही, इसमें प्री-पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन का खर्च शामिल है। इसका क्लेम सेटलमेंट रेशियो 100% फीसदी है।
इसके अलावा यह पॉलिसी अतिरिक्त कवर और अतिरिक्त समय की सुविधा के साथ भी आती है। मतलब, अगर आप हेल्थ इन्फिनिटी पॉलिसी में 10 लाख वाला कवर लेते हैं, तो इस कवर के साथ आपको 3 लाख का अतिरिक्त कवर मिलेगा, जिससे आपका कुल हेल्थ कवर 13 लाख का हो जाएगा। इसके साथ-साथ अगर आप 12 महीने के लिए पॉलिसी प्रीमियम को चुनते हैं, तो आपको एक महीने का अतिरिक्त फायदा मिलेगा, जिससे आपका कवर 13 महीने का हो जाएगा। रिलायंस हेल्थ इन्फिनिटी पॉलिसी को आप रिलायंस जनरल इंश्योरेंस की वेबसाइट पर ऑनलाइन ले सकते हैं। आप यहां अपने और अपने परिवार की जरूरत और सुविधा के हिसाब से भी हेल्थ इंश्योरेंस कवर भी ले सकते हैं।
एक जॉब करने वाला व्यक्ति हमेशा से ही परिवार के लिए 'संपत्ति' की तरह है। इसलिए उसका जीवन और उसकी सेहत सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि वह अपने साथ-साथ अपने परिवार का भी ख्याल रख सके। कंपनी की तरफ से मिलने वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के अपने फायदे हैं और ये ध्यान रखिए ये फायदे आपको कंपनी में रहते हुए मिलेंगे। इस तरह की पॉलिसी में अनिश्चितता है। इसलिए सही यही होगा कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से अपने लिए एक नई पॉलिसी ले ली जाए।
लेखक: शक्ति सिंह
(यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है)