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जीवन बीमा पॉलिसी खरदीने से पहले जान लें ये 6 जरूरी बातें, होगा फायदा

किसी भी तरह के फंड्स और प्लान को चुनने से पहले आपको कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए

By Praveen DwivediEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 04:56 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 01:01 PM (IST)
जीवन बीमा पॉलिसी खरदीने से पहले जान लें ये 6 जरूरी बातें, होगा फायदा
जीवन बीमा पॉलिसी खरदीने से पहले जान लें ये 6 जरूरी बातें, होगा फायदा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हम आमतौर पर अपनों की आर्थिक सुरक्षा के लिहाज से जीवन बीमा पॉलिसी लेते हैं। ऐसे जितना जरूरी बीमा पॉलिसी खरीदना होता है उतना ही जरूरी सही बीमा पॉलिसी का चुनाव करना होता है। आप अपनी जरूरतों के हिसाब से बीमा पॉलिसी चुन सकते हैं। जीवन बीमा एक अनुबंध होता है जो बीमाधारक की मृत्यु की स्थिति में आपके परिजनों को आर्थिक सुरक्षा देने का आश्वासन देता है। मुख्य रूप से जीवन बीमा दो तरह के होते हैं। ट्रेडिशनल होल लाइफ और टर्म लाइफ इंश्योरेंस अवधि।

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हालांकि किसी भी तरह के फंड्स और प्लान को चुनने से पहले आपको कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए। हम अपनी इस खबर में आपको छह ऐसी बातें बता रहे हैं जिन्हें बीमा लेने से पहले आपको ध्यान में रखना चाहिए।

1. बीमा पॉलिसी खरीदते वक्त आप एक अनुबंध के तहत सहमत होते हैं। यदि अनुबंध खरीदते वक्त आप मैच्योरिटी डेट पर सहमत हैं, तो आप एग्री टर्म और नंबर को बाद में नहीं बदल पाएंगे। उदाहरण के तौर पर यदि आप 60 वर्षों का टर्म प्लान लेते हैं तो तो आप मैच्योरिटी डेट नहीं बदल पाएंगे। हालांकि, आप एक और कवर खरीद सकते हैं जो आपको 80 साल तक बीमा कर सकता है।

2. आप बीमा कंपनी से लोन ले सकते हैं, इस पर पॉलिसीधारक द्वारा लोन लेते वक्त जिस लोन को चुना गया है उस पर आपसे इंटरेस्ट रेट लिया जाएगा। इंटरेस्ट रेट एक सूचकांक से जुड़ा हुआ रहेगा। बता दें कि बीमाकर्ताओं के बीच ब्याज दरें अलग-अलग होती हैं।

3. यदि एक निश्चित वर्ष के बाद आप अपनी पॉलिसी छोड़ देते हैं, तो कंपनी द्वारा चार्ज किया जाने वाला शुल्क आपकी पॉलिसी और इसके विशेषताओं पर निर्भर करता है। ऐसे में सरेंडर मूल्य सीधे भुगतान किए गए प्रीमियम की राशि से जुड़ा नहीं होगा, बल्कि यह यूनिट लिंक्ड पॉलिसी के यूनिट वैल्यू या पारंपरिक नीतियों के अर्जित लाभों पर निर्भर करता है।

अगर आपके पास यूएलआईपी है, तो आपको पांच साल बाद फुल यूनिट वैल्यू मिलेगा, क्योंकि सरेंडर वैल्यू पांच साल बाद जीरो हो जाती है। वहीं सरेंडर अलग-अलग पॉलिसी में अलग अलग होते हैं।

4. बता दें कि बीमा का अनुबंध यूबेरिमा फाइड्स के सिद्धांत का पालन करता है, जिसका अर्थ अत्यंत विश्वास होता है। ऐसे में आप वर्तमान में अपनी स्वास्थ्य स्थिति और पुराने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जानकारी दे सकते हैं। अगर आपने सही तरीके से जानकारी नहीं दी तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। आपका बीमा पॉलिसी अनुबंध एक दस्तावेज होता है।

5. बीमा एक्ट के सेक्शन 45 और हाल के कानून के मुताबिक, नई नीति के लिए तीन साल बाद जीवन बीमा अनुबंध की अस्वीकृति की अनुमति नहीं होती है। अगर बीमाकर्ता को फिर से मूल्यांकन करने का अवसर मिलता और बीमाकर्ता ने पहले के बाद दूसरी नीति जारी की है, तो उसे नियम और शर्तों के बारे में पॉलिसीधारक को जानकारी देनी होती है।


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